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यूपी चुनाव 2017: भाई-बहन की रैली में फिर बाजी मार ले गईं प्रियंका

प्रियंका ने अपने भाषण में जो कुछ भी कहा उसका सार उनके भाई राहुल की कही बातों से ज्यादा अलग नहीं था

Updated On: Feb 18, 2017 05:49 PM IST

Sanjay Singh

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यूपी चुनाव 2017: भाई-बहन की रैली में फिर बाजी मार ले गईं प्रियंका

क्या राजनीति में भी एक किस्म की आस्था होती है? जो सिर्फ इस उम्मीद पर टिकी होती है कि भविष्य आज नहीं तो कल बदलेगा. हमारा नहीं तो आने वाली पीढ़ी का बदलेगा.

अगर ऐसा नहीं होता तो शायद ही आसमान में उड़ते हुए एक काले हेलिकॉप्टर को देख और उसकी आवाज सुनकर यूपी के रायबरेली में कचहरी के गर्ल्स इंटर कॉलेज ग्राउंड में लोग जुटने लगते. क्योंकि यहां कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी पहुंची थीं.

एक छोटा मैदान, जिसके आधे हिस्से में रिजर्व हेलिपैड था. वो राहुल-प्रियंका की मौजूदगी से खचाखच भरा हुआ था. राहुल और प्रियंका की एक झलक पाने को बेताब कुछ लोग तो आसपास के मकान की छत पर खड़े थे.

जो लोग राहुल और प्रियंका को देखने के लिए यहां आए थे. उन्हें भी याद होगा कि रायबरेली में ये पहला मौका था जब राहुल-प्रियंका यानि भाई और बहन एक साथ यहां आए हों. क्योंकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

Priyanka Gandhi

प्रियंका अपनी करिश्माई व्यक्तित्व के कारण जनता में लोकप्रिय हैं

करिश्माई छवि

राजनीति में अक्सर करिश्माई छवि की बदौलत वोटरों को अपनी तरफ लुभाने की परंपरा रही है. लेकिन ये कोशिश इससे परे भी थी.

क्योंकि राहुल-प्रियंका का चुनाव प्रचार के लिए एक साथ बाहर निकलना इस बात की ओर भी इशारा करता है कि ये चुनाव गांधी परिवार और कांग्रेस के भविष्य के लिए कितनी अहमियत रखता है.

सियासत में दिलचस्पी रखने वालों को याद होगा कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस रायबरेली से एक सीट भी नहीं जीत पाई थी. इस बार भी पार्टी के लिए यहां का सियासी समीकरण अनुकूल नहीं दिख रहा है.

शायद इसी वजह से पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले रायबरेली की जनता के बीच राहुल और प्रियंका को आने में इतनी देर भी हुई.

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रैली शुरू होने से ठीक एक घंटे पहले इस संवाददाता ने एक स्थानीय नागरिक से बात की. उनका जवाब था, 'खुद को जनता के सामने लाने से पहले अब तक वो हालात का जायजा ले रहे थे'.

दोनों भाई-बहन रायबरेली के उस विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे जहां पिछले कई दशक से कांग्रेस ने जीत का परचम नहीं लहराया था. ये सीट निर्दलीय विधायक अखिलेश सिंह का मजबूत गढ़ रहा है.

पर, अखिलेश सिंह का स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से खराब है. उनका पिछले तीन साल से कैंसर का इलाज चल रहा है.

लेकिन इस बार यहां का चुनावी मुकाबला बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करता है. अखिलेश सिंह की बेटी अदिति अब कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं. वो प्रियंका गांधी की बेहद करीबी बताई जाती हैं.

Rahul Gandhi

प्रियंका ने इस बार भी सिर्फ रायबरेली और अमेठी तक खुद को सीमित रखा है

अखिलेश सिंह ने ताकत झोंकी

बेटी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अखिलेश सिंह ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लिहाजा, सभी को ये भरोसा है कि इस सीट से अदिति ही जीतेंगी.  इस बात का कोई असर नहीं पड़ता कि वो कांग्रेस पार्टी में भले अब शामिल हुई हों.

