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प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने को बीजेपी क्यों नहीं मानती चुनौती?

बीजेपी के नेता प्रियंका गांधी की एंट्री को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं

Updated On: Jan 25, 2019 07:59 PM IST

Amitesh Amitesh

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प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने को बीजेपी क्यों नहीं मानती चुनौती?

कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ‘तुरुप का पत्ता’ चला गया है. प्रियंका गांधी वाड्रा को राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ ही पूर्वी यूपी की जिम्मदारी दी गई है. इसके बाद से ही यूपी में सबसे मजबूत जनाधार वाली बीजेपी की तैयारियों और उसके प्रदर्शन को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. बदलाव कांग्रेस में हुआ है, लेकिन, उस बदलाव के असर को लेकर आकलन बीजेपी के भीतर भी हो रहा है.

हालांकि बीजेपी के नेता प्रियंका गांधी की एंट्री को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री को बीजेपी के लिए फायदे का सौदा बता रहे हैं. उनके मुताबिक, त्रिकोणीय संघर्ष में सीधा फायदा बीजेपी का ही होने वाला है. पार्टी के वरिष्ठ नेता का मानना है कि हर हाल में एसपी-बीएसपी के गठबंधन का ही नुकसान प्रियंका गांधी के आने से होगा.

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दरअसल, बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 42.3 फीसदी और 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में भी 40 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया था. जबकि कांग्रेस को 2014 में 7.5 और 2017 में 6.3 फीसदी वोट हासिल हुआ था. इस लिहाज से बीजेपी और कांग्रेस में कोई तुलना ही नहीं है. लेकिन, बीजेपी के लिए एसपी-बीएसपी के मिलने से चुनौती बड़ी दिख रही है.

हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता इसके लिए भी अपने वोट शेयर बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि अगर हम अपना वोट शेयर 50 फीसदी से ऊपर कर लेते हैं तो मायावती-अखिलेश के एक साथ आने से कोई असर नहीं होगा. बीजेपी के फॉर्मूले के मुताबिक, 10 फीसदी वोट तो दूसरे दलों के खाते में जाएंगे. लेकिन, बाकी बचे 90 फीसदी वोट शेयर में से 42 से 45 फीसदी तक वोट शेयर अगर फिर से हासिल कर लिया जाए तो यह पूरे 90 फीसदी का आधा होगा. इसी तरह, बीजेपी का आकलन है कि 32 से 35 फीसदी तक ही वोट शेयर एसपी-बीएसपी गठबंधन को मिलेगा.

बीजेपी का दावा है कि इस तरह हर हाल में हम 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने में सफल होंगे. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने से अल्पसंख्यक मतों में बिखराव का आकलन कर रही है. पार्टी को लगता है कि कांग्रेस की मजबूती यूपी में तीसरे फोर्स को बढ़ावा देगी और विरोधी दलों में बिखराव का सीधा फायदा उसे ही मिलेगा.

priyanka gandhi

बीजेपी की रणनीति 2019 के चुनाव में भी 2014 की तरह मोदी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के दम पर पार्टी चुनाव मैदान में फिर उतरेगी. हालांकि पिछली बार भी यूपी में वाराणसी की सीट से मोदी को उतारकर पार्टी ने इसका फायदा यूपी से लेकर बिहार तक लिया था. इस बार फिर मोदी वाराणसी से ही मैदान में होंगे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से ही मैदान में होंगे.

हालांकि अभी भी मोदी के वाराणसी के अलावा दूसरी सीट से चुनाव मैदान में उतरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है. इस बात की अटकलें काफी दिनों से लगाई जा रही हैं कि मोदी ओडिशा या नॉर्थ-ईस्ट की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे ओडिशा, पश्चिम बंगाल और नॉर्थ-ईस्ट में पार्टी को फायदा हो सकता है.

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