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केंद्र पर लगातार हमलावर हैं ममता: सत्ता की जंग में एक तीर से कई शिकार कर रही हैं 'दीदी'

एक तीर से किया ममता ने कई शिकार ....मोदी विरोधी राजनीति का केंद्र बिंदु बनने में हुईं कामयाब

Updated On: Feb 05, 2019 06:26 PM IST

Pankaj Kumar Pankaj Kumar

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केंद्र पर लगातार हमलावर हैं ममता: सत्ता की जंग में एक तीर से कई शिकार कर रही हैं 'दीदी'

ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भले ही कहें ये कि उनकी नैतिक विजय है लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को जांच में शामिल होने का आदेश देकर और राज्य के तीन बड़े अधिकारियों को अवमानना का नोटिस भेज कर साफ कर दिया कि सीबीआई शारदा, नारदा और रोजवैली स्कैम की जांच को तेजी से आगे बढ़ा सकती है. ममता की सुप्रीम कोर्ट में हार हुई है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है लेकिन ममता मोदी विरोधी राजनीति का केंद्र बनने की कोशिश में बहूत हद तक कामयाब हुई हैं.

आलम यह है कि देश की तमाम बीजेपी विरोधी पार्टियां चाहे-अनचाहे ढंग से ममता को समर्थन देने के लिए मजबूर हुई हैं. डीएमके की कनिमोझी से लेकर आरजेडी के तेजस्वी यादव और फिर आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू सरीखे नेता कोलकाता पहुंचकर ममता को केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए अपना समर्थन देने को मजबूर हुए हैं. जाहिर है कि ममता मोदी विरोधी राजनीति का ध्रुव बन पाने में तेजी से कामयाब हो रही हैं और पूरा विपक्ष उनके साथ गोलबंद होने लगा है.

एक तीर से कई शिकार कर रही हैं ममता

Mamata Banerjee

एक तरफ ममता बनर्जी तमाम अलोकतांत्रिक रास्ते अख्तियार कर बीजेपी के बड़े नेताओं को पश्चिम बंगाल में सभा करने से रोक रही हैं. बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का हेलीकॉप्टर नहीं उतरने देने से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री को बंगाल में सभा करने से रोकने का हर इंतजाम करने वाली ममता ये मैसेज देने में कामयाब रही हैं कि बीजेपी को रोकने के लिए वो हर रास्ता अख्तियार कर सकती हैं.

इससे बीजेपी विरोधी ताकतों को गोलबंद करने में उनकी भूमिका अहम नजर आने लगती है और वो ड्राइविंग सीट पर नजर आती हैं. वहीं राज्य में सीपीएम सहित कांग्रेस जैसी पार्टियां ममता के आक्रामक तेवर के सामने अपनी चमक खोने लगी हैं.

यही वजह है बंगाल में सीबीआई के खिलाफ ममता के रुख का वहां की कांग्रेस विरोध करती है लेकिन कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ममता के समर्थन में लोकसभा से लेकर सड़क तक मोदी सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाता रहा है.

आगामी लोकसभा चुनाव बंगाल में ममता बनाम बीजेपी होगा और ऐसा मैसेज देने में कामयाब हो रहीं ममता लेफ्ट और कांग्रेस की राजनीति को पलीता लगाने में कामयाब नजर आ रही हैं और कांग्रेस-लेफ्ट की हैसियत ममता बनर्जी के सामने बौनी नजर आ रही है.

वहीं मोदी विरोध की राजनीति में अपने को आगे रखकर आक्रामक लड़ाई लड़ने वाली ममता देश के कई दिग्गज नेताओं को भी चुनौती देने में कामयाब रही हैं कि वो नरेंद्र मोदी को करारा जवाब देने का मादा रखती हैं. जाहिर है संभावनाओं के खेल राजनीति में अगर एनडीए बहुमत से दूर रहा और गैर कांग्रेसी नेता को पीएम चुनने की बात हुई तो ममता का नाम उस लिस्ट में सबसे ऊपर लिया जा सकता है.

इसलिए ममता मोदी विरोधी राजनीति के केंद्र बिंदु बनने का हर मौका खूब भुनाती हैं और यही वजह है कि मोदी सरकार की हर योजना को उन्होंने लागू करने से भी परहेज दिखाया है. इस कड़ी में ममता ने मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही साल 2014 से ही हर राजनीतिक पैंतरा अपनाना शुरू कर दिया था.

ममता मोदी पर करती रही हैं लगातार हमले

MODI-MAMATA

मोदी विरोध में ममता तमाम प्रोटोकॉल भी भूलती रही हैं और वो मोदी के प्रधानमंत्री बनने के छह महीने बीत जाने के बाद उनसे औपचारिक मुलाकात करने दिल्ली पहुंची थीं. नोटबंदी से लेकर जीएसटी या फिर आयुष्मान भारत योजना इन तमाम मुद्दों पर ममता मोदी विरोध में कहीं ज्यादा मुखर रही हैं. इतना ही नहीं स्वच्छ भारत, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, आधार लिंक, फसल बीमा, प्रधानमंत्री आवास योजना, सड़क योजना और केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा मोबाइल और इंटरनेट के जांच के अधिकार पर ममता बनर्जी ने बढ़-चढ़ कर विरोध किया है.

ममता ने विरोध की हदें तब पार कर दी थीं जब दिसंबर 2016 में सेना के एक अभ्यास कार्यक्रम का विरोध ममता ने जोरदार तरीके से किया था और इसके लिए उन्होंने सीधा हमला मोदी पर किया था. उस दरमियान ममता पूरी रात सचिवालय में बैठी रही थीं और उनके इस हरकत से कोलकाता से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक माहौल गरमा रहा था.

मोदी और बीजेपी के खिलाफ ममता क्यों हैं इतनी आक्रामक?

मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं बीजेपी बंगाल में लगातार मजबूत होती जा रही है. बीजेपी कांग्रेस और सीपीएम को पीछे छोड़कर दूसरे नंबर पर पहुंच गई है. बीजेपी अध्यक्ष लगातार बंगाल का दौरा कर ममता बनर्जी के गढ़ में उन्हें चुनौती पेश कर रहे हैं. बीजेपी की सभा में आ रही भारी भीड़ को देखते हुए ममता लोकप्रिय नेताओं के हेलीकॉप्टर उतरने की परमिशन तक नहीं दे रही हैं. ममता को लगने लगा है कि अगर बीजेपी की ताकत बढ़ी तो उनका दिल्ली की ओर रुख करने का सपना चकनाचूर हो जाएगा.

इसलिए ममता शारदा चीटफंड घोटाले की जांच को भी राजनीतिक रंग देकर पूरे विपक्ष को गोलबंद कर अपनी ताकत का परिचय बीजेपी समेत कांग्रेस और तीसरे मोर्चे के कद्दावर नेताओं को करा दिया जो प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले हुए हैं.

यह तीसरा मौका है जब ममता सड़क पर उतरी हैं और इससे पहले अपन मंत्री की गिरफ्तारी के बाद सड़क पर उतरी थीं. जाहिर है मोदी विरोध की राजनीति का ध्रुव बनने की चाहत रखने वाली ममता अपने मकसद में कामयाब तो हो रही हैं लेकिन बंगाल में बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता से उन्हें खतरा भी है, अगर उनके गढ़ में बीजेपी ने अगर पटखनी दे दी तो दिल्ली की राजनीति का उनका सपना धराशायी हो जाएगा.

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