मंच के ऊपर राहुल गांधी के बिल्कुल बगल में अदिति बैठी थीं. राहुल मंच पर भाषण देने के लिए जब तक नहीं खड़े हुए थे. तब तक वो अपनी बहन प्रियंका से बातें करते दिखे.

मंच के पीछे बैनर लगा हुआ था जिसमें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन के पॉपुलर चुनावी नारे, 'यूपी को ये साथ पसंद है' लिखी हुई थी.

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लेकिन इस खास मौके पर बैनर और होर्डिंग्स में एक बदलाव भी नजर आ रहा था. राहुल और अखिलेश की तस्वीरों के साथ ही कई बैनर और होर्डिंग्स ऐसे भी थे जिसमें प्रियंका और डिंपल यादव की तस्वीरें भी साथ लगी हुई थी.

मंच पर एक स्थानीय समाजवादी पार्टी नेता राहुल और प्रियंका गांधी को सम्मानित करने के लिए मौजूद थे. लेकिन समूचे मैदान या उसके बाहर कहीं भी समाजवादी पार्टी का न तो कोई छोटा या बड़ा झंडा दिखा.

Lambi : Congress Vice President Rahul Gandhi interact with villagers during an election rally on the concluding day of the campaigning for the state assembly polls in Lambi on Thursday. PTI Photo (PTI2_2_2017_000250B)

राहुल गांधी अपनीे चुनावी भाषणों में नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर हमला बोलते हैं

जनता का पलायन

लेकिन गांधी खानदान की मौजूदा पीढ़ी के नेता और कांग्रेस को जिस बात से सबसे ज्यादा पीड़ा हुई होगी वो कुछ और ही है.

असल में चुनावी मंच से जैसे ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधना शुरू किया, मैदान में इकट्ठा लोग-धीरे धीरे वहां से जाने लगे.

इसमें हर उम्र के लोग शामिल थे, फिर चाहे वो युवा हों, बुजुर्ग हों या फिर वैसे लोग जिन्होंने कुछ देर पहले तक कांग्रेस के झंडे को हाथ में थाम रखा था. यहां तक कि कुछ लोग तो हेलिकॉप्टर को देखने के फौरन बाद मैदान से बाहर निकलने लगे थे.

इसे देखकर समूह में खड़ा एक शख्स चिल्लाया भी कि, 'भाई अपने नेता की कुछ तो इज्जत करो..थोड़ा और सुन लो'. कुछ लोग इस पर हंसने लगे. जबकि एक और शख्स चिल्लाया, 'तुम अंदर क्यों नहीं जाते ताकि मैदान भरा दिखे'.

राहुल ने अपने भाषण में पहले मोदी को फिल्म, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के किरदार शाहरुख़ खान से जोड़ा.

उन्होंने कहा, 'सत्ता की शुरुआत के ढाई साल के दौरान जब वो 'अच्छे दिन' की बात कर रहे थे, तब वो फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के शाहरुख़ खान की तरह थे. लेकिन बाद में वो गब्बर सिंह बन गए'.

हालांकि, यूपी की सियासत से जोड़कर देखें तो डीडीएलजी के शाहरुख़ खान और शोले के गब्बर सिंह के क्या मायने हो सकते हैं इसे समझ पाना बेहद मुश्किल है. भीड़ का मैदान छोड़कर बाहर निकलने का सिलसिला जारी था.

लेकिन, राहुल गांधी लगातार मोदी की आलोचना कर रहे थे. खासकर किसानों की स्थिति और किसानों की कर्ज माफी जैसे पुराने मुद्दों को लेकर, जिसकी बात वो हमेशा से करते रहे हैं.

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राहुल गांधी ने अपने भाषण में पीएम मोदी की नकल की

मोदी की नकल

यहां तक कि राहुल ने प्रधानमंत्री की मिमिक्री भी जनता के सामने प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि जब कर्ज माफी के मुद्दे पर वो प्रधानमंत्री से मिलने गए तब उन्होंने कैसी प्रतिक्रिया दी थी.

राहुल विजय माल्या प्रकरण पर भी खूब बोले. उन्होंने सरकार के नोटबंदी के फैसले और मेक इन इंडिया के अभियान का भी खूब मजाक उड़ाया. उन्होंने कहा कि जल्द ही जनता मेक इन रायबरेली और मेक इन यूपी की बात सुनेगी.

