जो काम कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल पिछले चार सालों में नहीं कर पाए उसे अरविंद केजरीवाल ने महज चार लाइनों में लिख कर निपटा डाला. दरअसल केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल के उस नेता से लिखित रूप से माफ़ी मांग ली है जिसे उन्होंने पंजाब चुनाव के दौरान ड्रग माफिया कह कर संबोधित किया था. केजरीवाल ने शिरोमणी अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांग कर एक तरह से अपनी ही आम आदमी पार्टी को पंजाब में ध्वस्त कर डाला है.
पंजाब में पिछले चुनावों के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी एक सशक्त विपक्ष के रूप में उभरा था लेकिन अब केजरीवाल के माफीनामे के बाद इसमें फूट पड़ती दिखाई दे रही है. माफी को लेकर पार्टी के विधायकों और सांसदों में गंभीर मतभेद हैं.
क्या है यह मामला?
ये मामला 2016 का है जब अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के अनेक नेताओं ने अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग व्यापार से जुड़े होने का आरोप लगाया था. इस आरोप के विरोध में मजीठिया ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठोंक दिया था. पंजाब के अधिकतर आम आदमी पार्टी के नेताओं का मानना है कि केजरीवाल को माफी मांगने के बजाए मुकदमे का सामना करना चाहिए था.
आम आदमी पार्टी के पंजाब इकाई के प्रमुख भगवंत सिंह ने इसके विरोध में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. सांसद मान ने इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्हें ये सुनकर सदमा लगा की उनके नेता ने मजीठिया से माफ़ी मांग ली है.
मान ने कहा कि वो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा जरूर दे रहे हैं लेकिन एक आम आदमी की हैसियत से पंजाब के ड्रग माफियाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी.
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लुधियाना के दाखा से विधायक एच एस.फुल्का ने ट्वीट में लिखा कि उनकी समझ से पंजाब के हित में ये है कि पार्टी के विधायक पार्टी छोड़ने के बजाय अधिक स्वायत्ता की मांग करे.
In best interest of Pb, my suggestion to Pb AAP MLAs- demand autonomy, not a separate party.AAP Punjab should function as a Regional party with a alliance with national https://t.co/4uzQ9yQPVx Punjab matters,total independence & on national issues, go by National leadership.
— H S Phoolka (@hsphoolka) March 17, 2018
फुल्का चाहते हैं कि पंजाब की 'आप' एक राज्य स्तरीय पार्टी बने जिसका केंद्रीय 'आप' के साथ गठबंधन हो. पंजाब के मुद्दे पर पार्टी स्वतंत्र तरीके से काम करे और राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रीय नेतृत्व का कहना माने. जाहिर है पार्टी को टूट से बचाने के लिए फुल्का ये फार्मूला आजमाने की वकालत कर रहे हैं.
लेकिन पंजाब के लिए अलग पार्टी की मांग कोई नई मांग नहीं है. पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को जबरदस्त झटका लगा था. चुनावों में पार्टी के राज्य की 117 सीटों पर उम्मीदों से बहुत कम महज 20 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद ये मांग उस समय भी उठी थी.
पिछले साल दिसंबर में पूर्व पत्रकार रहे चुके और खरड़ से पार्टी के विधायक कंवर सिद्धू ने केजरीवाल को एक पत्र लिखा. पत्र में सिद्धू ने लिखा कि पार्टी की पंजाब इकाई को स्वायत्ता मिलनी चाहिए जिसके अंतर्गत उसे अपने पार्टी के सदस्यों का चुनाव, पार्टी का संविधान, मेनिफेस्टो, फंडिंग आदि के बारे में विधानसभा और निकाय चुनावों में पूरी तरह से छूट मिले. सिद्धू का मानना है कि पार्टी के दो स्वरूपों से पार्टी को फायदा ही मिलेगा.
क्या टूट जाएगी आम आदमी पार्टी?
पार्टी के अंदरुनी सूत्रों के मुताबिक कम से कम 13 विधायक विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह और कंवर सिद्धू के संपर्क में है और वो पार्टी तोड़ कर अलग राज्य स्तरीय पार्टी के गठन के लिए तैयार हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि 20 में से 18 विधायक केजरीवाल के माफी से नाराज हैं और उन्होंने माफीनामे के बाद एक बैठक करके पार्टी तोड़ने पर विचार भी किया है.
केजरीवाल के माफी से केवल आप के विधायक ही नाराज नहीं हैं बल्कि उनके सहयोगी भी उनके इस कृत्य पर उनका साथ देने से इंकार कर रहे हैं. पार्टी की पंजाब की एक मात्र सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी ने भी आम आदमी पार्टी से अपने संबंध तोड़ लिए हैं.
