कांग्रेस की रैली 3 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में संपन्न होने के बाद बिहार में महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर फैसला होने की उम्मीद है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली को हिट कराने के लिए बिहार कांग्रेस प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश सिंह और प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल रात-दिन एक किए हुए हैं. इस कड़ी में बिहार के बाहुबलियों का भी सहारा लिया जा रहा है ताकी रैली में भारी भीड़ इकट्ठा करने के बाद बिहार के महागठबंधन में कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा सीट मांगने का दबाव बना सके. कांग्रेस कहने के लिए भले ही अगले लोकसभा चुनाव को 'मोदी बनाम भारत या जनतंत्र' की संज्ञा दे लेकिन बिहार में वो 'लाठीतंत्र' के सहारे ही अपनी नैया पार कराने की फिराक में है.
29 साल बाद कांग्रेस गांधी मैदान में अकेले दम पर कर रही है रैली
दरअसल पार्टी तकरीबन 29 साल बाद पटना के गांधी मैदान में अकेले रैली करने की हिम्मत जुटा पा रही है. कांग्रेस जानती है कि राज्य में जनाधार वाले इक्के-दुक्के नेता ही शेष रह गए हैं जिनके दम पर पार्टी लाखों की भीड़ तो दूर हजारों की भीड़ भी इकट्ठा कर सकती है. इन नामों में कांग्रेस के पूर्व मंत्री जलील मस्तान और रामदेव राय का नाम लिया जा सकता है. लेकिन गांधी मैदान की रैली को ऐतिहासिक बनाने का मादा शायद ही किसी कांग्रेसी नेता में है, इसलिए कई बाहुबलियों की मदद ली जा रही है जिन्हें पुरस्कार स्वरूप कांग्रेस अपने कोटे से टिकट दे सकती है. सूत्रों की मानें तो कई बाहुबलियों के नाम पर आरजेडी को घनघोर आपत्ति है और सही मौके पर वो इसका इजहार भी करेगी लेकिन आरजेडी राहुल गांधी की इस रैली को किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन देने से कोसों दूर है.
कई बाहुबली और दागदार चेहरे कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल
तकरीबन दो सप्ताह पहले नालंदा के दबंग नेता पप्पू खान की पार्टी में इंट्री हो चुकी है. पप्पू खान 20 हजार लोगों के हुजूम के बीच बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. पप्पू खान आरजेडी से एमएलए रह चुके हैं और कई आपराधिक मामलो में उनका नाम भी दर्ज है. लेकिन कांग्रेस उनके जरिए मुस्लिम समाज में अपनी पकड़ मज़बूत करना चाहती है, साथ ही पप्पू खान राहुल गांधी की सभा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाने का माद्दा रखते हैं.
वहीं मोकामा के निर्दलीय विधायक अनंत सिंह 18 जनवरी को गाड़ियों के लंबे काफिले का साथ रोड शो करने पटना से मुंगेर की तरफ निकल पड़े थे. अनंत सिंह मुंगेर से कांग्रेस के टिकट के लिए प्रयासरत हैं. अपने बयान में अनंत सिंह ने दावा किया है कि राहुल गांधी की रैली में लोगों का जनसैलाब उमड़ेगा और गांधी मैदान छोटा पड़ जाएगा. जाहिर है अनंत सिंह भारी संख्या में भीड़ जुटाकर ये साबित करेंगे कि उनकी जनता के बीच गहरी पैठ है इसलिए कांग्रेस मुंगेर लोकसभा सीट उन्हें इनाम के तौर पर सौंप दे.
बाहुबलियों की फेहरिस्त लंबी है जो कांग्रेस में एंट्री का सपना संजोए बैठे हैं. फिलहाल ये सभी राहुल गांधी की रैली को कामयाब बनाने में जुटे हैं. इन नामों में शुमार है सिवान महारजगंज के बाहुबली जितेन्दर स्वामी, शिवहर से सजायाफ्ता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद. साधु यादव भी फिर से कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी में महासचिव पद को सुशोभित कर रहीं रंजीता रंजन के पति पप्पू यादव भी कांग्रेस के संपर्क में हैं और अपनी पार्टी के लिए 3 सीट की मांग पर अड़े हैं.
