इस महीने के अंत में होने वाले उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. पार्टी के इस कदम को एसपी-बीएसपी गठबंधन के लिए एक तरह से समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है. इस गठबंधन ने हाल ही में बीजेपी को दो सीटों पर हराया था.
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के समय में आखिरी समय में हुए अखिलेश यादव और मायावती के गठबंधन ने दोनों सीटों से जीत प्राप्त की थी. गोरखपुर लोकसभा से योगी आदित्यनाथ दो दशक से सांसद थे जबकि फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से 2014 में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को जीत मिली थी.
उन उपचुनावों में मिली जीत से उत्साहित इस गठबंधन में उम्मीद जगी है कि अगर सही से अपने रणनीति पर चला जाए तो 2019 में बीजेपी को हराया जा सकता है.
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, एक कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी 28 मई को होने वाले किसी भी उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतार रही है. वाबजूद इसके की इस महीने के आखिर में होने वाले उपचुनाव के क्षेत्रों में पार्टी की अच्छी पकड़ भी है.
उत्तर प्रदेश की कैराना और नूरपुर दोनों सीटें काफी वक्त से खाली थीं. कैराना के पूर्व बीजेपी के सांसद हुकुम सिंह का निधन हो गया था. अब इसी सीट से उनकी बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया जा रहा है.
कैराना लोकसभा सीट में जाट और गुर्जरों की काफी तादाद है. वो यहां बड़ा वोट बैंक हैं. अब तक गुर्जर बीजेपी के साथ रहे हैं. अब पार्टी ने सिम्पैथी वोट लेने के लिए मृगांका सिंह को यहां उतारा है.
नूरपुर में भी बीजेपी एमएलए लोकेंद्र चौहान का निधन हो गया था. अब इस सीट से उनकी पत्नी अवनि सिंह को टिकट दिया गया है.
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