गोवा के कांग्रेस के दो एमएलए सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे बीजेपी में शामिल होंगे. दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस एमएलए सुभाष शिरोडकर ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान कर दिया. इस दौरान गोवा बीजेपी अध्यक्ष विजय तेंदुलकर और गोवा की मनोहर पर्रिकर सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे भी मौजूद रहे.
गौरतलब है कि ये दोनों कांग्रेसी विधायक सोमवार रात ही गोवा से दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे जिसके बाद से ही इनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लग रहे थे. कांग्रेस विधायक दयानंद सोपटे 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार और गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर को हराया था. जबकि सुभाष शिरोडकर ने कांग्रेस के टिकट पर शिरोडा विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी.
We are joining BJP today. We expect 2-3 more MLAs to come, not today but in the coming days: Subhash Shirodkar after meeting BJP President Amit Shah #Delhi pic.twitter.com/2VPAZFCh73
— ANI (@ANI) October 16, 2018
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के ये दोनों विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, अगर ये दोनों विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे तो फिर दलबदल विरोधी अधिनियम को लेकर इनपर न ही किसी तरह की कार्रवाई होगी और न ही किसी तरह की शिकायत भी विधानसभा स्पीकर के पास हो सकेगी. लेकिन, अगर इनका इस्तीफा नहीं होता है तो फिर इनके ऊपर सदस्यता जाने की तलवार भी लटकती रहेगी. क्या है गोवा का गणित ?
गोवा की मौजूदा राजनीति में चल रही हलचल को समझने से पहले गोवा विधानसभा के गणित को समझना जरूरी है. इस वक्त 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बीजेपी के 14, एमजीपी के 3, जीएफपी के 3, और 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन बीजेपी के साथ है. यानी 40 में से 22 विधायकों के समर्थन से बीजेपी इस वक्त सरकार में है. दूसरी तरफ, विपक्षी कांग्रेस के 16 विधायकों के अलावा एनसीपी के 1 और 1 निर्दलीय का समर्थऩ कांग्रेस के साथ है. यानी विपक्ष के पास कुल 18 विधायक हैं.
लेकिन, अब कांग्रेस के 2 विधायकों के इस्तीफे और उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 14 हो जाएगी. इस हालात में गोवा विधानसभा में भी विधायकों की कुल संख्या घटकर 40 से 38 हो जाएगी. यानी बीजेपी को सरकार चलाने के लिए महज 20 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.
2017 में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस गोवा में बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस को 40 में से 17 विधानसभा सीटों में जीत मिली थी. जबकि बीजेपी को 13 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन, उस वक्त कांग्रेस रणनीति बनाने में थोड़ी पीछे रह गई और मनोहर पर्रिकर के नाम पर एमजीपी के 3 और जीएफपी के 3 विधायकों ने बीजेपी को समर्थन कर दिया था. दूसरी तरफ, 3 में से 2 निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी का साथ दिया था.
सरकार बनाने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का भी विधायक बनना जरूरी था. उन्होंने फिर से अपनी परंपरागत पणजी सीट से उपचुनाव लड़ा, जहां उनके लिए बीजेपी विधायक सिद्धार्थ कुनकोलीएंकर ने सीट खाली की थी. यानी पर्रिकर की जीत के बाद भी बीजेपी की सीटों की संख्या 13 की 13 रह गई थी. जबकि वालपोई सीट से कांग्रेस के विश्वजीत राणे ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. उपचुनाव में विश्वजीत राणे की जीत हुई जो अब बीजेपी के विधायक भी हैं और गोवा सरकार में मंत्री भी. इस तरह गोवा में बीजेपी के खाते में 14 सीटें हैं और कांग्रेस के खाते में 16 सीटें ही बच पाईं. गोवा में फूट रोकने की ‘कांग्रेसी चुनौती’ ?
अब जबकि दो और विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है, तो अब कांग्रेस की ताकत घटकर बीजेपी के बराबर यानी 14 हो गई है. बीजेपी विधायक सुभाष शिरोडकर ने अभी और कांग्रेसी विधायकों के बीजेपी में आने का दावा किया है. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की ताकत विधानसभा में और कम हो जाएगी. 17 सीटों के साथ गोवा विधानसभा मे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस को विपक्ष में बैठकर संतोष करना पड़ा था. लेकिन, अब कांग्रेस घटकर 14 सीटों पर आ गई है. हालात ऐसे ही रहे तो कांग्रेस ने पर्रिकर के बीमार होने के बाद बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की जो कोशिश की थी, वह बेकार हो जाएगी. क्या है बीजेपी का गोवा प्लान ?
दरअसल, बीजेपी की तरफ से गोवा में बीमार मनोहर पर्रिकर के बदले किसी और को गोवा की कमान देने की संभावना को टटोलने की कोशिश की गई थी. लेकिन, गोवा में पार्टी के भीतर कोई ऐसा चेहरा नहीं दिख रहा है जिसके नाम पर पार्टी विधायकों के साथ-साथ गठबंधन की पार्टियों को भी साथ रखा जा सके. एमजीपी ने पहले ही साफ कर दिया है कि उसका समझौता मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर हुआ है. दूसरी तरफ जीएफपी की तरफ से भी कोई ठोस भरोसा नहीं दिया जा रहा है.
एमजीपी अध्यक्ष दीपक धवलीकर की तरफ से गोवा सरकार में वरिष्ठ मंत्री को मुख्यमंत्री पद देने की मांग की गई थी. सुदीन धवलीकर गोवा सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं, लेकिन, वो एमजीपी के ही विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल है. एमजीपी अगर बीजेपी में विलय कर लेती है तो ऐसा संभव भी है, लेकिन, फिलहाल एमजीपी ने इस तरह की अटकलों को खारिज कर दिया है.यही वजह है कि बीजेपी गोवा को लेकर काफी गंभीर दिख रही है.
पर्रिकर की बीमारी से बीजेपी के सामने संकट
दरअसल, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर पिछले कुछ महीने से बीमार हैं,जिसके चलते उन्हें इलाज कराने देश से बाहर रहना पड़ा है. पर्रिकर ने गोवा के अलावा मुंबई में और फिर अमेरिका में भी इलाज के लिए गए थे. अभी हाल में दिल्ली में एम्स में इलाज कराकर पर्रिकर गोवा लौटे हैं. यहां तक कि गोवा कैबिनेट की बैठक भी एम्स में हुई, जिसको लेकर विपक्षी कांग्रेस ने लगातार मोर्चा खोल रखा है.
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बीमार होने के चलते गोवा में सरकार के ठीक से काम नहीं करने का आरोप कांग्रेस की तरफ से लगाया जा रहा है. कांग्रेस ने गोवा में सरकार बनाने का दावा तक पेश कर दिया है. इसको लेकर कांग्रेस के नेता राष्ट्रपति तक गुहार लगा चुके हैं.
कांग्रेस को लगता है कि गोवा में पर्रिकर के बीमार होने के चलते बीजेपी की पकड़ ढीली हो रही है. यही वजह है कि सरकार ठीक से नहीं चलने देने का हवाला देकर कांग्रेस अब गोवा सरकार के अल्पमत में होने की बात कह रही है. लेकिन, बीजेपी ने उसके दो विधायकों को तोड़ कर फिलहाल कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है.
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