प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में उन नौजवानों को हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की है, जो अभी गलत रास्ते पर चल रहे हैं. मोदी ने इन भटके हुए नौजवानों के परिवारवालों और माता-पिता से भी अपील करते हुए कहा, ‘उनका (नक्सलियों) मुखिया कौन है, वो बाहर से आए हुए हैं. वो सामने नहीं आते हैं, छिपे रहते हैं, आपके बच्चे को मरवाते हैं, क्या आप अपने बच्चों को ऐसे ही मरने के लिए उनके पीछे भेज देंगे?’
बस्तर संभाग के बीजापुर के जांगला गांव में शनिवार को रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के युवाओं और खासकर आदिवासी समुदाय के लोगों को क्षेत्र के विकास में योगदान देने की अपील की. नक्सलियों के गढ़ में हुई रैली की सफलता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर विकास की राह पर चलने की अपील की.
प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का कितना असर होता है यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन, सरकार की तरफ से नक्सल प्रभावित इन दूर-दराज के गांवों में विकास को लेकर की गई तैयारी की एक झलक देखने को मिल गई.
योजना की शुरुआत के लिए बीजापुर को ही चुना जाना चर्चा के केंद्र में रहा
प्रधानमंत्री ने अपने बीजापुर दौरे में पूरे बस्तर संभाग के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की, लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चा आयुष्मान योजना को लेकर रही. मोदी की तरफ से इस योजना की शुरुआत के लिए छत्तीसगढ़ के बीजापुर को ही चुना जाना चर्चा के केंद्र में रहा.
दरअसल, केंद्र सरकार ने देश भर में 115 ऐसे पिछड़े जिलों का चुनाव किया है, जो अब तक विकास से वंचित हैं. बीजापुर भी उनमें से एक जिला है. सरकार ने अब इन सभी पिछड़े जिलों को विकसित करने पर ज्यादा जोर दिया है.
बीजापुर एक आदिवासी बहुल जिला है और यहां नक्सलियों का प्रभाव काफी ज्यादा है, लिहाजा सरकार की तरफ से इसी जगह को प्राथमिकता देकर एक बेहतर संदेश देने की कोशिश की जा रही है. हालांकि प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 3 महीने में बीजापुर के विकास को लेकर दिखाए गए सकारात्मक रुख के चलते ही यहीं से आयुष्मान योजना की शुरुआत की जा रही है.
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान योजना के साथ-साथ देश के पहले हेल्थ केयर एंड वेलनेस सेंटर का उद्घाटन भी किया. मोदी ने इस मौके पर रैली को संबोधित करते हुए अपनी सरकार के गरीबों, दलितों और आदिवासियों के विकास को लेकर प्रतिबद्धता फिर दोहराया.
इस दौरान पीएम मोदी ने इलाके में विकास की कई योजनाओं की आधारशिला भी रखी, तो कई योजनाओं का उद्घाटन भी किया. उन्होंने नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग को नई रेलवे लाइन का तोहफा दिया है. गुदुम और भानुप्रतापपुर के बीच नई रेल लाइन का उद्घाटन और नए ट्रेन की शुरुआत भी हुई.
रैली में आए लोगों में इस पिछड़े जिले के विकास को लेकर आस दिख रही थी
बीजापुर के जांगला गांव में रैली में आए आदिवासी समुदाय के लोग भी काफी उत्साहित थे. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत करते हुए जंगला गांव से थोड़ी ही दूरी पर बसे बरदेला से आई हुई फगुनी बघेल ने कहा, ‘अब इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक मिल सकेगा, इससे काफी फायदा होगा.’ फगुनी को अपने इलाके में सरकार से विकास की आस है.
भैरमगढ़ से रैली में आया अनबर दुब्बा 7वीं क्लास में पढ़ता है. आदिवासी परिवार का दुब्बा गांव के ही एकलव्य स्कूल में पढ़ाई करता है जो कि आरएसएस की तरफ से चलाया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ाई करने वाले अलबर दुब्बा के अलावा और भी कई स्कूली छात्र प्रधानमंत्री मोदी की रैली में पहुंचे हुए थे. सबके भीतर इस पिछड़े जिले के विकास को लेकर एक आस दिख रही थी.
प्रधानमंत्री ने एक साथ कई योजनाओं का शिलान्यास कर लोगों को निराश भी नहीं किया. मंच पर प्रधानमंत्री का तेंदुपत्ता चुनने वाली बुजुर्ग आदिवासी महिला के पैरों में अपने हाथों से चप्पल पहनाना वहां मौजूद लोगों के दिलों को छू लिया. दरअसल, सरकार चरणपादुका योजना चला रही है जिसके तहत तेंदुपत्ता चुनने वाली आदिवासी महिलाओं के लिए चरण पादुका योजना चलाई जा रही है.
रैली में बोलते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से बस्तर क्षेत्र के विकास को लेकर उठाए गए कदमों का जिक्र किया. रमन सिंह ने उज्जवला योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इससे सबसे ज्यादा एससी-एसटी महिलाओं को फायदा होगा.
सरकार की कोशिश 'न्यू इंडिया' की तर्ज पर 'न्यू बस्तर' बनाने की है
छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव इस साल के आखिर में होना है. इसके बाद अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. सरकार की कोशिश इससे पहले अबतक के सभी कामों को नई धार देने की है. सरकार की तैयारी अधूरी योजनाओं को पूरा करने और नई योजनाओं का शिलान्यास करने की है. कोशिश 'न्यू इंडिया' की तर्ज पर 'न्यू बस्तर' बनाने की है.
इस कवायद से मोदी एक साथ एसटी और एससी को भी साध रहे हैं. अपने वोटबैंक को भी मजबूत कर रहे हैं और नक्सलियों को भी विकास के जरिए साधने की कोशिश कर रहे हैं. नक्सलियों के गढ़ को इकोनॉमिक हब में तब्दील करने की मोदी की मंशा अगर जमीन पर सही तरीके से उतर गई तो फिर नक्सलियों के लिए इस इलाके में अपना पैर जमाए रखना काफी मुश्किल हो सकता है.
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