(राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्यों के नामों का ऐलान किया. इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक, लेखक और स्तंभकार राकेश सिन्हा, मशहूर क्लासिकल डांसर सोनल मानसिंह, किसान नेता राम सकल और प्रसिद्ध मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा शामिल हैं. हालांकि, संसद के उच्च सदन में रघुनाथ महापात्रा के मनोनीत होने को लेकर बीजू जनता दल (BJD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में टकराव की स्थिति है. सीनियर जर्नलिस्ट संदीप साहू इस पूरे मामले पर अपना नज़रिया रख रहे हैं)
समय का पहिया एक बार फिर घुमा है. साल 2014 में पंडित रघुनाथ महापात्रा का नाम राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के लिए आगे बढ़ाया गया था. लेकिन, तब उनका नाम अस्वीकार कर दिया गया था. अब साल 2018 एक बार फिर से उनका नाम इतिहास में दर्ज होने जा रहा है. रघुनाथ महापात्रा ओडिशा से पहले ऐसी हस्ती हैं, जिन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है.
पत्थरों पर जीवन उकेरते हैं राज्यसभा पहुंचने वाले मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा
राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. यह राजनीति ही थी, जिसने 2014 में रघुनाथ महापात्रा को राज्यसभा जाने से रोक दिया था. अब इसी राजनीति के कारण साल 2018 में उन्हें मनोनीत किया गया है. बीजेडी ने साल 2014 में राज्यसभा के लिए रघुनाथ महापात्रा का नाम आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था. अब 2018 में बीजेपी की सरकार में महापात्रा के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ हो गया है.
पिछले लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में रघुनाथ महापात्रा निर्दलीय उम्मीदवार थे, जिनको बीजेडी ने उच्च सदन जाने से रोक दिया था. चुनाव से पहली इसकी प्रबल संभावना जाहिर की जा रही थी कि पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित हो चुके रघुनाथ महापात्रा चुनाव जीत लेंगे, लेकिन ऐन वक्त पर बीजेडी सुप्रीमो नवीन पटनायक ने उनसे समर्थन वापस ले लिया.
फिर बीजेपी ने रघुनाथ महापात्रा को समर्थन देने का ऐलान किया. हालांकि, चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले थे. पूर्व आईपीएल चीफ और कांग्रेस नेता रनजीब बिसवाल ने रघुनाथ महापात्रा को चुनाव में शिकस्त दी. उन्हें 29 वोट मिले, जबकि महापात्रा के पक्ष में सिर्फ 20 वोट गए.
बीजेपी को उम्मीद कुछ और थी
राज्य में बीजेडी की सरकार बनने के बाद ये दूसरा मौका था, जब आधिकारिक तौर पर सत्तारूढ़ दल द्वारा क्षेत्रीय या समर्थित उम्मीदवार को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो.
शनिवार को राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए चार सदस्यों में से एक नाम रघुनाथ महापात्रा का निकलने पर राज्य में इसके पहले के चुनाव की कड़वाहट एक बार फिर से ताजा हो गई. बीजेपी ने उम्मीद की थी कि पत्थरों पर जीवन उकेरने वाले रघुनाथ महापात्रा को राज्यसभा जाने का मौका देने के लिए बीजेडी भी सहयोग करेगी. लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है. बीजेपी के इस फैसले से बीजेडी कहीं न कहीं नाखुश है.
बता दें कि शिल्पकार और मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा अब तक लगभग 2000 छात्रों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. देश की पारंपरिक शिल्पकला को सहेजने में उनका बहुत बड़ा योगदान है. उनकी कला की खूबसूरती पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देखने को मिलती है. उनके कई कामों को देश और विदेश में खूब ख्याति मिली. इसमें से एक संसद के सेंट्रल हॉल में लगी भगवान सूर्य की 6 फीट लंबी प्रतिमा है. उनके द्वारा बनाए गए लकड़ी के बुद्धा को पेरिस के बुद्धा मंदिर में रखा गया है.
(लेखक सीनियर जर्नलिस्ट हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)
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