भारतीय राजनीति के लिहाज से साल 2018 काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. इस साल देश के अलग-अलग आठ राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. इन विधानसभा चुनाव परिणाम का सीधा असर देश की राजनीति पर पड़ेगा. क्योंकि 2019 की बडी लड़ाई से ठीक पहले इन चुनाव नतीजों से देश के लोगों के मूड का पता चल जाएगा. 2018 में बह रही बयार अगले साल आने वाली आंधी की आहट का एहसास करा देगी.
हालाकि 2017 के आखिर में बीजेपी के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश से बेहतर परिणाम आया है. बीजेपी के लिए 2018 की चुनौती का सामना करने के लिए 2017 के परिणाम ने ताकत भी दी है. लेकिन, इस ताकत का बीजेपी ने कितना बेहतर इस्तेमाल किया यह तो इस साल में ही पता चलेगा.
दूसरी तरफ, कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी के लिए भी इन आठ राज्यों का चुनाव एक कड़ा इम्तिहान लेकर आएगा. गुजरात में पार्टी के पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद राहुल गांधी का बढ़े मनोबल के साथ बीजेपी पर हमलावर लग रहे हैं.
कांग्रेस की टीम राहुल की रणनीति भी बीजेपी को उसी की रणनीति से मात देने की हो रही है, जिसमें वो सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं. लेकिन, इसका कितना असर होगा यह 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम से तय हो जाएगा.
जिन आठ राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें चार उत्तर पूर्व राज्य हैं. मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में मार्च में विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसके पहले यहां चुनाव संभव है. जबकि, कर्नाटक में 28 मई को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में कर्नाटक में अप्रैल-मई में चुनाव कराए जा सकते हैं. दूसरी तरफ, मिजोरम, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी इस साल के आखिर में विधानसभा का चुनाव होना है. आईए एक-एक कर हर राज्य में चुनावी संभावनाओं का आकलन करते हैं.
मेघालय
सबसे पहले बात मेघालय की करें तो यहां मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है. लेकिन, इस बार बीजेपी कांग्रेस को पटखनी देने की तैयारी कर रही है. शुक्रवार को ही कांग्रेस को उस समय झटका लगा जब पूर्व उपमुख्यमंत्री रोवेल लिंगदोह समेत कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. इनके साथ यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के एक विधायक और दो निर्दलीय विधायकों ने भी सदन से इस्तीफा दे दिया.
राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रोवेल ने बाद में घोषणा की कि इस्तीफा देने वाले सभी आठ विधायक अगले सप्ताह एक रैली में नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल होंगे. मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक थे.
ऐसे में कांग्रेस के भीतर मचे कोहराम में बीजेपी अपने लिए जगह तलाशने की तैयारी में है. ईसाई बहुल इस राज्य में बीजेपी की रणनीति इस बार कांग्रेस से सत्ता छीनने की है.
थोडे दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेघालय और मिजोरम की यात्रा की थी जिसमें उन्होंने मेघालय में शिलॉन्ग-नोंगस्टोइन-रोंगजेंग-तुरा रोड का उद्घाटन किया था. कोशिश विकास की परियोजनाओं के सहारे अपनी पैठ जमाने की है.
त्रिपुरा
त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से सीपीएम सरकार है. मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व में सीपीएम यहां लगातार सत्ता में है. लेकिन,इस बार बीजेपी वामपंथ के गढ़ में तख्तापटल की कोशिश कर रही है. असम सरकार में बीजेपी के ताकतवर मंत्री हेमंत बिस्वसरमा के उपर ही इस बार त्रिपुरा में इस बडे काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है. विस्वसरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस यानी नेडा के चेयरमैन भी बनाए गए हैं. नेडा के माध्यम से बीजेपी पूरे नार्थ ईस्ट में भगवा फहराने की तैयारी कर रही है. इसके लिए संघ की तरफ से भी लगातार काम किया जा रहा है. संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर दसरे पदाधिकारियों का लगातार यहां का दौरा इस बात का परिचायक है कि बीजेपी के साथ-साथ संघ भी किस तरह इस बार नॉर्थ ईस्ट में सक्रिय है.
