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एलजी हाउस में चल रहे ‘हाई वॉल्टेज ड्रामा’ खत्म होने का कौन बेसब्री से इंतजार कर रहा है?

अरविंद केजरीवाल 30 घंटे से भी ज्यादा समय से एलजी हाउस के वेटिंग रूम में धरने पर बैठे हैं तो उधर एलजी साहब भी अड़े हुए हैं

Updated On: Jun 12, 2018 10:51 PM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

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एलजी हाउस में चल रहे ‘हाई वॉल्टेज ड्रामा’ खत्म होने का कौन बेसब्री से इंतजार कर रहा है?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने तीन मंत्रियों के साथ सोमवार शाम से ही एलजी हाउस के अंदर धरने पर बैठे हुए हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और श्रम मंत्री गोपाल राय एलजी हाउस के अंदर अरविंद केजरीवाल का साथ दे रहे हैं. इस बीच दिल्ली सरकार के एक मंत्री सत्येंद्र जैन ने अनिश्चितकालीन अनशन भी शुरू कर दिया है. उधर आम आदमी पार्टी ने बुधवार शाम को बड़ी संख्या में पार्टी समर्थकों के साथ एलजी हाउस के बाहर धरना शुरू करने की योजना बनाई है.

अपने पुराने तेवर में लौट रहे हैं केजरीवाल और आम आदमी पार्टी

बता दें कि सोमवार शाम 6 बजे से ही अरविंद केजरीवाल अपने पुराने तेवर में लौटने के संकेत दे रहे हैं और अपनी मांगों को लेकर उपराज्यपाल के दफ्तर में ही धरने पर बैठ गए हैं. दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने एलजी हाउस के आसपास भारी सुरक्षा बंदोवस्त किए हैं. दिल्ली पुलिस के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बावजूद आप समर्थक सीएम आवास के बाहर बैठकर एलजी और केंद्र सरकार पर हमला बोलते नजर आए.

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आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पीएम मोदी के इशारे पर एलजी अनिल बैजल पर काम करने का आरोप लगाया है. संजय सिंह ने मीडिया के सामने आ कर कहा कि ‘ये लाट साहब का युग नहीं है’.

आमने सामने है आम आदमी पार्टी और दिल्ली के उपराज्यपाल

वहीं पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी केंद्र सरकार और अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इन नेताओं का साफ कहना था कि दिल्ली की जनता के लिए काम करवाना अब हमारी जिद है. पार्टी के विधायक और प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी के बयान से साफ हो जाता है कि एलजी साहब हड़ताल कर रहे आईएएस अफसरों के समर्थन में हैं. सीसीएस और आईएएस कंडक्ट रूल के अनुसार, काम की रफ्तार को धीमा करना भी एक तरह की हड़ताल है. इसलिए ऐसे अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन यहां उपराज्यपाल अनिल बैजल खुद हड़ताल को बढ़ावा दे रहे हैं.

दूसरी तरफ आप नेताओं के आरोप पर आईएएस अधिकारियों और उनके संगठन की तरफ से सोमवार देर रात मीडिया को बयान जारी कर कहा गया कि हम हड़ताल पर नहीं हैं, लेकिन इस माहौल को ठीक करने के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है और सारे आईएएस डरे हुए हैं.

दरअसल यह पूरा मामला करीब 4 महीने पहले दिल्ली के प्रमुख सचिव अंशु प्रकाश के साथ आप विधायकों की कथित मारपीट से जुड़ा हुआ है. वैसे तो यह पूरा मामला अभी कोर्ट में है, लेकिन इस पर इस समय राजनीति चरम पर है.

विपक्षी पार्टियों का आरोप लोकतंत्र का मजाक बना रही है आप

एक तरफ आम आदमी पार्टी के द्वारा दिल्ली सरकार में तैनात आईएएस अधकारियों पर काम न करने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंदर गुप्ता ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल उपराज्यपाल के साथ जोर-जबरदस्ती कर रहे हैं और ये संविधान पर हमला है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी केजरीवाल के धरने को ड्रॉमा करार देते हुए कहा है कि लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है. मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा है, 'ध्यान भटकाओ पार्टी के किरदार संघर्ष बनाम मजाक.'

