पटना में इफ्तार पार्टी के वक्त आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव के खिलाफ जो बयान दिया उसके बाद सियासत के जानकार अचरज में पड़ गए हैं. तेजस्वी यादव को नसीहत देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कह दिया कि अपनी सियासी जमीन खिसकने के चलते तेजस्वी यादव इस तरह का बयान दे रहे हैं. तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में आने का ताजा ऑफर दिया था.
लेकिन, सवाल उठता है कि एनडीए में रहते हुए आरजेडी के नेताओं के साथ संतुलन बनाकर चलने वाले उपेंद्र कुशवाहा को इस बार तेजस्वी का ऑफर इतना क्यों चुभ गया ?
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा की इफ्तार पार्टी में एनडीए के अलावा आरजेडी के नेता भी नदारद थे. सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के नेताओं के अलावा आरजेडी के नेताओं को भी बुलावा गया था. लेकिन, आरजेडी का कोई भी बड़ा नेता इफ्तार में नहीं पहुंचा.
उपेंद्र कुशवाहा यूं तो सबसे बेहतर संबंध बनाकर चलने की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि एम्स में इलाज के दौरान आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से भी उनकी मुलाकात की चर्चा होती रही. कुशवाहा की कोशिश यही है कि सबसे बेहतर संबंध रहेगा तो 2019 के वक्त सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के वक्त एनडीए के भीतर भी दबाव बनाया जा सकेगा. लेकिन, उनके यहां इफ्तार पार्टी में आरजेडी का कोई नेता नहीं पहुंचा. लगता है कुशवाहा को यही बात अखर गई.
हालांकि रोजा इफ्तार पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा के घर बीजेपी के बिहार अध्यक्ष नित्यानंद राय कुछ वक्त के लिए अंतिम समय में पहुंचे थे. राय के पहुंचने से बीजपी की उपस्थिति तो दर्ज हो गई, लेकिन, सुशील मोदी से लेकर पार्टी के दूसरे नेताओं का नहीं आना चर्चा के केंद्र में रहा.
सुशील मोदी के अलावा जेडीयू का भी कोई नेता उपेंद्र कुशवाहा के इफ्तार में नहीं पहुंचा था. तो क्या उपेंद्र कुशवाहा का तेजस्वी पर दिखाया गया सख्त तेवर इसलिए ही था ? ऐसा हो भी सकता है.
पिछले गुरुवार को पटना में एनडीए की बैठक में कुशवाहा का शामिल नहीं होना और उसके बाद डिप्टी सीएम सुशील मोदी के इफ्तार से अगले दिन गायब रहना एनडीए के भीतर की खींचतान को दिखाने वाला था. माना यही गया कि एनडीए के भीतर सबकुछ ठीकठाक नहीं है. कुशवाहा ने हालांकि इस मुद्दे पर सफाई देते हुए पहले से तय कार्यक्रम का हवाला दिया, लेकिन, कुशवाहा का यह दांव एनडीए के भीतर सहयोगी दलों के भीतर वर्चस्व की लड़ाई को दिखाने वाला है.
आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की अदावत पुरानी रही है. नीतीश कुमार से अनबन के बाद ही कुशवाहा ने अलग पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा था. लेकिन, अब वापस नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ हाथ मिला लेने के बाद कुशवाहा को अपने कम होते महत्व का अंदेशा है. उन्हें लगता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव के वक्त बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन के चलते उनके हिस्से उतनी सीटें न मिल पाएं जितनी की उन्होंने उम्मीद पाल रखी है.
कुशवाहा का कुछ दिन पहले जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा करने वाला बयान उसी संभावित डर को दिखाता है. आरएलएसपी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि के बयान से नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा की अदावत का अंदाजा लगाया जा सकता है. नागमणि ने उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में बिहार में चुनाव लड़ने की वकालत कर दी. नागमणि ने कहा कि इस वक्त आरएलएसपी की लोकसभा की सीटों की संख्या तीन, जबकि जेडीयू की सीट महज दो है. ऐसे में हमारी पार्टी ज्यादा बड़ी है.
आरएलएसपी की कोशिश एनडीए के भीतर अपनी ताकत को बड़ा दिखाने की है. इसी कोशिश में पार्टी नेताओं की तरफ से इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. दूसरी तरफ, कुशवाहा का एनडीए की बैठक में नहीं जाना भी दबाव की राजनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है.
लेकिन, लगता है कुशवाहा का यह दांव फिलहाल उल्टा पड़ गया है. नीतीश को ज्यादा तरजीह दे रहे बीजेपी नेता कुशवाहा के दबाव में शायद ही आएं. बीजेपी को लेकर कुशवाहा की नरमी और तेजस्वी पर गरमी का कारण भी यही लग रहा है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.