वित्त मंत्री अरुण जेटली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माफ करने के मूड में नहीं हैं. सूत्रों के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के और दूसरे नेताओं के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही मानहानि केस में सुनवाई में जेटली समझौते के मूड में नहीं हैं. इस बाबत केजरीवाल की तरफ से उनकी पार्टी के एक नए नवेले राज्यसभा सांसद ने अरुण जेटली से मुलाकात कर समझौते का प्रस्ताव दिया था. लेकिन,सूत्रों की मानें तो जेटली ने उनके प्रस्ताव पर सहमति न देते हुए रेड सिग्नल दिखा दिया.
केजरीवाल के अलावा आप नेता संजय सिंह, आशुतोष, राघव चड्डा, दीपक वाजपेयी और कुमार विश्वास पर अरुण जेटली ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है जिसकी सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही है.
अरुण जेटली 2000 से 2013 तक डीडीसीए यानी दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं. आप के नेताओं की तरफ से उनके खिलाफ अपने कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितता और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं. इन्हीं आरोपों के खिलाफ जेटली ने केजरीवाल समेत इन नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस रुख से अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि केजरीवाल धीरे-धीरे अपने इस तरह के सभी मामलों में माफी मांग कर अपने-आप को कोर्ट-कचहरी की भाग-दौड़ से बाहर निकालना चाहते हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब सरकार में पूर्व मंत्री विक्रमजीत सिंह मीजीठिया से सबसे पहले माफी मांगी. केजरीवाल ने पहले मजीठिया पर ड्रग्स के मामले से जुड़े आरोप लगाए थे.
उनकी माफीनामे के बाद उनकी पार्टी के भीतर ही बगावती तेवर दिखने लगे हैं. लेकिन, उनकी पार्टी के नेताओं का बयान साफ इशारा कर रहा है कि केजरीवाल अपनी लीगल टीम के सुझाव के बाद सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं.
लगातार अपने विरोधियों पर आरोप लगाने और हमलावर रुख अपनाने वाले अरविंद केजरीवाल पर कई मामलों में मानहानि का मुकदमा दायर है. पंजाब में चुनाव के दौरान अकाली दल की सरकार पर उन्होंने कई आरोप लगाए थे. लेकिन, ड्रग्स से जुड़े मामले में मजीठिया पर आरोप लगने के बाद उनपर मान हानि का मुकदमा हुआ था. अब केजरीवाल ने माफी मांग कर अपना पिंड छुड़ाया है.
हालांकि इसके तीन दिन बाद ही अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल से भी माफी मांग कर दोनों से मानहानि के दो अलग-अलग मामलों को रफा-दफा करने की कोशिश की है. इन दोनों नेताओं ने केजरीवाल को माफ भी कर दिया है.
लेकिन, वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ केजरीवाल की बात नहीं बन पा रही है. शायद अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों से अरुण जेटली बहुत आहत हैं. उन्हें केजरीवाल के वकील रामजेठमलानी की तरफ से क्रुक यानी धूर्त जैसे शब्दों के इस्तेमाल से भी आपत्ति है, जिसके बाद वो इस मानहानि के मुकदमे को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं.
अगर जेटली नहीं माने तो हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ जाए, अगर केजरीवाल जेटली पर लगाए आरोपों को साबित नहीं कर पाए तो उनके साथ-साथ उनकी पार्टी के इन नेताओं को भी मुश्किलें हो सकती हैं.
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