किसी को खबर नहीं थी कि क्या होगा? उत्तर प्रदेश की जनता, जो बीजेपी को ऐतिहासिक बहुमत देने के बाद प्रतीक्षा कर रही थी कि देखें इस प्रचंड बहुमत के बदले में बीजेपी और संघ का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश की रहनुमाई किसके हाथ में सौंपता है. 18 मार्च की शाम तक ऊहापोह का ये वातावरण बिलकुल उस स्तर तक पहुंच गया था जैसे रमजान का समय. कब अजान होगी, कब रोजा खुलेगा?
सबका साथ, सबका विकास
मुख्यमंत्री कौन बनेगा,एलान हुआ. योगी (अब महंत) आदित्यनाथ होंगे उत्तर-प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री. राजनाथ सिंह या मनोज सिन्हा जैसे नामों पर दांव लगाने वाले सन्नाटे में आ गए. पिछले कुछ दिनों में, ‘सबका साथ, सबका विकास’ वाले झंडे तले और मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व की वकालत करने वालों में वो लोग भी शामिल होते दिखे थे, जिनसे इस तरफ आने की उम्मीद नहीं थी.
ऐसे समय में, जब लग रहा था कि ये देश एक नए राजनीतिक परिवर्तन का मूड बना चुका है, ‘पॉलिटिकली करेक्ट एंड इकोनोमिकली राइट’ जैसी सोच रखने वाले अपनी-अपनी दलीय-सीमाओं को छोड़कर, अपनी खामोश ताकत से मोदी का हौसला बढ़ाने के लिए निकल पड़े थे, थम गए.
मोदी की वकालत करने वालों भाषा बदल गई
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई. जनता की अदालत में मोदी की वकालत करने वाले वकीलों की भाषा शैली बदल गई. वाट्सऐप पर उन वीडियोज की भरमार लग गई जिसमें योगी जी अपनी चिरपरिचित अंदाज में माहौल को गरमा रहे थे. लखनऊ की जबान में कहें तो लुब्बो-लुबाब ये कि, ये क्या हो गया?
अगला प्रश्न था, मुसलमान नाम से पुकारे जाने वाली प्रदेश की लगभग चार करोड़ जनता अपने नए चीफ मिनिस्टर के बारे में क्या राय रखती है? हमने कई ऐसे लोगों से बात की जिसे हम अपने पाठकों के सामने रख रहे हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे उन्होंने बताया.
अपने नए चीफ मिनिस्टर के बारे में आपकी क्या राय है?
अब्दुल कासिम नोमानी, कुलपति दारुल उलूम देवबंद
'हम क्या प्रतिक्रिया दें... बहरहाल रूलिंग पार्टी जिसको बनाए... उसका अपना अख्तियार है और जो भी बने उसकी जिम्मेदारी है कि प्रदेश की तमाम जनता के साथ इंसाफ का मामला करे... जो भी बना है अब वो किसी पार्टी का चीफ मिनिस्टर नहीं बल्कि तमाम प्रदेश का चीफ मिनिस्टर है इसलिए उसको सबको साथ लेकर चलना चाहिए और सबकी भलाई का सोचना चाहिए.'
डॉ. माजिद देवबंदी, सेक्रेट्री उर्दू अकादमी दिल्ली
'शिद्दत पसंद (अतिवादी) आदमी हैं. उनकी तकरीरों में भी शिद्दत थी लेकिन अब ये उम्मीद की जानी चाहिए की वजीरेआला के ओहदे पर वो आ गए हैं, तो उनको नर्मरवी अख्तियार करनी पड़ेगी और दूसरी बात ये कि योगी को ये ख़याल भी रखना चाहिए कि सख्ती से आप बहुत देर तक काम नहीं चला सकते, नफरतों से बहुत देर तक काम नहीं चलते, इसलिए कि हमारी बुनियाद हिंदुस्तान की मुहब्बत है.'
हैदर नक़वी, पत्रकार, कानपुर
'जहां तक मेरा नजरिया है, योगी विल बी ए वेरी गुड चीफ मिनिस्टर...वो यूपी की नब्ज जानता है... वो इस मामले में मोदी से कहीं से कमज़ोर नहीं है... शमशान कब्रिस्तान वाला जो मोदी के भाषणों में आया, वो इन्हीं का दिमाग था... वो जानते हैं कि बहुमत के क्या इश्यूज हैं, इनसे अच्छी पकड़ किसी की नहीं है.'
'जो मेरा अनुभव है वो मुस्लिम विरोधी भी नहीं है जितना बताया जाता है... या जितना इनके गुरु महंत अवैद्यनाथ थे... हां ये जरूर है कि वहाबी मुसलामानों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी... मुसलमानों में उसको मालूम है कि कौन सा तबका ट्रबलमेकर है कौन सा नहीं है...वो जानता है और उन्हीं के पीछे पड़ा हुआ है...और फिर विधायकों की भी यही राय थी चाहे वो पूर्वांचल के हों या पश्चिम के...वो योगी के अलावा कोई नाम सुनने को राजी ही नहीं थे.'
