हम इसे हंसी के सरताज नवजोत सिंह सिद्धु की तारीफ ही कह सकते हैं कि, चुटकुलों के इस बादशाह की अमृतसर में तकरीबन हर रैली की शुरुआत हंसी-मजाक से ही होती है.
इसलिए सर्दियों की एक सुबह, सिद्धू के अमृतसर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में एक साठ वर्षीय महिला बादलों के बारे में अपनी राय कुछ इस तरह से व्यक्त करती है.
सिद्धू के साथ-साथ उनके समर्थक भी ले रहे हैं चुटकी
सिद्धू का इंतजार कर रहे कुछ लोगों के बीच बैठी ये महिला ये कहानी सुना रही होती है- ‘एक बार बादल हवाई जहाज पर पंजाब के ऊपर से गुजर रहे थे.’
‘सुखबीर बादल ने अचानक उत्साह में आते हुए अपने पिता से कहा कि वो हवाई जहाज से 100 रुपए का एक नोट नीचे गिराना चाहते हैं, ताकि जिसको भी वह नोट मिले वो खुश हो जाए.’
उनकी बात सुनकर उनके जीजा बिक्रमजीत मजीठा उन्हें बीच में टोक-कर कहते हैं, ‘सुखा ये आयडिया तो बहुत अच्छा है लेकिन हमें 50-50 के दो नोट नीचे गिराने चाहिए ताकि दो लोग खुश हो जाएं.’
फिर क्या था बारी-बारी से पूरा बादल परिवार अपनी राय देने लगा. बहु हरसिमरत कौर ने 100 से बड़ा नोट देने की बात कही, दामाद अदेश प्रताप कैरों ने कुछ और कहा और सबसे बड़े बादल जिन्हें सबसे ज्यादा समझदार माना जाता है, उन्होंने कहा- ‘हमें 10-10 के नोट गिराने चाहिए इससे हम दस लोगों को खुश कर सकते हैं.’
‘उन लोगों की बात प्लेन का पायलट भी सुन रहा था उसने कहा- मैं प्लेन ही नीचे गिरा देता हूं पूरा का पूरा पंजाब खुश हो जाएगा.’
इस चुटकुले के सुनते ही वहां बैठी भीड़ हंसते-हंसते लोट-पोट हो गई. वे भी बादल परिवार के 10 सालों से चल रही लूट-खसोट से छुटकारा पाने के इस समाधान को सुनकर खुश थे.
सिद्धू के प्रचार को लेकर लोगों में अजीब किस्म का मिला-जुला भाव है. कहीं लोग गुस्से में है तो कहीं खुश हैं. ये दोनों ही ऐसे भाव है जो सिद्धू की पहचान बन चुके हैं. सिद्धू जहां भी जाते हैं तो उनके भाषणों में बादल के लिए गुस्सा और केजरीवाल के लिए उपहास नजर आता है. हालांकि, केजरीवाल की आप पंजाब में अब एक गंभीर पार्टी नजर आ रही है.
सिद्धू जहां भी पहुंचते हैं उनका जोरदार स्वागत किया जाता है. युवा उन्हें अपना हीरो और पंजाब की ‘आन-बान-शान’ कहते हैं. बच्चे उन्हें देखकर उछलने लगते हैं, वे खुशी से चिल्लाने लगते हैं और पार्टी कार्यकर्ता उन्हें पंजाब का अगला ‘उप-मुख्यमंत्री’ बताकर नारेबाजी करने लगते हैं.
वाकशैली से प्रभावशाली
सिद्धू अपने चिरपरिचत अंदाज में शुरू होते हैं, वे बहुत ही धाराप्रवाह हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी में अपना भाषण देते हैं. बीच-बीच में दोहे, सूक्तियां और कविता की पंक्ति भी बोलते रहते हैं.
वे एक ही समय पर आक्रामक भी दिखते हैं और मजेदार भी, नेता भी दिखते हैं और कोई आध्यात्मिक गुरु भी. उनकी वाक क्षमता अचानक से वहां इकट्ठा हुई भीड़ को उत्तेजित कर देती है.
सिद्धू अपने भाषण की शुरुआत भगत सिंह को याद करते हुए करते हैं, ‘ओए पीपली दिया पत्तया ओए’. शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ये पंक्तियां अंग्रेजों को कहा करते थे. ‘मैं बादला नू देक के केहंदा, मैं केजरी केजरी ना केहंदा. (मैं बादल और केजरी को कहना चाहता हूं.) पुराने पत्ते चक दे सारे, ऋत नया दी आयां (पुराने पत्ते फेंक दीजिए, नया मौसम आया है.)