जिन लोगों को आंकड़े में दिलचस्पी है वो इस बात की जानकारी हासिल कर सकते हैं कि अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने कितनी बार मोदी का नाम लिया.

उनके भाषण का हर वाक्य मोदीजी से शुरू और खत्म होता था. इसका मतलब ये हुआ कि तकरीबन हर 15 से 20 सेकेंड में वो मोदी का नाम ले रहे थे.

ऐसे में कोई भी अंदाजा लगाने के लिए आजाद है कि राहुल गांधी ने कितनी बार मोदीजी का नाम लिया होगा.

लेकिन मैदान के बाहर की सड़क पर जहां से राहुल गांधी को साफ तौर पर भाषण देते देखा जा सकता था, वहां खड़े कुछ लोग इससे उकताने लगे थे. उनमें से एक चिल्लाया, 'जल्दी प्रियंका बोलें और काम खत्म हो. इनका (राहुल) सुनने के लिए कौन रुका है'.

जबकि वहीं खड़े एक दूसरे शख्स ने कहा, 'भैया ये तो उनकी रणनीति है कि प्रियंका बाद में बोले, पहले बोल देती तो सब भाग जाते'. इसके बाद ये लोग रायबरेली सदर सीट पर कांग्रेस की चुनौतियों के बारे में चर्चा करने लगे.

New Delhi: Congress Vice President Rahul Gandhi meeting state wise delegation at 10 Janpath, New Delhi on Thursday. PTI Photo (PTI1_12_2017_000140B)

प्रियंका के भाषण न देने से उनको सुनने आई जनता को निराशा हुई

लोगों को निराशा

लेकिन उनके चेहरे पर नाराजगी तब साफ झलकने लगी थी जब ये साफ हो गया कि प्रियंका अब भाषण नहीं देंगी और रैली यहीं खत्म हो जाएगी.

लेकिन लोगों ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'वो प्रियंका को बोलने नहीं दिए ताकि उनके भाई की छवि कमजोर न हो. वो खुद भी अपने बड़े भाई की रणनीति को चौपट नहीं होने देना चाहेंगी और पार्टी भी ऐसा नहीं चाहेगी'.

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हालांकि एक घंटे के बाद खबर आई कि महाराजगंज की रैली में प्रियंका गांधी ने भाषण दिया. इस बात को लेकर कांग्रेस समर्थकों और नेताओं में उत्साह देखा जा सकता था.

खासकर इस बात को लेकर कि प्रियंका ने अपने भाषण में मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यूपी को किसी बाहरी शख्स की जरूरत नहीं है क्योंकि सूबे के लिए 'यूपी के लड़के' पहले से मौजूद हैं.

Priyanka Gandhi

चुनाव प्रचार के दौरान समोधा गांव में प्रियंका गांधी

प्रियंका के तेवर

प्रियंका ने अपने भाषण में कहा, 'मेरे मन में एक बात आई. क्या यूपी को किसी को गोद लेने की जरूरत है? यूपी को किसी भी बाहरी शख्स की जरूरत नहीं है. यहां का एक-एक नौजवान यहां का विकास करेगा. नया विकास करेगा...नया दौर आए और खोखली बातें धरी रह जाएं'.

प्रियंका ने आगे कहा, 'वे हमेशा औरतों के बारे में कहते हैं...मैं औरत हूं...आप औरत हैं...नोटबंदी की और आपकी बचत को बंद किया...वो आपके ऊपर अत्याचार था…क्या उस समय हमदर्दी नहीं थी?

प्रियंका ने जोड़ा, 'बहुत खोखले वादे हो गए. बनारस के लोगों से पूछिए. अमेठी के लोगों से पूछिए राजीव गांधी ने जिस तरह अमेठी को मजबूत किया...क्या उन्होंने बनारस में वैसा किया?'

प्रियंका ने अपने भाषण में जो कुछ भी कहा उसका सार उनके भाई राहुल की कही बातों से ज्यादा अलग नहीं था, लेकिन जिस शैली और तरीके से उन्होंने अपनी बात रखी वो राहुल से अलग थी.

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