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हालांकि, अब तक एलजी ऑफिस या आईएएस अधिकारियों की तरफ से दिल्ली सरकार की मांगों पर कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है. ऐसे में अब आम आदमी पार्टी की तरफ से बुधवार को एलजी हाउस का घेराव करने की योजना बनाई गई है.

उपराज्यपाल से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं केजरीवाल

दिल्ली की तप्ती गर्मी और गर्म हवा के बीच अगले कुछ दिनों तक दिल्ली का राजनीतिक तापमान में भी काफी गर्माहट आने वाली है. अरविंद केजरीवाल की इस नई चाल के बाद धरने और भूख हड़ताल की राजनीति में केजरीवाल की दोबारा से वापसी को लेकर भी कयास लगने लगे हैं.

एलजी से मिलने के बहाने एलजी हाउस में दाखिल होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपनी पुरानी वही चाल चली, जिसके लिए वह पहले कभी जाने जाते थे. आंदोलन के दिनों में अरविंद केजरीवाल की यह चाल काफी देखी गई थी. हाल के दिनों में भी उन्होंने अपनी इस चाल को कुछ पुराने अपने विश्वस्त सहयोगियों पर आजमाया था. किसी के घर में जाकर उसको मान-मनोव्वल करना और फिर बाद में उसको पार्टी से किनारा कर देना केजरीवाल की फितरत बन गई थी, लेकिन अब अरविंद केजरीवाल यह चाल दिल्ली के एलजी पर चल रहे हैं.

केजरीवाल का ये धरना 2019 की तैयारी

बता दें कि सोमवार शाम को ही अरविंद केजरीवाल ने अपने तीन मंत्रियों के साथ एलजी हाउस के वेटिंग रूम की तस्वीर पोस्ट कर अपना इरादा जता दिया था. पिछले कुछ सालों स एलजी और सीएम के बीच हो रहे तनातनी से तंग आ कर शायद केजरीवाल अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं.

अरविंद केजरीवाल को करीब से जानने वाले कुछ पत्रकार कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल अब करो या मरो की स्थिति में आ गए हैं. अरविंद केजरीवाल काफी साल बाद धरने की राजनीति में कदम रखा है. इससे पहले उन्होंने अंतिम बार रेल भवन के सामने धरना और भूख हड़ताल किया था. ऐसे में दिल्ली विधानसभा और साल 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल की इस नई चाल को लेकर फिर से चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

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राजनीतिक विश्लेषक अरविंद केजरीवाल के ताजा कदम के मायने खंगालने जुट में गए हैं. इन विश्लेषकों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल धरना और भूख-हड़ताल के जरिए राजनीतिक राह को और सुगम और सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं. बीते कुछ सालों से अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है. पार्टी के घटते और सिमटते जनाधार को लेकर पार्टी के अंदर ही विद्रोही स्वर उठने लगे हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल पार्टी क अंदर और बाहर दोबारा से मजबूत पकड़ बनाने की दिशा में यह कदम उठाया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल भी हट पर अड़े हैं

बता दें कि अरविंद केजरीवाल 30 घंटे से भी ज्यादा समय से एलजी हाउस के वेटिंग रूम में धरने पर बैठे हैं. उधर एलजी साहब भी अड़े हुए हैं. एलजी हाउस की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि ना अफसरों की हड़ताल खत्म करवाऊंगा और ना राशन की डोर स्टेप डिलीवरी वाली फाइल क्लियर करूंगा.

अरविंद केजरीवाल और उनके 3 मंत्रियों ने एलजी से आईएएस अधिकारियों को हड़ताल खत्म करने का निर्देश देने और 4 महीने से कामकाज रोक कर रखे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने सहित कुल 3 मांगें रखी है. जिसे एलजी ने मानने से इनकार कर दिया है. आप सरकार की मांग है कि बाबुओं की हड़ताल को तुरंत खत्म किया जाए, राशन वाली फाइल को क्लियर किया जाए, मोहल्ला क्लीनिक, सरकारी स्कूलों में पुताई और अन्य रुके हुए काम हैं, उन्हें जल्दी शुरू करवाया जाए.

अरविंद केजरीवाल के धरने के बाद दिल्ली पुलिस ने एलजी ऑफिस के पास वाले इलाके में बैरिकेडिंग कर दी है. एलजी ऑफिस के नजदीक किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. दिल्ली पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है. आप के कार्यकर्ता आते तो जरूर हैं पर उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

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