अब से बस थोड़ी देर बाद चुनाव नतीजे सामने आने शुरू हो जाएंगे. लेकिन, उससे पहले आइए आपको एक बार नतीजों से पहले और एग्जिट पोल के बाद आखिरी बार पांच राज्यों के चुनाव नतीजों और वोटिंग पैटर्न के बारे बता दें.
हमारे विशेषज्ञों बता रहें हैं कि वे इन चुनाव नतीजों से क्या उम्मीद कर रहे हैं. ये भी कि इन नतीजों का भारतीय राजनीति पर क्या और किस तरह का असर पड़ेगा.
अगर पंजाब की बात करें तो उस बारे में फ़र्स्टपोस्ट के सीनियर एडिटर संदीपन शर्मा कहते हैं, ‘पंजाब में काफी पहले भी एंटी-इनकंबेंसी थी लेकिन कांग्रेस उसका फायदा नहीं उठा सकी थी.
पंजाब के लोग वहां की राजनीति में ड्रग्स, डायनेस्टी पॉलिटिक्स, धक्का पॉलिटिक्स और डेरा के दखल को कम करना चाहते हैं. वे अकालियों को सत्ता से बाहर करना चाहते हैं और ऐसे में अकालियों के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर काम कर रहा है.
पंजाब के ट्रेडिश्निल वोटर कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं. अगर यहां किसी एक पार्टी को फुल बहुमत नहीं मिलती है तो अकाली-कांग्रेस का समर्थन कर सकती है क्योंकि आम-आदमी पार्टी एंटी अकाली टोन पर चुनाव लड़ रही है.
फ़र्स्टपोस्ट के एक्ज्यूकिटिव एडिटर अजय सिंह मानते हैं कि पंजाब में अकाली दल में एक किस्म का नर्वसनेस है. वो हताशा में आम आदमी पार्टी के खिलाफ जाने के मकसद से कांग्रेस का साथ दे सकते हैं.
लेकिन पंजाब के लोग कांग्रेस और अकाली के बीच इस तरह के गठबंधन के विरोध में है, जिसके कारण कई सिख नेताओं ने आम आदमी पार्टी का साथ देने का मन बना लिया है.
इनकंबेंसी फैक्टर
फ़र्स्टपोस्ट के पॉलिटिकल एडिटर संजय सिंह के अनुसार, पंजाब में बीजेपी का ज्यादा दखल नहीं रहा है. इसी वजह से नवजोत सिंह सिद्दु बीजेपी से बाहर गए हैं क्योंकि वे अकालियों के समर्थन के बगैर चुनाव लड़ना चाहते थे.
अकालियों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर बहुत ज्यादा है. बादल का नाम हर चीज से जुड़ जाता है, फिर चाहे वो एक्सिडेंट हो या ड्रग्स.
गोवा के संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार अजय झा कहते हैं कि गोवा में आम आदमी पार्टी की स्थिती बहुत अच्छी नहीं है. आमतौर पर गोवा की राजनीति भ्रष्टाचार के लिए जानी जाती है, पर वहां आप को दो से तीन सीट ही मिलेंगे क्योंकि उसका ध्यान पंजाब पर ज्यादा था.
उनके मुताबिक गोवा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में उसका ट्रैक रिकॉर्ड यहां काफी अच्छा है. हालांकि, ये देखने वाली बात होगी कि क्या यहां त्रिशंकु विधानसभा होगी या बीजेपी और आप के बीच गठबंधन हो सकता है.
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मनोहर पर्रिकर का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी की पसंद होने के बाद पार्टी को काफी फायदा हुआ है क्योंकि पर्रिकर गोवा में बीजेपी के सबसे बड़े और प्रभावी नेता हैं.
अजय सिंह के अनुसार पर्रिकर खुद भी वापिस गोवा जाना चाहते हैं. बीजेपी के लिए भी गोवा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी दूसरे धर्मों के बीच भी अपनी जगह बनाना चाहती है.
सांकेतिक तौर पर बीजेपी के लिए ईसाई राज्य में जगह बनाना बहुत जरुरी है. अजय सिंह कहते हैं कि 90 के दशक में आडवाणी ने कहा था कि राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी बीजेपी का प्रसार हिंदी राज्यों से बाहर नहीं था.
मणिपुर-गोवा
इसलिए गोवा, दक्षिण के राज्यों और मणिपुर जैसे राज्य में बीजेपी का फैलना उसे प्राइमरी पोल पार्टी बना देगी.
संजय सिंह की राय है कि बीजेपी पहले एक उत्तर भारतीय पार्टी थी और उसका आधार बनिया और ब्राह्मण के बीच था. वाजपेयी ने पहली बार नॉर्थ-ईस्ट के लिए एक मंत्रालय मनाया था.
मोदी की नीतियों में लुक नॉर्थ-ईस्ट की पॉलिसी अहम थी. इसी नीति के कारण पहले उन्होंने अरुणाचल में सत्ता पायी, फिर नगालैंड और सिक्किम में जोड़-तोड़ से जीत हासिल कर ली.
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अब अगर बीजेपी मणिपुर जीतती है तो असम के बाद बीजेपी का फैलाव पूरे उत्तर-पूर्व में हो जाएगा.
वरिष्ठ पत्रकार और मुस्लिम मामलों के जानकार तुफ़ैल अहमद कहते हैं कि यूपी में मुसलमान आबादी बहुत ज्यादा है, लगभग आधी आबादी.
पहले राज्यभर के मुसलमान समाजवादी पार्टी को वोट दिया करते थे और बाकी बीएसपी के साथ होते थे. लेकिन इस चुनाव में एक किस्म का रिवर्स पोलराईज़ेशन हुआ जिसका फायदा बीजेपी को हुआ है.
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