वे भगत सिंह को याद करके कहते हैं, 'ओए पीपली दिया, आज सवाल पंजाब दी अग्ग दा है, आज सवाल पंजाब दी पग्ग दा है.' (आज पंजाब की आग यानी दिलेरी और इज्जत का सवाल है)
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सिद्धू अपने अन्नदाता पंजाब की बात करते हैं जिसे बादलों ने काफी नुकसान पहुंचाया है, फिर एक तरह से ऐलान करते हुए कहते हैं, ‘भज बादल, बज ओए. कुर्सी खाली कर, जनता आती है.’ (भागो बादल भागो, कुर्सी खाली करो क्योंकि लोग आ रहे हैं.)
अकाली के खिलाफ गुस्सा
पंजाब में अब यह अच्छी तरह साफ होता जा रहा है कि अकाली-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा है, जो अब नफरत में बदल गया है. जब तक कि वहां त्रिकोणीय मुकाबले की गुंजाइश नहीं बनती है तब तक वे रेस से बाहर हैं. वहां असली लड़ाई कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है.
सिद्धू के लिए विरोधी केजरीवाल हैं, जिनपर उन्हें निशाना साधना है. वे अपने भाषण में कहते भी हैं ‘मैं यहां समाधान देने आया हूं, मैं केजरीवाल वांगो की-की करदे रौंदा नाहीं,’ यानि मैं केजरीवाल की तरह रोता नहीं हूं.
आपलोगों को सावधान रहें क्योंकि 500 लोग लाखों पंजाबियों के ऊपर राज करने की बात कर रहे हैं. ऐसा कहते हुए वे अपने चेहरे पर एक नकली दुख दिखाने की कोशिश करते हुए केजरीवाल की नकल करते हैं. ये सब कुछ माहौल को हल्का कर उसमें हास्य भर देता है.
ये साफ है कि सिद्धू भले ही चुनाव मैदान में देर से आए हों, लेकिन उन्होंने कांग्रेस को फिर से चुनावी मैदान में लहर प्रदान की है. अमृतसर के माझा इलाके के 25 सीटों पर सिद्धू ही मुख्य चेहरा है, जिसकी अनदेखी मुश्किल है.
सिद्धू के मुरीद
उनके समर्थक मानते हैं कि सिद्धू ने ही अमृतसर में कमल को खिलने का मौका दिया है. अब उनके बीजेपी छोड़ने से कमल का फूल मुरझा गया है.
‘यहां के लोग बीजेपी से बहुत नाराज हैं, अगर वे सिद्धू के साथ वफादार नहीं है तो मतदाता के साथ कैसे होंगे?’ यह कहना था अजीत सिंह का जो अमृतसर में एक एनजीओ चलाते हैं.
उनका दावा है कि पंजाब में बीजेपी से जुड़े आधे लोग कांग्रेस में आ गए हैं. बीजेपी ने सिद्धू के खिलाफ वकील हनी सिंह को मैदान में उतारा है जो उनके सामने बच्चा है और वो सिद्धू को ‘प्यो’ यानी पिता कहकर पुकारता था. चुनाव हारने के बाद वे भी कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे, अजीत मुस्कुराते हुए कहते हैं.
सिद्धू इन दिनों पूरे पंजाब में प्रचार कर रहे हैं. वो कहते हैं कि पार्टी ने उन्हें उन 35 सीटों का जिम्मा दिया है जहां वो पहले थोड़े अंतर से हारी थी और वे उसे घुमाने की उम्मीद कर रहे हैं. उनकी पत्नी नवजोत जो इस समय अमृतसर पूर्व से एमएलए हैं वो अपने बेटे करन सिंह के साथ हर घर जाकर अपने पति के लिए वोट मांग रही है.
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राजा हिंदुस्तानी एक ई-रिक्शा ड्राइवर हैं, ‘जो शहर में ऑटो चलाते हैं और उनकी ऑटो में कांग्रेस पार्टी का झंडा लगा हुआ है.’
कांग्रेस का दावा है कि उनकी पार्टी अमृतसर की चारों निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल करेगी. सिर्फ एक ही जगह से उन्हें टक्कर मिल रही है और वह है बीजेपी के अनिल जोशी से जो अमृतसर उत्तर से प्रत्याशी हैं. अनिल बादल सरकार में मंत्री भी हैं.
दिलचस्प बात ये है कि जोशी अपने चुनाव प्रचार के दौरान नोटबंदी को लेकर लोगों से माफी मांगते नजर आ रहे हैं. वे लोगों से कह रहे हैं कि मोदी जी ने जो किया उसकी सजा वे उन्हें न दें.
‘सिद्धू साहब दी हवा है. सारे बादल उड़ जाने हैं, सुखिया पट्टया वांगो.’ सिद्धू की हवा में बादल सूखी पत्तियों की तरह उड़ जाएंगे.
कोई पंजाबी जब ऐसा कहता हैं तो उसकी बात पर कोई हंसता नहीं है, जिससे साबित होता है कि यह कोई मजाक नहीं है.
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