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कमलनाथ सरकार पर शिवराज ने साधा निशाना, कहा- राष्ट्र गीत गाने में शर्म आती है तो बता दें, मैं गाऊंगा

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती है, जाती है लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है.'

Updated On: Jan 02, 2019 10:02 AM IST

FP Staff

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कमलनाथ सरकार पर शिवराज ने साधा निशाना, कहा- राष्ट्र गीत गाने में शर्म आती है तो बता दें, मैं गाऊंगा

मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राज्‍य सचिवालय में कर्मचारियों के वंदे मातरम गाने पर रोक लगा दी है. इस फैसले के बाद कमलनाथ सरकार को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. मंगलवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, 'अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत को गाने में शर्म आती है, तो मुझे बता दें. हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊंगा.'

उन्होंने कहा कि, 'कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती है, जाती है लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है.' उन्होंने कहा, 'मैं मांग करता हूं कि वंदे मातरम् का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख़ को वल्लभ भवन के प्रांगण में हो.'

इसी के साथ उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि, 7 जनवरी को राज्‍य सचिवालय में उनके 109 विधायक एक साथ वंदे मातरम गांएगे.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, 'दुर्भाग्य कांग्रेस ने इस परंपरा को खत्म कर दिया है. मैं उनसे मांग करता हूं कि वे इसे दोबारा शुरू करें. अगर ऐसा नहीं होता मैं वल्लभ भवन में वंदे मातरं गाउंगा. उन्होंने कहा, 'मैंने फैसला किया है कि रविवार को सुबह 11 बजे सचिवालय में वंदे मातरम गाउंगा.

शिवराज सिंह चौहान ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने कहा कि 'मध्यप्रदेश में वंदे मातरम् का गान हर हफ्ते कैबिनेट मीटिंग से पहले सभी मंत्रियों द्वारा किया जाता था और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में वंदे मातरम् गान में सभी कर्मचारी और अधिकारी गण उपस्थित रहते थे.'

शिवराज ने कहा, 'वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नयी ऊर्जा का संचार होता था. अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी. आज पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया!'

 

क्या था कमलनाथ सरकार का फैसला?

दरअसल ये पूरा बवाल तब शुरू हुआ जब मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया कि हर महीने की पहली तारीख को राज्‍य सचिवालय में कर्मचारी वंदे मातरम नहीं गाएंगे. हालांकि विवाद बढने के बाद कमलनाथ कहा कि, 'फैसले को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है. इसी के साथ उन्होंने सवाल किया, कि जो वंदे मातरम नहीं गाते, क्या वो देशभक्त नहीं होते?

इससे पहले सराकर के इस फैसले पर निशाना साधते हुए बीजेपी सरकार में मंत्री रहे उमा शंकर गुप्ता ने कहा, 'जिस वंदे मातरम को लेकर आजादी की लड़ाई लड़ी गई उससे कांग्रेस को परहेज है तो मानसिकता समझ लीजिए. कामतानाथ जी के दर्शन करने से लेकर जनेऊ पहन लेने की जनता को दिखाने की प्रवृत्ति साफ होती जा रही है. सूर्य नमस्कार को दुनिया अपना रही है. यह योग है. उस पर पाबंदी लगा रहे हैं. नकारात्मक भावना से राजनैतिक विद्वेष से की शुरुआत र कांग्रेस अपने पैर में कुल्हाड़ी मार रही है'.

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