राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक मनमोहन वैद्य ने तीन दिन पहले संघ का जो एजेंडा गुलाबी नगरी में आगे बढ़ाया था, उसे विद्रोही तेवर वाली लेखिका तसलीमा नसरीन ने बखूबी शिखर पर पहुंचाया.
अब तक उदारवादी पूंजीकामी चेहरे वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का चेहरा भी इसके साथ ही एक खास रंग में रंगा नजर आया, जहां खुलापन नदारद था, जहां साहित्य की गरिमा जरा कम थी और जहां आभिजात्यता के आवरण में एक अनुदार और एक खास नशे में तैरता बाजारवाद कला, संस्कृति और इतिहास की गरिमा पर ठेस पहुंचाता हुआ दिख रहा था.
विवादों के ईंधन से साहित्य के बाजार में छाने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन फिर एक बार फिर बड़ा हंगामा हो गया. विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन ने यह कहकर विवादों को तूल दे दिया कि भारत में समान नागरिक संहिता को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत में हिंदू महिलाओं से तो न्याय होता है, लेकिन मुस्लिम महिलाएं आज भी अन्याय, अत्याचार और गैरबराबरी की शिकार हैं. उन्हें बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने वामपंथियों पर जमकर हमले करते हुए उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथ का परमपोषक बताया, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बैनर्जी को भी उन्होंने नहीं बख्शा.
जयपुर फेस्टिवल का आखिरी दिन विवादित होता है
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों की यह शुरू से ही रणनीति रही है कि वे आखिरी दिन या तो मुस्लिम समुदाय को अपना निशाना बनाते हैं या फिर दलितों को. यही इस बार किया गया. पहले दलितों के आरक्षण पर हमला करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारकों को बुलवाया गया और अाखिरी दिन मुस्लिम कट्टरपंथ पर चोट की गई.
तसलीमा ने डिग्गी पैलेस के फ्रंट लॉन में फेस्टवल के आखिरी दिन अचानक बुलाए गए एक सत्र में कहा कि उन पर हमला करने वाले कट्टरपंथी बंगाल के मुख्यमंत्री रहे वामपंथी नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य के व्यक्तिगत दोस्त तो हैं ही, उन्हें ममता बैनर्जी का भी समर्थन हासिल है.
तसलीमा ने कहा, ' वामपंथियों और मुस्लिमों में कहां हैं सेक्युलरिज्म? मेरे खिलाफ फतवा जारी करने वाले मुस्लिम कट्टरपंथी तो बुद्धदेव भट्टाचार्य के आत्मीय हैं. मेरा भरोसा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में है. मैं जब हिंदुओं या बौद्धों के बारे में कुछ लिखती हूं तो कुछ नहीं होता. जैसे ही इस्लामिक कट्टरपंथ और स्त्री अधिकारों के हनन पर लिखती हूं तो मुझ पर अापराधिक हमले किए जाते हैं और मेरे खिलाफ कठमुल्ला लोग फतवे जारी करते हैं.'
तसलीमा यहीं तक नहीं रुकीं, उन्होंने साफ-साफ कहा कि धर्म कोई भी हो, दरअसल वह औरत के अधिकारों का शोषण करता है और स्त्री के खिलाफ़ ही होता है.
दरअसल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल उस नजरिए पर चलता है, जिसमें कहा जाता है कि आजकल बाजार में दानिशवर तक बिकते हैं और खरीददार कहीं भी हो सकते हैं.
तसलीमा ने जब कहा कि धर्म तो औरत के खिलाफ ही होता है तो दर्शक समूह में मौजूद युवतियों और तरुणियों ने जमकर होओओओ किया और तसलीमा की आवाज में अपनी आवाजें भी मिला दीं.
तसलीमा ने जब कहा कि धर्मनिरपेक्ष और सेकुलर लेखकों की हत्याएं नहीं करनी चाहिए तो वहां मौजूद संघ प्रेमियों को काफी बुरा लगा और उन्होंने अपनी तरह की आवाजें निकालकर विरोध जताया. लेकिन वातावरण में जिस तरह का तेवर तारी था, उसके चलते उनकी तरफ किसी ने खास ध्यान नहीं दिया. तसलीमा ने कहा कि वे एक दुनिया और एक पासपोर्ट में भरोसा करती हैं.
तसलीमा मंच पर हों और मुस्लिम कट्टरपंथी चुप रहें, ऐसा तो संभव नहीं है. जयपुर के कुछ कट्टरपंथी पहले से तैयार थे और वे सुबह से ही पूछताछ कर रहे थे कि तसलीमा कब बोलेंगी? मानों उन्हें पहले से तैयार किया गया हो. लेकिन वे आए और आयोजकों ने उन्हें समझाया तो वे मान गए.
सलमान रुश्दी को भी आने नहीं दिया गया था
ऐसा ही कुछ चार साल पहले तब हुआ था जब सलमान रुश्दी को आना था. उन्हें आने तो नहीं दिया गया, लेकिन उन्होंने बाकादा ऑनलाइन संबोधित किया. तब भी मुस्लिम कट्टरपंथियों ने ठीक ऐसा ही हमला किया था. जिन लोगों को फेस्टीवल के बाजारवादी आयोजकों की हकीकत नहीं मालूम, वे भले कुछ भी समझें, लेकिन साहित्य, कला और संस्कृति से ज्यादा इन्हें विवादों से मोहब्बत है.
अभी तक भले विवाद ही जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के केंद्र में रहे हों, लेकिन इस बार एक खास तरह के विवाद केंद्र में रहे हैं. पहले तो आरक्षण आैर अल्पसंख्यकवाद पर हमला करके उसे पृथकतावाद से जोड़ा गया, फिर समान नागरिक संहिता की मांग तस्लीमा नसरीन के जरिए लाई गई और मुस्लिम कट्टरपंथ पर स्त्री अधिकारों के नजरिए से हमला किया गया. लेकिन हिन्दुत्ववाद के खतरों पर कोई चर्चा नहीं हुई, कोई बहस नहीं बुलाई गई और कोई डिबेट नहीं हो सकी.
अगर किसी एक और चीज पर हमला किया गया तो इस बार कस्तूरबा के माध्यम से गांधी को निशाने पर लिया गया. नीलिमा डालमिया की पुस्तक द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा पर हुए सेशन में आखिरी दिन बताया गया कि बापू ने ब्रह्मचर्य का पालन करके बा के साथ अत्याचार किया.
बापू का कई महिलाओं के साथ रोमांटिक इन्वॉल्वमेंट था और वे ब्रह्चर्य के प्रयोग तरुणियों के साथ किया करते थे. लेकिन पिछले आठ-दस साल से लगातार इस आयोजन को बहुत नजदीक से देखने वाले कुछ गंभीर लोगों का मानना है कि इस बार अगर धारा 370 के खिलाफ एक सत्र और हो जाता तो जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल की दिशा की एक मामूली सी कमी और दूर हो जाती!
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.