कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती है.
इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में सोनिया से पूछा गया था कि कुछ भाजपा नेता शक्तिशाली नेता के रूप में नरेंद्र मोदी की तुलना इंदिरा गांधी से करते हैं, सोनिया ने इसे पूरी तरह नकार दिया. उन्होंने कहा, 'मैं इससे सहमत नहीं हूं. दोनों में कोई तुलना नहीं है.'
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि राजनीति में शामिल होना उनका पहला मुश्किल फैसला था. इलाहाबाद के स्वराज भवन में समाचार चैनल इंडिया टुडे को दिए साक्षात्कार में सोनिया ने कहा, 'राजनीति में आऊं या न आऊं, यह तय करना मेरा पहला सबसे मुश्किल फैसला था.' उन्होंने कहा कि अगर वह इंदिरा गांधी की बहू न होती तो राजनीति में नहीं आतीं.
सोनिया 1998 से कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. उनसे पहले कोई भी इस पद पर इतने लंबे समय तक नहीं रहा है.
इंदिरा से पहली बातचीत फ्रेंच में
सोनिया ने इंदिरा के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा कि दोनों की पहली बातचीत फ्रेंच भाषा में हुई थी. सोनिया ने कहा, उनसे मुलाकात 1965 में हुई थी. उन्होंने हमारी पहली मुलाकात में फ्रेंच में बातचीत शुरू कर दी. सोनिया ने कहा कि वह इंदिरा से मुलाकात के समय बहुत नर्वस थीं, क्योंकि वह बिल्कुल अलग संस्कृति और पृष्ठभूमि की थीं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इंदिरा गांधी आपातकाल लगाने को लेकर 'बहुत असहज' थीं. यदि ऐसा न होता तो वह 1977 में आम चुनाव न करातीं. सोनिया ने साक्षात्कार में कहा, 'मैं नहीं कह सकती कि इंदिरा आपातकाल को आज किस तरह देखतीं, लेकिन अगर वह उस समय असहज महसूस न करतीं तो वह आम चुनाव की घोषणा नहीं करतीं.'
1975 में इंदिरा गांधी की तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा 'आंतरिक अशांति' के कारण देश में 21 महीने तक आपातकाल लगाए जाने पर सोनिया ने बताया कि इंदिरा को अपने बेटे राजीव गांधी से आपातकाल के बारे में आम लोगों की प्रतिक्रिया मिलती रहती थी.
सोनिया ने कहा, 'ऐसे कई वाकये हुए जब पायलट की नौकरी के दौरान राजीव आम लोगों से मिलते, जो उन्हें बताते थे कि देश में क्या हो रहा है. राजीव ये बातें अपनी मां को बताते थे. मैं इंदिराजी को राजीव की बातें सुनते और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देते देखा करती थी.'
आपातकाल के बाद 1977 के आम चुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई थी. आपातकाल का विरोध करने वाली जनता पार्टी ने कई अन्य पार्टियों के सहयोग से केंद्र में सरकार बनाई और मोरारजी देसाई देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने.
इंदिरा गांधी हालांकि 1980 के आम चुनाव में केंद्र की सत्ता में वापसी करने में सफल हुईं.
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