नए साल के पहले दिन कड़ाके की ठंड के बीच समाजवादी पार्टी का अंदरूनी घमासान नए मुकाम पर पहुंच गया, जब इस साल तीसरी बार मुलायम सिंह यादव ने अपने भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए बाहर कर दिया.
रामगोपाल पर अनुशासनहीनता के आरोप लगाए गए हैं. लेकिन 1 जनवरी को ही रामगोपाल यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. और मुलायम को मार्गदर्शक की भूमिका थमा दी गई. मतलब नेताजी पर्दे के पीछे कर दिए गए.
कभी खुशी, कभी गम वाले अंदाज में चल रही ड्रामेबाजी के बीच राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की बैठक के दो घंटे बाद ही मुलायम का फैसला आ गया. हालांकि रामगोपाल यादव के आदेश से हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में अधिकतर कद्दावर नेताओं ने हिस्सा लिया. और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पक्ष में खुल कर आए. यही बैठक बुलाने के लिए रामगोपाल यादव को दूसरी बार पार्टी से निकाला गया था.
अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पेश
सम्मेलन में अखिलेश-रामगोपाल गुट की भविष्य की रणनीति की रूपरेखा देखने को मिली.
रामगोपाल ने तीन प्रस्ताव पेश किए- अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष नामित करना, शिवपाल यादव और अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करना और मुलायम सिंह यादव को पार्टी का मार्गदर्शक बनाना. ठीक वैसे ही जैसे बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया था.
इस बैठक में खुद अखिलेश, रामगोपाल, नरेश अग्रवाल, कई मंत्री, विधायक और विधान पार्षद मौजूद थे. इनके अलावा सैकड़ों की संख्या में पार्टी के समर्थक और अखिलेश समर्थक मौजूद थे.
रामगोपाल यादव ने तीनों प्रस्ताव पेश किए और मौजूद भीड़ ने एक सुर से इस पर मुहर लगाई. बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और विभिन्न ईकाइयों का फिर से गठन करने के लिए अखिलेश को अधिकृत किया गया. ये भी फैसला लिया गया कि इन चीजों से चुनाव आयोग को अवगत कराया जाएगा.
अपने संबोधन में अखिलेश ने भीड़ की ओर मुखातिब होकर कहा कि, वह अपने पिता का बहुत सम्मान करते हैं. और पार्टी के खिलाफ जो लोग भी साजिश कर रहे हैं वो उनके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. उन्होंने अपने पिता को सीएम की कुर्सी देने के लिए धन्यवाद किया.
एक जनवरी को ही शाम में अखिलेश ने नरेश उत्तम पटेल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया. यह पद मुलायम के भाई शिवपाल यादव के पास था.
चौबीस घंटे भी नहीं टिक पाए
ये सम्मेलन अखिलेश और शिवपाल खेमे की आपसी लड़ाई में हार-जीत के लिए जारी कवायदों की ही एक कड़ी है.
शिवपाल खेमे ने सम्मेलन के कुछ घंटों बाद ही रामगोपाल को पार्टी से निकाल दिया. और सारे प्रस्तावों को गैर-कानूनी कह खारिज कर दिया. इसके बावजूद मुलायम और शिवपाल दोनों अखिलेश पर चुप ही रहे.
मुलायम ने बाद में नरेश अग्रवाल और किरणमॉय नंदा को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया. उन्होंने पांच जनवरी को फिर से राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने का फैसला किया. लेकिन वो अपने फैसले पर चौबीस घंटे भी टिक नहीं पाए और दो जनवरी की सुबह इसे कैंसिल कर दिया.
इससे पहले, मुलायम ने रामगोपाल के हस्ताक्षर से बुलाए गए सम्मेलन में शामिल होने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी.
अखिलेश यादव ने सुबह-सुबह ही अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए विधायकों की बैठक बुलाई. इसमें लगभग सभी विधायक मौजूद थे. इससे पता चला कि शक्ति प्रदर्शन में अखिलेश आगे निकल गए हैं.
मुलायम और अखिलेश दोनों ही एक-दूसरे खेमे पर बीजेपी से सांठगांठ करने का आरोप लगाते रहे हैं. रामगोपाल ने कहा कि, अमर सिंह बीजेपी के एजेंट हैं और पार्टी में जो भी हो रहा है. वो उन नेताओं के इशारे पर हो रहा है जो बीजेपी के हितों के लिए काम कर रहे हैं.
कब्जे की लड़ाई कोर्ट में
इस ड्रामेबाजी से एक दिन पहले आज़म खान और लालू यादव की पहल से दोनों खेमों में सुलह की खबरें आई थीं. लेकिन अब ये लड़ाई उस मोड़ पर पहुंच गई है जहां मुलायम या अखिलेश के बेहद करीबी भी सुलह की कोशिशों से बचेंगे.
पार्टी के नेताओं और संगठन पर अपनी पकड़ का एहसास अखिलेश ने करा दिया है. अब ताकत दिखाने की बारी शिवपाल की है. ये देखना है कि वो अखिलेश, रामगोपाल और उनके समर्थकों पर क्या कार्रवाई करते हैं.
संयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो जनवरी को लखनऊ में बड़ी रैली की. उन्होंने इशारों-इशारों में यादव परिवार में जारी घमासान पर निशाना साधा. जिसका रैली में जुटे लोगों को पहले से एहसास था.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.