अखिलेश यादव और राहुल गांधी भले ही अपनी नयी नवेली दोस्ती और सियासी गठजोड़ के आईने में एक-दूसरे की खूबियों के अक्स निहारते फिरें... लेकिन ऐसा लगता कि इस घटना से मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव को फिर से मोर्चा संभालने की नयी ताकत मिल गई है.
कम से कम समाजवादी पार्टी के वे नेता और कार्यकर्ता उनके साथ आ जुटे हैं जिन्हें कांग्रेस के खाते में गई 105 सीटों पर अपना टिकट गंवाना पड़ा है.
अखिलेश के पास इस समय समाजवादी पार्टी की छाप, मोहर और झंडा सबकुछ है. वे सूबे के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. यह सब उनके ताकत की निशानी है और इसे उन्होंने अपने पिता से छीना है.
लेकिन इसके बावजूद उनके लिए आसार अच्छे नहीं और इसकी उन्हें चिन्ता करनी पड़ेगी. अपने कुनबे के बुजुर्गों को उन्होंने बुद्धि और बल की लड़ाई में चारो खाने चित्त करके भले ही पार्टी पर एकाधिकार जमा लिया हो, लेकिन बीते 24 घंटों में मुलायम और शिवपाल सिंह यादव ने इस बात के भरपूर संकेत दिए हैं कि, वे लोग हार भले गये हों मगर अखिलेश उन्हें लड़ाई के मैदान से बाहर मानने की गलती ना करें.
शिवपाल का हमला
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रुप में अपने नामांकन का परचा भरने के बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव पर जबर्दस्त हमला बोला. वे ये तक कह गये कि 11 मार्च के दिन आने वाले चुनाव के नतीजों के बाद अपनी नयी पार्टी बनायेंगे.
देश की सियासत में यह एकदम ही अनसुनी घटना है जब पार्टी का उम्मीदवार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को खुलेआम फटकार लगा रहा है.
शिवपाल यादव ने जो बात सीधे-सीधे नहीं कही लेकिन घुमा-फिराकर इशारा कर गये उसे एकदम साफ-साफ पढ़ा जा सकता है. वे और मुलायम सिंह यादव दोनों मानकर चल रहे हैं कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव नहीं जीतने जा रहा और अखिलेश को मुख्यमंत्री की गद्दी दोबारा नहीं मिलने वाली.
लेकिन अभी थोड़ा इंतजार करना होगा. इसके बाद ही पता चलेगा कि शिवपाल यादव ने खोखली धमकी दी है या फिर चुनावी सीन (समाजवादी पार्टी की हार) और पार्टी में दो फाड़ होने को लेकर उनके आकलन में कोई वजन भी है.
पश्चिमी उत्तरप्रदेश में ‘मुलायम के लोग’ के नाम से कुछ दफ्तर खुल गये हैं. सो संकेत यही हैं कि समाजवादी पार्टी के भीतर ही भीतर मुलायम सिंह के नजदीकी लोग अखिलेश यादव या फिर बाद के दिनों में अखिलेश की जगह लेने वाले किसी और से लड़ाई ठानने के लिए एकजुट हो रहे हैं.
कांग्रेस से गठजोड़ का विरोध
मुलायम और शिवपाल दोनों ही कांग्रेस से गठजोड़ करने और उसे 105 सीट देने के अखिलेश के फैसले की खुलेआम आलोचना कर रहे हैं.
याद कीजिए कि शिवपाल ने नामांकन का परचा भरने के बाद क्या कहा. वे बोले: 'छह महीने पहले पहले कांग्रेस की क्या दशा थी? कांग्रेस को बस चार सीटों पर जीत मिलती. इसलिए फायदा किसे हुआ? कांग्रेस का फायदा हुआ है. हमारे लोगों के टिकट कटे हैं. हमने उन दिनों में कांग्रेस को हराया है, जब ना तो सड़कें थीं ना गाड़ियां. आज तो सड़कें भी हैं और हमारे कार्यकर्ताओं के पास गाड़ियां भी.'
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'मेहरबानी हुई, कृपा हुई कि टिकट मिल गया.' लेकिन इसके बाद उन्होंने अपना सुर बदला और कहा, 'ऐसा नहीं होता तो में निर्दलीय के रुप में चुनाव लड़ने को तैयार था. मेरे कई समर्थक चाहते थे कि मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूं.अगर मैं निर्दलीय होता तो कई जगहों पर जा सकता था.'
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शिवपाल आगे बोले, '11 मार्च के बाद, चुनाव के नतीजों के आ जाने के बाद हमलोग नई पार्टी बनायेंगे. तुमने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और हमारे लोगों के टिकट काटे. टिकट जान-बूझकर काटे गये हैं ताकि पार्टी कमजोर हो.'
उन्होंने कहा, 'मैं जानता हूं कि हमारे कई समर्थक निराश हैं. बस अपना नाम लिखकर मेरे पास चिट्ठी भेज देना. चाहे मुझे भीख ही क्यों ना मांगनी पड़े लेकिन मैं समाजवादी पार्टी के किसी कार्यकर्ता को दुखी नहीं देख सकता.'
शिवपाल सिंह ने बड़े विस्तार से बताया कि...कैसे मुलायम सिंह यादव को उनके बेटे ने ही अपमानित और किनारे कर दिया है. उन्होंने बताया कि हमलोग तो बस मुलायम सिंह की पगड़ी बचाना चाहते थे, उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहते थे चाहे टिकट के बंटवारे में उनकी बात मानी जाय या नहीं.
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे मुलायम सिंह ने दशकों की मेहनत से पार्टी को खड़ा किया, कैसे पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जान गंवायी, उन्हें जेल भेजा गया और कैसे इनमें से कई आज भी जेल में हैं क्योंकि पार्टी के लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी.
मुलायम से सहानुभूति
शिवपाल सिंह यादव की कोशिश है कि मुलायम सिंह यादव के प्रति सहानुभूति जगायें और अखिलेश को यह कहकर नीचा दिखायें कि, 'जिस पिता ने पार्टी बनायी और मुख्यमंत्री का पद प्लेट में सजाकर परोस दिया उन्होंने उसी पिता को अपमानित किया.'
संयोग कहिए कि शिवपाल उसी बात का विस्तार कर रहे थे जिसे एक दिन पहले समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के प्रसंग में मुलायम सिंह यादव कह चुके थे. न्यूज18 से बात करते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि: 'कांग्रेस से गठबंधन करने पर समाजवादी पार्टी का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ेगा. अखिलेश को गठबंधन से बाहर आने की बात सोचनी चाहिए.'
मुलायम ने कहा कि इस गठबंधन से समाजवादी पार्टी बर्बाद हो जायेगी. 'कांग्रेस के खिलाफ पार्टी खड़ा करने के लिए मैंने जिंदगी भर लड़ाई लड़ी. उन 105 सीटों पर हमारे कार्यकर्ता कहां जायेंगे? उन सबने बहुत मेहनत की है, उनके साथ अब क्या होगा. यह ठीक नहीं है, मैं पार्टी को इस तरह बर्बाद नहीं होने दूंगा.'
जाहिर है, शिवपाल सिंह अखिलेश को कार्रवाई करने के लिए उकसा रहे हैं ताकि कार्रवाई होने के बाद लोग खुद इस बात पर फैसला करें और इस मामले में राहुल अखिलेश की कोई मदद नहीं कर सकते.
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