उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की मांग की गई है. ये मांग कहीं और से नहीं, मुस्लिम समुदाय की तरफ से ही उठी है. राज्य के मदरसा वेलफेयर सोसायटी (एमडब्ल्यूएस) के सदस्यों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर इसकी मांग की है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस मांग को खारिज भी कर दिया गया है. प्रदेश के मदरसा बोर्ड ने एमडब्ल्यूएस की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है. उसका कहना है कि ये व्यवहारिक नहीं है.
रिपोर्ट के मुताबिक एमडब्ल्यूएस के चेयरपर्सन सिब्ते नाबी ने कहा कि हम चाहते हैं कि मदरसे के छात्रों का भविष्य उज्जवल हो और वो आयुर्वेद की पढ़ाई भी कर सकें. चूंंकि आयुर्वेद की पढ़ाई संस्कृत में होती है, इसलिए मदरसों में संस्कृत को भी पढ़ाया जाना चाहिए.
अंग्रेजी के अलावा फारसी और अरबी की होगी पढ़ाई, संस्कृत नहीं
उनके इस सुझाव पर उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड का कहना है कि मदरसों में संस्कृत की शिक्षा को लेकर हमें कोई पत्र नहीं मिला है. फिलहाल अंग्रेजी प्राथमिकता हैं, जिन्हें मदरसों में पढ़ाया जाना आवश्यक है.
इसके अलावा मदरसों में केवल एक ही भाषा पढ़ाई जा सकती है. इसके लिए अरबी और फारसी विकल्प के तौर पर मौजूद हैं.
ऐसे में संस्कृत को शामिल करने के लिए अरबी और फारसी को नहीं छोड़ा जा सकता है. मांग करनेवालों को ये बात समझनी होगी. फिलहाल 297 मदरसे उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड से जुड़े हैं.
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