यूपी में बीजेपी के विजयी रथ की रफ्तार में कोई कमी नहीं है. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत तो अब निकाय चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाकर जनता ने फैसला सुना दिया कि योगी कबूल हैं. योगी भी अपनी पहली अग्निपरीक्षा में पास हो गए. लेकिन नतीजों के मायने बहुत कुछ कहते हैं.
बड़ा सवाल ये है कि क्या अयोध्या के राम मंदिर को लेकर चल रही कवायद को यूपी के निकाय चुनाव के नतीजों से जोड़ कर देखा जा सकता है? क्या ये माना जा सकता है कि योगी की हिंदुत्ववादी छवि ने निकाय चुनावों का तोहफा बीजेपी की झोली में डाला है? क्या ये माना जाए कि जिस तरह से धीरे-धीरे राम मंदिर का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद यूपी की आबो-हवा में सांस भर रहा है उससे वोटों का ध्रुवीकरण तेज हो गया है जिसकी असली तस्वीर साल 2019 में दिखाई देगी?
दरअसल बीजेपी के राज्यसभा से सांसद सुब्रमण्यन स्वामी तो शायद यही मानते हैं. उन्होंने बीजेपी की शुरुआती बढ़त पर ही ट्वीट कर लिख दिया था कि, 'निकाय चुनाव में बीजेपी की राम मंदिर लहर दौड़ रही है, 2019 में आने वाले तूफान का इंतजार कीजिए'.
UP local bodies elections BJP rides the Ram Mandir wave. Wait for the typhoon in 2019
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 1, 2017
साल 2019 में लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा इवेंट होगा लेकिन क्या राम मंदिर के अयोध्या में निर्माण का सियासी और औपचारिक एलान भी होगा?
सुब्रमण्यन स्वामी लगातार ट्वीट और अपने बयानों के जरिये राम मंदिर निर्माण की बात करते आए हैं. इससे पहले उन्होंने पटना में कहा था कि अगली दिवाली तक अयोध्या में राम मंदिर पूजा के लिये तैयार हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि ‘राम मंदिर की राह में आई रुकावटों को दूर किया जा रहा है. निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाएगा’. स्वामी ने ये भी कहा था कि सिर्फ विकास की बात से वोट हासिल नहीं हो सकते हैं बल्कि चुनावी कामयाबी के लिये हिंदुत्व जरूरी है.
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अब जबकि आस्था के तौर पर अयोध्या हिंदुओं के लिये सबसे बड़ा प्रतीक है तो ऐसे में अयोध्या में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की दिवाली के बाद अब बीजेपी की जीत में राम लहर की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है.
योगी ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे के साथ सर्व धर्म समभाव की सरकार चला रहे हैं. उन पर अब तक एक भी उंगली नहीं उठी है. हिंदुत्व के एजेंडे पर भी उनका रुख कायम है. फिल्म पद्मावती को लेकर उनका फैसला सबने देखा है. अब निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत दरअसल में योगी की जीत का इशारा कर रही है. साफ संकेत है कि कट्टर हिंदूवादी छवि के बावजूद योगी को सीएम बनाने के फैसले को जनता ने दिल से स्वीकार किया है. वहीं हिंदुत्व को लेकर यूपी की जनता अपनी वोटिंग में धार भी तेज कर रही है.
ऐसे में भले ही मुद्दा कोर्ट में विचाराधीन हो लेकिन आम जनता की नजर में ये राय बनती दिख रही है कि अयोध्या में अगर मंदिर बना तो वो केवल बीजेपी और योगी राज में ही मुमकिन है.
स्वामी निकाय चुनाव नतीजों से उत्साहित हैं क्योंकि इस जीत ने उनके राम मंदिर निर्माण के दावों को पुख्ता करने का काम किया है. स्वामी ने ही इससे पहले ट्वीट करके कहा था कि ‘मुस्लिम सरयू नदी पार मस्जिद बनाने का प्रस्ताव मान लें अन्यथा 2018 में राज्यसभा में जब बीजेपी को बहुमत मिलेगा तो कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया जाएगा’.
Muslim should accept my proposal for a masjid across Saryu. Or else in 2018 on getting the RS majority we will enact a law to build temple
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 21, 2017
There is already a temporary Ramlala temple in Ramjanmabhoomi sanctioned by Supreme Court in 1994. Puja on. Can anyone dare to demolish it?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 21, 2017
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को संवेदनशील बताते हुए संबंधित दोनों पक्षों से आपसी सहमति से हल निकालने का सुझाव दिया था लेकिन मामले के एक प्रमुख पक्षकार ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पेशकश को नामंजूर कर दिया था. उनका मानना है कि दोनों पक्षों की आपसी बातचीत के बजाय सिर्फ कोर्ट से ही इस मसले का हल निकलेगा. मामला कोर्ट में है लेकिन उसकी गर्माहट बढ़ती ही जा रही है. आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर की अयोध्या यात्रा ने भी इसे गरमाने का काम किया है.
बहरहाल अब स्वामी खुद राम लहर पर सवार हैं और निकाय के नतीजों को देखकर वो अनुमान लगा रहे हैं कि साल 2019 में यूपी में राम की लहर नहीं बल्कि सुनामी होगी.
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एकबारगी नतीजे विपरीत होते तो न सिर्फ सवाल एक संन्यासी को सत्ता देने पर उठता बल्कि गुजरात विधानसभा चुनाव के लिये भी उसे बीजेपी के खिलाफ ‘जनमत संग्रह’ करार दिया जाता. अब जीत का सिलसिला जारी है तो फिर बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे और राम मंदिर के मुख्य मुद्दे से खुद को दूर करने की कल्पना भी नहीं कर सकता है. ऐसे में 2019 में राम लहर अगर सुनामी में तब्दील हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये क्योंकि निकाय चुनाव में अयोध्या में पहली बार कमल खिला है तो संकेतों का भी सिलसिला जारी है.
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