प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक इंटरव्यू में राम मंदिर पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि पहले मामले में अदालत की सुनवाई खत्म होने दें उसके बाद अध्यादेश पर विचार किया जाएगा. अब उनके इस बयान पर शिवसेना ने बड़ा हमला बोला है. शिवसेना ने कहा है कि पीएम मोदी के लिए भगवान राम कानून से ज्यादा बड़े नहीं हैं.
शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं’ क्योंकि उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए किसी अध्यादेश पर निर्णय न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही करेगी.
शिवसेना बीजेपी की सहयोगी पार्टी है और उसने अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है. उसने दलील दी है कि मामला दशकों से अदालतों में चल रहा है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट किया, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राम मंदिर तत्काल (सुनवाई वाला) मामला नहीं है. मोदी ने भी कुछ अलग नहीं कहा. मैं उन्हें मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बधाई देता हूं.’
सर्वोच्च न्यायालयाने सांगीतले राम मंदिर हा महत्वाचा तातडीच्या विषय नाही. पंतप्रधान मोदी यांनी तरी वेगळे काय सांगीतले? भुमिका सपष्ट केल्या बद्दल पंतप्रधान मोदी यांचे अभिनंदन.
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) January 1, 2019
लेकिन उन्होंने मोदी पर तंज कसते हुए कहा, ‘...(प्रधानमंत्री कहते हैं) राम मंदिर के लिए कोई अध्यादेश नहीं लाएंगे. इसका संवैधानिक अर्थ यह है कि भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं.’
सर्वोच्च न्यायालयाने सांगीतले राम मंदिर हा महत्वाचा तातडीच्या विषय नाही. पंतप्रधान मोदी यांनी तरी वेगळे काय सांगीतले? भुमिका सपष्ट केल्या बद्दल पंतप्रधान मोदी यांचे अभिनंदन.
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) January 1, 2019
बता दें कि कई टीवी चैनलों पर दिखाए गए एक इंटरव्यू में मोदी से अयोध्या में राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने के विभिन्न हिंदुत्व समूहों की मांग के बारे में सवाल किया गया. इस पर मोदी ने कहा कि 'न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने दीजिए. न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने पर एक सरकार के तौर पर जो भी हमारी जिम्मेदारी होगी, हम सभी प्रयास करने को तैयार हैं.'
दरअसल, शिवसेना ने राममंदिर मुद्दे को लेकर अपना रुख कड़ा कर लिया है और लगातार पीएम मोदी और बीजेपी पर हमले करके सवाल उठा रही है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पिछले महीने महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक रैली में बीजेपी के सहयोगी दलों से राम मंदिर मुद्दे पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा था.
महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते खराब हो चले हैं. इधर बीच शिवसेना ने भी पार्टी पर लगातार हमलावर रहने की नीति अपना रखी है. इसके अलावा कई राज्यों में बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने भी कुछ-कुछ मुद्दों पर विरोध दर्ज जताया है. ऐसे में इस इंटरव्यू में मोदी से उनकी सहयोगी पार्टियों के रुख पर भी सवाल पूछे गए.
उन्होंने कहा कि 'राज्यों की राजनीति अलग होती है, राज्य में परिस्थितियां अलग होती है, राज्य के राजनीतिक दल उन परिस्थितियों के हिसाब से राजनीति करते हैं. हमारे साथ अब भी बहुत से राजनीतिक दल है और 2019 में इनकी संख्या और बढ़ेगी.'
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