कहा जा रहा है कि पप्पू यादव भी राहुल गांधी की रैली को हिट बनाने के लिए अपना भारी योगदान दे रहे हैं. मुजफ्फरपुर से पूर्व विधायक रहे विजेन्द्र चौधरी का भी नाम उन नामों में शामिल है जो कांग्रेस में शामिल होने की लाइन में खड़े हैं. विजेन्द्र चौधरी पर भी आपराधिक मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है और वो आरजेडी से लेकर जेडीयू तक अपनी राजनीतिक यात्रा को अंजाम दे चुके हैं. फिलहाल वो नई पारी की शुरुआत कांग्रेस के टिकट पर करना चाहते हैं.
आरजेडी ने फिलहाल कांग्रेस द्वारा बुलाई गई रैली के लिए आजमाए जा रहे तमाम हथकंडों पर पैनी निगाह बनाए हुई है. इनमें से कुछ नामों पर चर्चा महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर पहले से हो रही है, जिस पर आरजेडी शख्त ऐतराज जताकर उन्हें गठबंधन का टिकट देने से इनकार कर दिया है.
रणनीति के तहत कांग्रेस और आरजेडी डाल रहे हैं एक दूसरे पर दबाव
बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात में 15 सीटों की मांग कर चुके हैं. आरजेडी कांग्रेस को 10 सीट से ज्यादा देने की फिराक में नहीं है, वहीं कांग्रेस पटना के गांधी मैदान में भारी भीड़ जुटा शक्ति प्रदर्शन कर आरजेडी पर दबाव बनाना चाह रही है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस चाहती है कि जिस तरह एनडीए में जेडीयू और बीजेपी 17-17 सीटों का बंटवारा कर चुकी हैं उसी तरह आरजेडी भी बड़ा दिल दिखाए और 15-15 सीटों का बंटवारा कर 10 सीटें महागठबंधन के अन्य घटक दलों को सौंप दे. सूत्रों के मुताबिक आरजेडी हर हाल में 20 सीटों पर लड़ना चाहती है और कांग्रेस को 10 सीट से ज्यादा देने को बिल्कुल तैयार नहीं है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इसी रणनीति के तहत एसपी और बीएसपी के गठबंधन के बाद अखिलेश और मायावती से मिलकर उनका आशीर्वाद ले आए हैं. जाहिर है ऐसा कर तेजस्वी ने ये मैसेज देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी भी एसपी और बीएसपी की तर्ज पर कांग्रेस के बगैर चुनावी मैदान में उतर सकती है.
फिलहाल बाहुबलियों के सहारे जनाधार को आंकने की कोशिश कर रही कांग्रेस राहुल की रैली के बाद राजनीतिक सौदेबाजी में किस हद तक कामयाब हो पाती है ये देखना दिलचस्प होगा. लेकिन बाहरी लोगों की धड़ाधड़ एंट्री को लेकर कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता खासे नाराज हैं.
भितरघात का सामना करना पड़ सकता है कांग्रेस को?
पिछले दिनों कांग्रेस की मीटिंग में जहां कांग्रेस के उपाध्यक्ष ब्रजेश पांडे, सुबोध कुमार सहित कांग्रेस के महासचिव चंदन यादव ने शिरकत की थी वहां बाहुबलियों और नए लोगों को शामिल किए जाने को लेकर और उन्हें विशेष तवज्जो देने को लेकर खासी नाराजगी दिखाई गई थी. मीटिंग में कई स्टेट लेवल के पदाधिकारियों ने साफ कर दिया था कि ऐसा होने पर पार्टी के कार्यकर्ता ही पार्टी के विरोध में काम करने को मजबूर होंगे. जाहिर है पिछले पंद्रह सालों में पार्टी के बुरे दिनों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को नए और बाहुबली चेहरों को ज्यादा तवज्जो दिया जाना नागवार गुजर रहा है.
सूत्रों की मानें तो बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मदनमोहन झा भी हाल फिलहाल पार्टी के बदले रुख से खासे नाराज हैं. आलम यह है कि पप्पू यादव जब कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल से मुलाकात कर रहे थे तो मदन मोहन झा को इसकी भनक तक नहीं थी.
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