बिहार के उपमुख्यमंत्री और जीएसटी पर उच्च स्तरीय मंत्री समूह के संयोजक सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आने वाले समय में वस्तु और सेवा कर 'जीएसटी' दरों की वर्तमान पांच श्रेणियों को घटाकर तीन श्रेणियों में किया जा सकता है जिससे उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों को सहूलियत होगी. सुशील मोदी ने कहा कि इसमें थोड़ा समय लगेगा क्योंकि यह विषय राज्यों के राजस्व से जुड़ा है. उनसे पूछा गया कि जीएसटी परिषद की बैठक में कुल 88 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी घटाए जाने पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि यह 2017 में ही क्यों नहीं किया गया.
इस पर बिहार के वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा, 'यह कोई ऐसा निर्णय नहीं है जिसमें सिर्फ बीजेपी सरकार शामिल है. यह निर्णय जीएसटी परिषद ने लिया है जिसमें कांग्रेस की सरकारें भी शामिल हैं.' उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद शुरू में यह देखा गया कि राजस्व का नुकसान नहीं हो और जैसे-जैसे राजस्व में स्थिरता आई है, वैसे-वैसे अनेक वस्तुओं पर दरें कम की गई हैं.
सुशील मोदी ने कहा कि अभी जीएसटी से राजस्व औसतन 95 हजार करोड़ रुपए के आसपास है, ऐसे में हम दरों में कटौती कर रहे हैं जिससे अनेक उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी आ रही है और इससे मध्यम वर्ग को लाभ होगा.
उन्होंने कहा कि अभी जीएसटी दरों की पांच श्रेणियां हैं. 'आने वाले समय में इसे घटाकर तीन श्रेणियों में रखने का इरादा है लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा. 'चिदंबरम पर निशाना साधते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस की यूपीए में राज्यों का भरोसा खत्म हो गया था जिसके चलते उस समय जीएसटी लागू नहीं हो सका.
उस समय जीएसटी लागू न होने के लिए संप्रग सरकार में वित्त मंत्री रहे चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराते हुए सुशील मोदी ने कहा कि चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए राज्यों को सीएसटी क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं हुआ, जिसके चलते राज्यों में तत्कालीन संप्रग सरकार के आश्वासनों को लेकर अविश्वास पैदा हो गया.
सुशील मोदी के इस बयान को इसलिये महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह 2012-13 में जीएसटी के क्रियान्वयन पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से केंद्रीय बिक्री कर यानी सीएसटी चरणबद्ध तरीके से तीन साल में खत्म किया जाना था. तत्कालीन यूपीए सरकार ने आश्वासन दिया था कि इसके चलते राज्यों को राजस्व हानि होगी उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. सीएसटी की दर एक अप्रैल 2007 को 4 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत और 2008 में 3 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दी गई. शुरुआती वर्षों में राज्यों को क्षतिपूर्ति की कुछ राशि भी दी गई लेकिन 2011-12 में क्षतिपूर्ति का भुगतान रोक दिया गया.
राज्यों को क्षतिपूर्ति की राशि का नहीं मिला पूरा भुगतान
बीजेपी नेता ने कहा कि राज्यों को क्षतिपूर्ति की राशि का पूरा भुगतान नहीं किया गया. सुशील मोदी ने कहा कि चिदंबरम अब बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि यूपीए ने राज्यों को बकाया क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया जिसके चलते तत्कालीन सरकार पर उन्हें भरोसा नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न सिर्फ राज्यों को सीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान हुआ बल्कि जीएसटी लागू करने पर होने वाली किसी भी राजस्व हानि की भरपाई पांच साल तक करने और हर साल इसमें 14 प्रतिशत वृद्धि सुनिश्चित करने का संवैधानिक प्रावधान किया गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के दौरान जीएसटी पर जो संविधान संशोधन विधेयक तैयार किया गया था, उसमें पेट्रोलियम पदार्थ का उल्लेख नहीं था, ऐसे में अगर राज्यों के बीच इसे जीएसटी के दायरे में लेने पर सहमति बनने पर फिर से संशोधन की पहल करनी होगी.
बिहार के वित्त मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार के दौरान जीएसटी पर जो संविधान संशोधन किया गया है, उसमें पेट्रोलियम पदार्थों को रखा गया है. सिर्फ इसे कब से लागू किया जाएगा, इस बारे में जीएसटी परिषद को तय करना है. जब राज्यों में सहमति हो जाएगी तब सिर्फ निर्णय के आधार पर इसे लागू कर दिया जाएगा और संविधान संशोधन करने की जरूरत नहीं होगी.
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