बीजेपी ने नए सिरे से कांग्रेस पर निशाना साधा. मामला था कांग्रेस मुख्यालय पर प्रियंका गांधी के स्वागत में लगे पोस्टर का. इन पोस्टर्स में प्रियंका गांधी के साथ-साथ उनके पति रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी नजर आ रहे थे. बीजेपी ने रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी लपेटे में ले लिया. हालंकि उनके निशाने पर सीधे तौर पर प्रियंका नहीं भी थी लेकिन बीजेपी का आरोप आने वाले समय में आरोप प्रत्यारोंप के दौर की ओर इशारा जरूर कर रहा है.
तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस अब सीधे सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर पर निशाना साध रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल बजट जैसे मुद्दे पर मोदी को घेरने की कोशिश में लगे हैं. साथ ही कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए प्रियंका गांधी को महासचिव का पद देकर सक्रिय राजनीति में शामिल किया है. प्रियंका गांधी वाड्रा की एंट्री ने कांग्रेस को नया उत्साह तो दिया है लेकिन आकांक्षाओं से भी भर दिया है.
प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश कनेक्शन
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है. यानी प्रियंका के बहाने कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की वाराणसी सीट और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर पर सीधी चुनौती दी है. कांग्रेस प्रियंका को मास्टर स्ट्रोक की तरह पेश कर रही है. प्रियंका की खास बात में एक है कि उत्तर प्रदेश में उनकी पहचान सभी कांग्रेस नेताओं के बीच में है.
उनकी स्वीकृति भी है. लोगों के बीच में पहचान भी है. लोगों के बीच में घुलना-मिलना प्रियंका को भी अच्छा लगता है. आम लोगों के बीच में रहना, खाना-पीना प्रियंका के लिए बहुत सहज है. जिन कार्यकर्ताओं से वो सीधे मिलती हैं वो उनको नाम से जानती हैं और हाल चाल लेती रहती है. यही खासियत उन्हें लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बनाती हैं.
साथ ही प्रियंका की तुलना अक्सर उनकी दादी इंदिरा गांधी से होती है. प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप साफ नजर आती है. उनके बोलने का अंदाज भी अपनी दादी से काफी मिलता है. 16 साल की उम्र में पहली बार भाषण देने वाली प्रियंका का भाषा पर भी जबरदस्त पकड़ है.
रॉबर्ट वाड्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप
रायबरेली में भैय्या जी के नाम से जाने वाली प्रियंका गांधी वैसे तो उत्तर प्रदेश की बेटी और बहू दोनो हैं. रॉबर्ट वाड्रा मूल रूप से पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले हैं. चूंकि वो राजनीति में सीधे-सीधे कभी नहीं कूदीं इसलिए प्रियंका को लेकर कोई विवाद नहीं है. लेकिन विवाद उनके पति रॉबर्ड वाड्रा पर जरूर हैं. प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ डील को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगें थे.
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डीएलएफ के अलावा ईडी भी रॉबर्ड वाड्रा की लंदन में उनकी संपत्ति को लेकर पूछ ताछ कर रही है. उसका असर हाल में ही देखा गया जब कांग्रेस मुख्यालय पर प्रियंका गांधी के पोस्टर्स रातों रात हटाए गए. इन पोस्टर्स में प्रियंका गांधी के साथ-साथ उनके पति रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी नजर आए.
इन्हीं पोस्टर को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. हालांकि राजनीतिक जानकार मानते थे कि रॉबर्ड वाड्रा के आरोप प्रियंका के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. खास तौर से अब जब कि चुनाव पास है और बीजेपी आरोपों की झड़ी लगाने में माहिर है. आपको बता दें कि बीजेपी का आरोप है वाड्रा ने 2009 की पेट्रोलियम डील और डिफेंस डील के जरिए दलाली की है. हालांकि अभी तक ये साबित नहीं हुआ है.
क्या रॉबर्ड वाड्रा प्रियंका के लिए समस्या बनेंगे
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रियंका पर ये आरोप लगातार लगेंगे. लेकिन साथ ही कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि अभी तक जांच में रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप सिद्ध होता तो सरकार कार्रवाई करती लेकिन बीजेपी ने आरोप तो लगाए पर कार्रवाई कुछ नहीं की. तो ये सारे आरोप राजनीति से प्रेरित भी कहे जा सकते हैं. और वैसे भी अगर आरोप प्रिंयका के पति पर हैं तो इसका खामियाजा प्रियंका गांधी क्यों भुगतें?
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस नेताओं को अंदाजा नहीं था कि प्रियंका गांधी के लिए रॉबर्ट वाड्रा मुसीबत बन सकते हैं लेकिन तब भी उनका मानना था प्रियंका के आने से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में जोश आएगा.
राहुल गांधी का संपर्क अभियान
वैसे राहुल गांधी भी जमीनी स्तर पर लोगों को लुभाने में लगे हैं. कांग्रेस लोगों को जोड़ने के लिए समाज के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों से मिलने की तैयारी में है. पार्टी के लोग लोगों से जानना चाहते हैं कि उनकी उम्मीद सरकार को लेकर क्या है और उसी के हिसाब से वो कांग्रेस के 2019 चुनावों के घोषणा पत्र तैयार करना चाहते हैं.
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लोगों के मिलने की मुहीम उन्होंने काफी समय से शुरू की है. यही वजह है कि राहुल गांधी ढाबे में खाना खाते दिखते हैं, प्लेन में इकोनमी क्लास में सफर करते हैं. वो लोगों को बताना चाहते हैं कि कांग्रेस आम लोगों की पार्टी है.
खास नजर युवा वोटों पर
इसी के तहत राहुल गांधी युवा वोटरों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. लोकसभा चुनाव में साल 2019 में करीब दस करोड़ नए वोटर शामिल हुए हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक हर साल करीब दो करोड़ युवा नए वोटर बनते हैं. और ये वोटर चुनाव की दशा और दिशा तय करने में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.
इसीलिए राहुल गांधी सिर्फ नए वोटरों को लुभाने की कोशिश में नहीं है बल्कि युवा वोटरों को अपने साथ शामिल करना चाहते हैं. आने वाले समय में कांग्रेस अध्यक्ष अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे युवाओं के साथ ज्यादा से ज्यादा मिलने वाले हैं और उनसे जुड़े मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं.
वैसे इन वोटों पर कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी की भी नजर है. इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के संपर्क फॉर समर्थन किया था जिसमें वो हर वर्ग के लोगों, अलग-अलग क्षेत्र के छात्रों, मध्यमवर्गीय और कई क्षेत्रों में काम कर रहे युवाओं के साथ मिले थे.
राहुल का ये संपर्क अभियान कांग्रेस के घोषणा पत्र की रूपरेखा तैयार करने में मदद करेगा. हाल फिलहाल राहुल ने इसकी शुरुआत भी की. इसी के तहत उन्होंने देश के कई कॉलेजों से आए अलग-अलग क्षेत्र की पढ़ाई कर रहे कुछ छात्रों के साथ मुलाकात की थी.
इससे पहले राहुल गांधी ने प्रोजेक्ट शक्ति शुरू किया था ताकि कांग्रेस के आम कार्यकर्ता की पहुंच राहुल गांधी तक सीधे हो जाए. लोकसभा चुनाव में कुछ ही समय बचा है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. पर भाई-बहन के प्रयास कांग्रेस के लिए सुखद परिणाम लाएंगे ये तो समय बताएगा.
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