2 विधायकों वाली लोक इंसाफ पार्टी के सिमरनजीत सिंह बैंस ने केजरीवाल की माफी के बाद उनपर हमला करते हुए कहा कि केजरीवाल गद्दार हैं और उन्होंने पंजाबियों को धोखा दिया है. बैंस ने कहा कि केजरीवाल के कसम खायी थी कि वो मजीठिया के सामने कभी नहीं झुकेंगे लेकिन माफी मांग कर केजरीवाल ने पंजाबियों के साथ फ्रॉड किया है.
कैसे शांत होगा विधायकों का गुस्सा
विधायकों के गुस्से को शांत करने और स्थिति को संभालने के लिए पार्टी नेतृत्व ने रविवार को दिल्ली में पंजाब के नेताओं की एक बैठक बुलाई. इस बैठक के लिए सभी विधायकों को न्यौता भेजा गया लेकिन अधिकतर ने ये कह कर जाने से इंकार कर दिया कि अगर पार्टी बैठक करके अपना पक्ष रखना चाहती है तो वो चंडीगढ़ आकर उनके साथ बैठक करे.
पार्टी के को-प्रेसिडेंट और सुनाम से विधायक अमन अरोड़ा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अरोड़ा ने कहा कि स्वायत्ता पर पहले से बात चल रही थी लेकिन कुछ विधायकों ने पार्टी से अलग होने का मन बना लिया है. यहां तक कि राजनीतिक विश्लेषक भी पंजाब में आप से इतर तीसरे मोर्चे की संभावना देखने लगे हैं.
ख्याति प्राप्त आर्थिक विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक सरदार सिंह फेसबुक पर लिखते हैं कि 'अगर पंजाब में प्रजातंत्र को जिंदा रखना है तो पंजाब में एक राज्य आधारित तीसरी शक्ति का उदय होना चाहिए. ये राजनीतिक मोर्चा तीसरे मोर्चे के रूप में समाने आ कर लोगों को एक तीसरा राजनीतिक विकल्प प्रदान करे क्योंकि पंजाब में तो आप ने अपना आधार लगभग खो दिया है.
कम से कम पचास ईमानदार लोग जो चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं वो आगे आकर एक नए राजनीतिक मंच का गठन कर सकते हैं जो राज्य के लोगों को एक तीसरा विकल्प दे सकता है.
मजीठिया की छवि नहीं सुधरी, केजरीवाल की छवि बिगड़ी
पटियाला के पंजाबी विश्विद्यालय के राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर जतिंदर सिंह कहते हैं कि केजरीवाल के माफीनामे से मजीठिया की छवि में तो सुधार नहीं हुआ, लेकिन केजरीवाल और आप की छवि जरूर धूमिल हो गई है.
केजरीवाल की छवि पहले से ही सवालों के घेरे में थी लेकिन अब माफी के बाद तो और इस पर और नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. सिंह का दावा है कि पंजाब इकाई आप की मूल इकाई से इसलिए अलग होने का सोच रही है क्योंकि केजरीवाल की माफी के बाद वहां कि राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई हैं.
पंजाब में आम आदमी पार्टी का फिसलना जारी है. 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने राज्य की 13 सीटों में से 4 पर कब्जा किया था. 2017 विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 117 सीटों में से महज 20 पर जीत हासिल की. लेकिन इस साल 24 फरवरी को हुए राज्य के सबसे बड़े लुधियाना नगर निगम के 95 सीटों में से केवल एक पर सफलता मिल सकी जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस 62 सीटें जीतने में सफल रही. पिछले साल दिसंबर में हुए अमृतसर,जालंधर और पटियाला नगर निगम के चुनावों में पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी थी.
चुनावों में बड़ा मुद्दा था ड्रग्स
पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में ड्रग्स के व्यापार को एक बड़ा मुद्दा बनाया था लेकिन जनता ने जहां आप को केवल 20 सीटें दी वहीं कांग्रेस के खाते में 77 सीटें आईं.
आम आदमी पार्टी की अंदरूनी उठापटक से एक शख्स सबसे ज्यादा खुश है और वो है बिक्रम सिंह मजीठिया. केजरीवाल के माफी से उत्साहित मजीठिया कह रहे हैं कि केजरीवाली की माफी ने दिखा दिया है कि बेसिर पैर के आरोपों की राजनीति नहीं चलेगी.
मजीठिया गर्व के साथ बताते हैं कि ये ऐतिहासिक क्षण है जब पहली बार पद पर बैठे एक मुख्यमंत्री ने कोर्ट में लिखित रूप से माफी मांगी है जिसमें उनके खिलाफ कहे गए सभी आरोपों को वापस लिया गया है और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए खेद जताया गया है. इस पूरे प्रकरण से भले ही पूरा फायदा किसी को न मिला हो लेकिन नुकसान केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को जरूर हो गया है.
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