नवंबर में ईरान पर लागू होने वाले अमेरिकी प्रतिबंधों के शुरू होने से पहले भारत ने कहा कि तेल की उपलब्धता की समस्या बड़ी नहीं है. बल्कि एक बड़े तेल सप्लायर को खोने के भय से इसकी कीमतें बढ़ रही हैं, और इसके आगे भी बढ़ने की आशंका है.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को इंडिया एनर्जी फोरम से अलग पत्रकारों से कहा, 'पहले दिन से, हम कह रहे हैं कि क्रूड ऑयल की उपलब्धता की समस्या नहीं है. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में यह काफी मौजूद है.'
पेट्रोलियम मंत्री ने ईरान से तेल खरीदने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट मांगने को लेकर पूछे गए सवाल को खारिज करते हुए कहा, 'वो इस पर देश की राय रख चुके हैं. उनके पास इस पर नया कुछ कहने को नहीं है.'
इस महीने के शुरू में क्रूड ऑयल का दाम 86.74 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. यह 4 साल में सबसे अधिक था. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक पर यह जिम्मेदारी है कि वो बाजार में स्थिरता बनाए रखे. इससे तेल आयातक और निर्यातक दोनों को फायदा होगा.
पिछले हफ्ते प्रधान ने कहा था कि दो सरकारी रिफाइनरी ने ईरान से नवंबर के लिए 1.25 मिलियन टन ऑइल इंपोर्ट की बुकिंग की थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते मई में ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते को रद्द करते हुए उस पर दोबारा आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी.
भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. वो अपने उपयोग का 80 प्रतिशत से ज्यादा ईंधन विदेशों से आयात करता है. इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है. ईरान से भारत को उसके उपयोग का लगभग 10 प्रतिशत तेल हासिल होता है.
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