तृणमूल नेता और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अपने राजनीतिक विरोधियों की खूबियों को भी अपने फायदे की तरह इस्तेमाल करने के लिए जानी जाती हैं. ममता का यह अंदाज उन्हें स्मार्ट राजनेता बनाता है. ऐसा लगता है कि उन्होंने लेफ्ट के एक मजबूत औजार को अपना असरदार हथियार बना लिया है. वोटरों तक पहुंच बनाने के लिए वह और उनकी पार्टी नुक्कड़ नाटकों का सहारा ले रही हैं. साथ ही, इसके जरिये विपक्ष पर संकतों और परोक्ष तरीके से तीखा निशाना भी साध रही हैं.
नुक्कड़ नाटक से जनता और विपक्ष दोनों को साध रहीं ममता
नुक्कड़ नाटक सत्ता तंत्र के खिलाफ परोक्ष तरीके से बात करने का लंबे समय से अहम टूल रहा है. मुख्य तौर पर वामपंथी रुझान वाले कलाकार इस माध्यम का इस्तेमाल करते रहे हैं. पश्चिम बंगाल की पिछली लेफ्ट सरकार ने नाटकों के इस स्वरूप का इस्तेमाल जनता के बीच अपने राजनीतिक संदेश फैलाने के लिए किया. खासतौर पर चुनाव के दौरान वामपंथी पार्टियों ने बंगाल में इसका जमकर इस्तेमाल किया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अपने गृह राज्य के आम लोगों और बुद्धिजीवियों की पसंद-नापसंद से भलीभांति वाकिफ हैं और उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलने के लिए स्ट्रीट थिएटर यानी नुक्कड़ नाटक को अपनाया है. पश्चिम बंगाल में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने कला के इस माध्यम का इस्तेमाल किया और अब वह राज्य में पंचायत चुनाव की खातिर इसे आजमा रही हैं.
ममता के लिखे नाटक 'जयतु' का प्रदर्शन
इस सिलसिले में हालिया नाटक 'जयतु' (विजेता) है, जिसे खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा है. इस नाटक में विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के जरिये सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के अलावा तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक विरोधियों (सीपीएम और भारतीय जनता पार्टी) पर भी तंज कसा गया है. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले कई थिएटर ग्रुप मंच पर या चौक-चौराहे या गलियों में नाटक खेलने में जुटे हैं.
ममता बनर्जी इस खेल की पहले ही पुरानी खिलाड़ी हैं. उन्होंने कला के इस माध्यम में खुद को सफल साबित किया है. उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए इस माध्यम का पहली बार इस्तेमाल 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में किया था. उस वक्त उन्होंने राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए 25 मिनट के नाटक 'जयतु' की कहानी लिखी थी. इस नाटक को पेश किए जाने का मकसद राज्य के ग्रामीण इलाकों और पढ़ी-लिखी शहरी आबादी के ज्यादा से ज्यादा वोटरों तक पहुंचना था. उनका नाटक पूरे राज्य में जात्रा (बंगाल का लोक नाटक) फॉर्म में खेला गया और इसे काफी लोकप्रियता मिली. दरअसल, यह नाटक चुनाव प्रचार के पारंपरिक तरीकों मसलन पोस्टर, नारेबाजी आदि से बिल्कुल अलग था.
संदेश पहुंचाने का ताकतवर हथियार रहे हैं नुक्कड़ नाटक
मशहूर बांग्ला स्टेज, टेलीविजन और फिल्म एक्टर इंद्रजीत देब ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, 'हां, फिलहाल सीएम ममता बनर्जी का नाटक कुछ थिएटर ग्रुप द्वारा खेला जा रहा है. यह मूल रूप से वामपंथियों का आइडिया हुआ करता था, जो चुनाव के दौरान नुक्कड़ नाटक किया करते थे. यह ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच असरदार तरीके से अपना संदेश पहुंचाने का ताकतवर हथियार है. वियतनाम में इस तरह के नाटकों का इस्तेमाल अमेरिका के साथ वियतनाम की लड़ाई के दौरान किया गया. यहां तक कि कोरिया और रूस में भी एक दौर में भी इसका इस्तेमाल किया गया था.'
1970 और 1980 के दशक में कम्युनिस्ट विचारधारा वाले नाटककार और निर्देशक सफदर हाशमी ने अपने नुक्कड़ नाटकों के जरिये गलियों और चौक-चौराहों पर क्रांति का माहौल पैदा कर दिया था. वह जन नाट्य मंच के सह-संस्थापक थे. 1989 में हल्ला बोल नाटक खेलने के दौरान हाशमी की हत्या कर दी गई थी.
पहले नारा, अब नाटक
ममता का नाटक 'जयतु' उनकी पहली रचना नहीं है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कविता संग्रह के अलावा 'माई अनफॉरगेटेबल मेमोरीज' नामक किताब लिखी है. इसके अलावा, उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की तरफ से दिया गया 'मां, माटी मानुष' का नारा भी उन्हीं का है. 2009 के आम चुनावों और 2011में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में यह नारा काफी लोकप्रिय हुआ था. इस नारे के आधार पर बड़ी संख्या पर जात्रा का मंचन किया गया.
लोक नाटकों से जुड़े अतानु प्रमाणिक ने बताया, 'जयतु नामक नाटक से पहले दीदी (ममता) के नारे- मां, माटी और मानुष के आधार पर कई जात्रा का मंचन किया गया. तृणमूल सरकार के विकास का संदेश पहुंचाने के लिए हम सब कई गांवों में जयतु नाटक खेलेंगे.'
बंगाली थिएटर से जुड़े लोगों के मुताबिक, पूरे राज्य में ममता बनर्जी के इस नाटक के मंचन संबंधी अभियान की जिम्मेदारी थिएटर से जुड़ी शख्सियत और राज्य के आईटी मंत्री बी बासु संभाल रहे हैं. लोक नाटक और नुक्कड़ नाटक से जुड़े ग्रुप बड़ी संख्या में गलियों और चौक-चौराहों, ग्राम पंचायत और सार्वजनिक सभाओं में 15 मिनट का यह नाटक खेल रहे हैं.
इस नाटक में प्राथमिक शिक्षा, छात्रों को स्कॉलरशिप, ग्रामीण स्वास्थ्य, लड़कियों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों के लिए स्कीम समेत पश्चिम बंगाल सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और किए गए कामों का प्रमुखता से जिक्र किया है. इसके अलावा, नाटक में अप्रत्यक्ष तौर पर सीपीएम और बीजेपी पर तंज भी कसा गया है. इसमें सीपीएम को 'लाल पार्टी' और बीजेपी को 'भारत जलाओ पार्टी' नाम से संबोधित किया गया है. तृणमूल कांग्रेस ने इस नाटक के माध्यम से वोटरों को संदेश देने की कोशिश के तहत अपने राजनीतिक विरोधियों को विभाजनकारी ताकत बताया है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.