बीजेपी नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पेश करने की तैयारी में है. वहीं शिव सेना ने कहा है कि वह इस विेधेयक का विरोध करेगी. बीजेपी की सहयोगी पार्टी असोम गण परिषद भी इस बिल के खिलाफ है. पार्टी का मानना है कि बिल से असम की पहचान धूमिल हो जाएगी और अगर बीजेपी ने बिल वापस नहीं लिया तो पार्टी गठबंधन तोड़ देगी.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर अनुसार कहा जा रहा है कि असोम गण परिषद ने ही शिवसेना से विधेयक का विरोध करने की बात कही थी. पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि यह फैसला असोम गण परिषद के अपील के बाद ही ली गई है. हम इस बिल के विरोध में प्रतिबद्ध हैं. असम के विभिन्न जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
बीते शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन के पीड़ितों के प्रति देश की जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 जल्द ही संसद में पारित हो जाएगा.
क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक में-
लोकसभा में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन के लिए नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 पेश किया गया था. अन्य बातों के अलावा संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान करना शामिल है. ऐसे लोगों को 12 साल की जगह 6 वर्ष भारत में रहने के आधार पर नागरिकता दी जाएगी. भले ही ऐसे लोगों के पास कोई उचित दस्तावेज हो या नहीं.
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