हसीब सिद्दीकी, जनरल मैनेजर, मुस्लिम बैंक, देवबंद
'ये खबर मैं आपसे ही सुन रहा हूं... सफ़र में था, अभी लौटा हूं... बात देखिए दरअसल ये है कि मुसलमानों के मसायल हैं उसपर गर तवज्जोह करेंगे... प्रदेश की अक्सरियत ने जो मैनडेट दिया है उसका जो है फायदा वो दो तरीके का है की अगर उनहोंने उसी अंदाज़ में काम किया जैसे आरएसएस की पार्टी करती है तो मुल्क बेचैनी में मुब्तिला रहेगा लेकिन अगर विकास के एजेंडे पर जोर दिया गया तो मुल्क तरक्क़ी करेगा... ये मेरा कहना है... मोदी जी को जो समर्थन मिला है उसका ये तकाजा है कि मुल्क को आगे बढ़ाएंगे... मुसलमानों की समस्याओं को खुले दिल से देखें...'
अमीर जैदी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, उन्नाव
'मुबारक हो आपको... अब विकास की गंगा इतनी तेजी से बहेगी कि हतप्रभ रह जाएगी सारी दुनिया... देखिए इन्होंने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं... ज़ाहिर है कि ये क्षत्रिय है, राजपूत है, तो आगे की रणनीति को जहन में रखते हुए... देखिए किसी और नाम से हिंदुत्व पूरा कवर नहीं हो रहा था... इस गेरुवे से हिंदुत्वा पूरा कवर हो गया.'
'दूसरे ये कि ये जो अपनी युवा-वाहिनी वगैरह बनाए रहते थे, और लगातार बीजेपी को तंग किया करते थे, तो वो भी सेटेल हो गया सारा इश्यू... इनका एक अपना अलग एजेंडा था... तो ये सब बहुत कलकुलेशन करके किया गया है. बहरहाल मुबारक हो आपको.'
सिकंदर आलम, व्यापारी, अलीगढ़
'बहुत बढ़िया, बहुत उम्दा कदम, बिलकुल राइट च्वाइस है... देखिए जो नरेटिव सेट किया गया था... जब आपने चुनाव ही उस नरेटिव पर लड़ा है आपने... मुसलमानों को लेकर जनमानस में जो एक भाव है आज की तारीख में, कि मुसलमान होते बहुत कमीने हैं इनको रोकना जरूरी है... अंडर चेक होना चाहिए.'
'सबसे बड़ा मुद्दा पूरे चुनाव में यही रहा है... न विकास न फिकास... लोगों में एक तो ये था कि कहीं मोदी हार गए तो क्या होगा? वो मोदी की हार नहीं बर्दाश्त कर सकते... उनको लगता है कि अगर मोदी हार गए तो हिंदुत्व हार गया... मुसलमान सर उठा लेंगे.'
'आज हमारा ज़माना है तो हम इनको दाब पर रख सकते हैं... तो इस नरेटिव को सूट करने के लिए योगी से बेहतर कुछ था ही नहीं... उनके पास कोई चेहरा ही नहीं था जो इस नरेटिव को निभा सके... यंग लॉट में योगी पोपुलर भी हैं... जो अश्वमेघ यज्ञ होता है वो पूरा हो गया आज.'
मोहम्मद बदरुद्दीन, वरिष्ठ अधिवक्ता, वाराणसी
'ठीक है... अच्छा हुआ है बन गया है... एक आदमी जब कुर्सी पर बैठता है, उसकी थिंकिंग कुछ और होती है, और ओपोजिशन में बैठता है तो कुछ और होता है... मुझे उम्मीद है कि इंशाल्लाह अच्छा ही रहेगा... कोई दिक्कत नहीं होगी.'
'एक डर तो है लोगों में कि एक कट्टर हिंदूवादी की छवि बनी है... खास कर पूर्वांचल में, क्योंकि यहां अगल-बगल जितना इलाका है, इफेक्टेड है... प्रभाव है उनका... लेकिन हम लोग ये उम्मीद करते हैं कि अब गद्दी पर बैठने के बाद अच्छा काम करेंगे... सबका साथ सबका विकास के अंतर्गत काम करेंगे.'
ज़फर मियां, शिक्षाविद, प्रतापगढ़
'मैं तो बहुत खुश हूं, अत्यधिक प्रसन्न हूं, इससे अच्छा कुछ हो सकता ही नहीं था... इसलिए कि अब सब खुल गया... अब क्या है... अभी तक तो ढका-छुपा सब हो रहा था... आप समझ रहे हैं... तो ये बहुत अच्छा है... चलिए... अब कुछ म्यूजिक सुनने दीजिए.'
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