नागालैंड
नागालैंड में नागाल पीपुल्स फ्रंट की सरकार है. टी आर जेलियांग के नेतृत्व में बनी इस सरकार को बीजेपी का भी समर्थन है.यानी नागालैंड में एनडीए का ही मुख्यमंत्री है. 2013 में एनसीपी के चार विधायकों में से तीन विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला कर लिया था और बीजेपी सरकार को समर्थन दे रही है. नागालैंड में नागालैंड लोकतांत्रिक गठबंधन नाम से इस वक्त बीजेपी का गठबंधन है. इस बार भी बीजेपी की कोशिश है कि नॉर्थ-ईस्ट के इस राज्य में भगवा परचम लहराया जाए.
दरअसल बीजेपी के एजेंडे में नॉर्थ ईस्ट काफी उपर है. बीजेपी की रणनीति लोकसभा चुनाव को लेकर भी यही है कि ज्यादा तादाद में इन इलाकों से सीटें जीती जाई. फिलहाल, असम, अरूणाचल प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी की सरकार है. पार्टी को लगता है कि बाकी राज्यों में भी अगर उसकी सरकार बन जाए तो लोकसभा चुनाव में उसको सीधा फायदा मिलेगा.
कर्नाटक
कर्नाटक में तो अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं लेकिन, बीजेपी ने चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है. दो नवंबर से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक में 75 दिनों तक चलने वाली 'नव कर्नाटक निर्माण परिवर्तन रैली' की शुरुआत कर दी है. इसका नेतृत्व प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बी एस येदुरप्पा कर रहे हैं जिन्हें अगले चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया है. पांच साल बाद बीजेपी सिद्धरमैया के नेतृत्व में चलने वाली कांग्रेस की सरकार से सत्ता छीनने की तैयारी में है.
मिजोरम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिजोरम में भी अपनी पिछली यात्रा के दौरान तुईरिल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था. वहां भी उन्होंने कांग्रेस को विकास कार्य में रोड़ा अटकाने को लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी पिछले सितंबर-अक्टूबर में मिजोरम का दौरा किया था. शाह की कोशिश पार्टी को मजबूत कर मिजोरम में सत्तारूढ कांग्रेस की सरकार को बदलने की है.
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में 2003 से ही लगातार बीजेपी की सरकार है. यहां नवंबर-दिसंबर में चुनाव संभव है. जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 12 सालों से लगातार मुख्यमंत्री हैं. मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान की लो प्रोफाइल छवि और उनके कामों को लेकर पार्टी से लेकर जनता के बीच उनकी पैठ बरकरार है.
लेकिन, 15 साल की एंटीइंबेंसी फैक्टर को लेकर कांग्रेस की भी उम्मीद बढ़ गई है. कांग्रेस मध्यप्रदेश में इस बार व्यापम समेत कई घोटाले को मुद्दा बनाने की तैयारी में है. लेकिन, उसके लिए असल चुनौती ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच की गुटबाजी खत्म करने की होगी.
छत्तीसगढ़
छत्सीगढ़ में भी 2003 से ही बीजेपी की सरकार है. यहां भी नवंबर-दिसंबर में ही चुनाव होना है. यहां लगातार तीन बार से रमन सिंह ही मुख्यमंत्री हैं. आदिवासी बहुल इस राज्य में बीजेपी इस बार भी सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी. लेकिन, कांग्रेस यहां भी सत्ता विरोधी रूझान का फायदा उठाने की फिराक में है. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के लिए रमन सिंह के खिलाफ किसी दमदार चेहरे की कमी खल रही है.
राजस्थान
राजस्थान में विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही साल के आखिर में होना है. लेकिन, राजस्थान में कांग्रेस की तरफ से इस बार बीजेपी को तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. 2013 में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद सत्ता में आई बीजेपी के लिए इस बार काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पिछली बार बीजेपी ने राज्य की 200 में से 163 सीटों पर जीत हासिल की थी.
कुल मिलाकर 2018 का विधानसभा चुनाव 2019 के फाइनल के पहले सेमीफाइनल के तौर पर ही देखा जा रहा है. सेमीफाइनल में जीतने वाला ही फाइनल में बढ़े मनोबल के साथ मैदान में उतरेगा.
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