उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने पिछड़ा वर्ग आयोग की विभिन्न नियुक्तियों में 'अपने' लोगों को नजरअंदाज किए जाने पर नाराजगी जताते हुए गुरुवार को कहा कि वह अपने पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का जिम्मा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लौटा देंगे.
राजभर ने कहा कि उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग के विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिये 28 लोगों की सूची प्रस्तावित की थी. उन्हें जानकारी मिली है कि उनमें से 27 लोगों की उपेक्षा कर दी गई. आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर मनमाने ढंग से नियुक्ति कर दी गई. ऐसे में उनके मंत्री बने रहने का क्या औचित्य है.
उन्होंने कहा कि वह पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का जिम्मा मुख्यमंत्री योगी को लौटा देंगे. हालांकि दिव्यांग कल्याण महकमे की जिम्मेदारी वह अपने पास रखेंगे.
सत्तारूढ़ बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष राजभर ने कहा कि सरकार ने सामाजिक न्याय समिति की पिछली मई में दी गई सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया है और ना ही लागू करने की उसकी कोई मंशा नजर आती है.
उन्होंने कहा कि समिति ने पिछड़े वर्गों को पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा की श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की थी. प्रदेश में पिछड़े वर्ग की आबादी 44 प्रतिशत है.
राजभर ने बीजेपी को पहले ही अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर वह पिछड़ों के आरक्षण में कोटे की व्यवस्था नहीं करेगी तो 24 फरवरी को उनकी पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ देगी.
बता दें कि प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार विधायक हैं. वैसे भी ओमप्रकाश राजभर पिछले कुछ वक्त में बीजेपी पर काफी हमलावर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में उन्होंने बीजेपी की कई मुद्दों पर आलोचना की है.
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