सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव समेत 15 लोगों को दोषी ठहराया है. वहीं कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया है. एक ऐसा घोटाला जिसने लालू यादव के ना सिर्फ राजनीतिक सफर की रफ्तार धीमी की, बल्कि उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी.
इसी घोटाले ने लालू यादव को 1997 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था.
जनवरी 1996: चारा घोटाले मामला सबसे पहले 27 जनवरी 1996 को पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा में पशुधन विभाग पर मारे गए एक छापे के बाद सामने आया. डिप्टी कमिश्नर अमित खरे ने छापा मारकर पूरे मामले का खुलासा किया.
11 मार्च 1996: पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च 1996 को 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने के आदेश दिए.
27 मार्च, 1996: सीबीआई ने इस केस में FIR दर्ज की.
10 मई 1997: सीबीआई ने राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी.
17 जून 1997: राज्यपाल ने लालू प्रसाद यादव और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी.
23 जून 1997: सीबीआई ने लालू और अन्य 55 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 (बी) (आपराधित षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (बी) के तहत 63 केस दर्ज किए गए.
30 जुलाई 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
5 अप्रैल 1997: राबड़ी देवी को भी लालू प्रसाद के साथ आय से अधिक संपत्ति मामले में सह अभियुक्त बनाया गया. पांच अगस्त, 2000 को दोनों ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. राबड़ी देवी को जमानत मिल गई और लालू प्रसाद को जेल जाना पड़ा.
30 जुलाई 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट के समक्ष सरेंडर किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
5 अक्टूबर 2001: नए राज्य (झारखंड) बनने पर सुप्रीम कोर्ट ने केस को वहां ट्रांसफर कर दिया.
फरवरी 2002: रांची के सीबीआई की स्पेशल अदालत में ट्रायल शुरू.
18 दिंसबर 2006: लालू और राबड़ी को आय से अधिक संपत्ति के मामले से मुक्त कर दिया गया.
जून 2007: लालू प्रसाद के भतीजे समेत 58 अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया और उन्हें पांच से छह साल की सज़ा सुनाई गई.
मार्च 2012: सीबीआई अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा और जनता दल-यू के जहानाबाद से सांसद जगदीश शर्मा समेत 31 लोगों के खिलाफ फर्जी बिलों के सहारे बांका और भागलपुर कोषागार से 47 लाख रुपए निकालने के मामले में आरोप तय कर दिए.
13 अगस्त 2013: लालू प्रसाद के ट्रायल कोर्ट के जज को ट्रांसफर करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया.
17 सितंबर 2013: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
30 सितंबर 2013: 30 सितंबर, 2013 को अदालत ने चारा घोटाले में फैसला सुनाया. चारा घोटाले में 17 साल बाद आए फैसले में लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 45 लोगों को दोषी करार दिया गया.
नवंबर 2014: सीबीआई ने झारखंड हाइकोर्ट से उस आदेश को चैलेंज किया, जिसमें उसने चारा घोटाला में पेंडिंग चार अन्य केस को खारिज कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि एक ही केस और सबूत के आधार पर आगे केस नहीं चलाया जा सकता है.
नवंबर 2016: सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले से जुड़े चार लंबित मामलों को खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील को कथित रूप से लंबा खींचने और इसमें विलंब करने के लिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को आड़े हाथ लिया.
मई 2017: मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील को मंजूर करने के साथ लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से संबंधित अलग-अलग मामलों में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा था कि प्रत्येक अपराध के लिए पृथक सुनवाई होनी चाहिए.
13 दिसंबर 2017: सीबीआई कोर्ट में बहस पूरी हुई.
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