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यूपी चुनाव: मोदी के खिलाफ राहुल-अखिलेश एक होंगे?

फरवरी में चुनावों की संभावना के मद्देनजर राजनीतिक हलचल तेज है

Updated On: Dec 19, 2016 09:46 PM IST

Ambikanand Sahay

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यूपी चुनाव: मोदी के खिलाफ राहुल-अखिलेश एक होंगे?

क्या यूपी में फरवरी महीने में चुनाव होंगे? शायद हां..

आइये आपको वो तीन कारण बताते हैं, जो साफ-साफ इस ओर इशारा करता है.

पहला, ये कि चुनाव आयोग ने बिना कोई कारण बताए 10वीं और 12वीं की परीक्षा अचानक से कैंसिल दी है.

चुनाव आयोग ये भी नहीं चाहता कि यूपी सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड राज्य में 16 से लेकर 20 मार्च तक कोई परीक्षा आयोजित करे.

आयोग ने बोर्ड को साफ-साफ निर्देश भी दे दिया है कि वो परीक्षा की अगली तारीख राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ मिलकर तय करें. जाहिर है इससे तस्वीर काफी हद तक साफ होती है?

दूसरी बात ये कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आजकल कुछ जल्दी में दिखते हैं.

तमिलनाडु में जयललिता के नाम वाली अम्मा नमक से प्रेरणा लेते हुए, अखिलेश भी राज्य में समाजवादी नमक लॉन्च करने की जल्दी में दिखते हैं.

समाजवादी नमक वितरण योजना के अनुसार, ये नमक जिसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन और आयोडीन है. उसे बीपीएल और अंत्योदय कार्ड होल्डर्स को तीन रुपये प्रति किलो की दर से बांटा जाएगा. जबकि गरीबी रेखा से ऊपर वाले परिवारों को ये छह रुपये प्रति किलो बेचा जाएगा.

तीसरा, अपने राजनैतिक विरोधियों को चक्कर में डालने की गरज से मुख्यमंत्री और उनके मंंत्रिमंडल ने  7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में जल्दी दिखाते हुए, उसे जनवरी 2017 से लागू करने का आदेश दे दिया है.

सरकारी कर्मचारियों का साथ जरुरी

अखिलेश के इस फैसले से राज्य के 24 लाख सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारकों को फायदा होगा.

इसकी वजह इन कर्मचारियों को जितना फील गुड फैक्टर देना है उससे ज्यादा ये है कि हर ऑफिस होल्डर सरकार ये चाहती है कि सरकारी कर्मचारी उनकी तरफ होकर रहें क्योंकि वे इलेक्शन ड्यूटी करते हैं.

इसमें कोई शक नहीं है कि हर मुख्यमंत्री को हमसे ज्यादा चुनाव की तारीखों के बारे में पता होता है.

शायद, यही वो कारण है कि मंगलवार को राज्य कर्मचारियों को चुनाव से पहले सौगात देने की घोषणा करने के दौरान उन्होंने अपने इरादे साफ किये.

उन्होंने कहा, ‘ये लोगों के हक में लिया गया फैसला है..हम अपनी अगली सरकार अपने दम पर बनाएंगे...और अगर हमारा किसी से समझौता हो पाता है तो हम ऐसा समान सोच वाले लोगों से करने की कोशिश करेंगे. हम 403 सीटों में से कम से कम 300 में जीत हासिल करेंगे.’

अपनी रौ में बोलते हुए अखिलेश ने आगे कहा-  ‘हम सब काले धन से छुटकारा चाहते हैं, लेकिन बिना किसी तैयारी के किये गए नोटबंदी के फैसले ने आम आदमी को मुसीबत में डाल दिया है. आम आदमी, खासकर किसान बहुत परेशान है. जो भी लोग अपने पैसों के लिए बैंक के सामने लाइन लगा कर खड़े हैं उन्हें अब बीजेपी को सबक सिखाने के लिए लाइन में खड़े हो जाना चाहिए.’

अखिलेश यादव के हाव-भाव से साफ जाहिर हो रहा था कि वे राज्य में चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

Mulayam_Akhilesh

उनके तौर-तरीके ये भी साफ हुआ कि चुनाव सिर्फ यूपी में नहीं बल्कि बाकी के पांच राज्यों में भी जल्दी ही करवाए जाएंगे.

पहला, राहुल गांधी भी अखिलेश की तरह घड़ी की सूईयों के पीछे भाग रहे हैं और दूसरा, ये कि नीतीश कुमार भी पर्दे के पीछे रहकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल बिठाने में लगे हैं.

राहुल का आक्रामक अंदाज

इन सब चीजों को बेहतर तरह से समझने के लिए, ध्यान दें कि राहुल ने आजकल क्या कहना शुरु किया है.

बहुत ही आक्रामक अंदाज में वे बार-बार कह चुके हैं कि अगर उन्हें नोटबंदी के मुद्दे पर संसद मे बोलने नहीं दिया गया तो भूचाल आ जाएगा.

उनका ये भी दावा है कि उनके पास पीएम मोदी के निजी भ्रष्टाचार के सबूत हैं.

उनके शब्द थे, ‘मेरे शब्दों पर ध्यान दें...मेरे पास जो जानकारी है, उससे पीएम मोदी डरे हुए हैं. हमारे पास पीएम की निजी करप्शन की विस्तार से जानकारी है.’

लेकिन राहुल वहीं रुक जाते हैं. क्या ये चुनाव की तरफ इशारा है?  शायद हां. ये बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जब कांग्रेस उपाध्यक्ष के समर्थन में विपक्ष के कम से कम 15 नेता उनके साथ खड़े थे, जब वे मीडिया के सामने ये बयान दे रहे थे.

संसद में अपनी बात कह पाने में नाकाम राहुल गांधी अब अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर उतरेंगे. खासकर, उन राज्यों में जहां चुनाव होने वाले हैं.

उनके पास अब तक पंजाब और यूपी के दो से ढाई करोड़ पीड़ित किसानों की याचिका जमा हो गए हैं.

लखनऊ के सत्ता के गलियारों से आ रही खबर के अनुसार, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन होना तय है.

अजीत सिंह की आरएलडी और मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल भी उनके साथ होंगे.

अखिलेश का राहुल के प्रति झुकाव किसी से छुपा नहीं है और अगर दोनों पार्टियों में समझौता हो जाता है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

अखिलेश के अनुसार, इस पर आखिरी फैसला नेताजी मुलायम सिंह यादव को लेंगे.

मायावती को भी पता है कि अब चुनाव किसी भी वक्त हो सकते हैं.

शायद, यही वो वजह है कि वो आजकल हर रोज प्रेस कॉफ्रेंस कर रहीं हैं और बयान जारी कर रही हैं. ये काफी असामान्य है.

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