समाजवादी पार्टी के भीतर पिछले दो महीने से पारिवारिक दंगल जारी है. बुधवार को मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताअों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सिर्फ एक व्यक्ति ही सपा को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और मैं उसकी कोशिश सफल नहीं होने दूंगा.
मुलायम ने व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन स्पष्ट है कि वो व्यक्ति रामगोपाल यादव ही हैं.
मंगलवार को मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ लगभग डेढ़ घंटे तक बातचीत की. लेकिन उसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकाल पाए.
आज अपने दस मिनट के भाषण में पहलवान से सपा सुप्रीमो बने मुलायम सिंह यादव बेहद कमजोर नजर आ रहे थे.
मुलायम ने कहा कि मैंने तो सब कुछ दे दिया है, अब मेरे पास कुछ बचा नहीं है. जब अखिलेश दो साल का था, तब मैंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. मैं किसी भी कीमत पर पार्टी को टूटने नहीं दूंगा.
दिलचस्प बात यह थी कि मुलायम ने पुत्र अखिलेश के खिलाफ एक शब्द भी बोलना उचित नहीं समझा, जिसने उनको पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया है. मुलायम का मानना है कि रामगोपाल के बहाकावे में आकर अखिलेश गलत रास्ते पर चला गया है.
मुलायम का अखिलेश की तरफ झुकाव
दो दिन पहले ही मुलायम ने अखिलेश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके यह जता दिया था कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जो अखिलेश के खिलाफ जाता हो.
अखिलेश के राजनीतिक दुश्मन अमर सिंह व शिवपाल यादव पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे पार्टी में एकजुटता बनाए रखने की खातिर अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं.
मुलायम सिंह के बुधवार के रुख को देखकर यह मानना गलत नहीं होगा कि कल दोनों के बीच हुई बातचीत में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद व रामगोपाल यादव के पार्टी में बने रहने के सवाल पर सहमति नहीं बन पाई, लेकिन इस बात पर जरूर सहमति बनी कि विवाद को इस स्तर पर न ले जाया जाए कि पार्टी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाए.
अखिलेश अब अमर सिंह और शिवपाल यादव के साथ रहकर अपना कोई राजनीतिक भविष्य नहीं देखते और मुलायम सिंह यादव फिलहाल इन दोनों का साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
पिता मुलायम सिंह यादव की सेहत के संदर्भ में अखिलेश को आशंका है कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर ऐसा कोई निर्णय ले सकते हैं, जिससे उनको राजनीतिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि पिता-पुत्र के बीच कोई अंतिम सुलह संभव है.
राजनीतिक व शारीरिक रूप से कमजोर मुलायम सिंह यादव अपने पुत्र अखिलेश से बस इतनी ही अपेक्षा कर रहे हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर उनके सम्मान को बनाए रखा जाए. लेकिन पुत्र की भी राजनीतिक परेशानी हवाई नहीं है.
अखिलेश की झोली में है मुलायम की जमा पूंजी
मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक जीवन लगभग अंतिम पड़ाव पर है, वही अखिलेश का राजनीतिक जीवन शुरू हुआ है.
लखनऊ में एक जनवरी को हुए समाजवादी पार्टी के सम्मेलन में पार्टी के नेताअों व विधायकों की मौजूदगी से ही स्पष्ट था कि मुलायम सिंह यादव की कुल जमा राजनीतिक पूंजी अब पूरी तरह अखिलेश यादव की झोली में पहुंच चुकी है.
मुलायम स्वयं स्वीकार चुके हैं कि अधिकांश विधायक अखिलेश के साथ है. सपा में शुरु हुए विवाद के बाद कई अखबारों में प्रकाशित जमीनी रिपोर्ट में यह बात उभरकर सामने आई है कि सपा के 70-80 वर्ष के समर्थक भी अखिलेश को भविष्य के नेता के तौर पर स्वीकार करते हैं.
बुधवार को मुलायम सिंह यादव अपने कार्यकर्ताअों को संबोधित करते हुए कह रहे थे कि मैं पार्टी को टूटने नहीं दूंगा, तो इसका यह अर्थ भी था कि वे अखिलेश के राजनीतिक भविष्य को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.