लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव का कहना है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) जारी करने से पहले सरकार को सभी दलों से बात कर कोई ‘एकमत रास्ता’ निकालना चाहिए था.
यादव ने कहा, ‘असम की समस्या पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर सरकार को कोई एकमत रास्ता तलाशना था. ये मैं मानता हूं कि असम का मामला है लेकिन इसका लोकतंत्र पर असर हुआ है. उसका इंसाफ दिलाने के तरीके से हल निकालना चाहिए लेकिन लगता नहीं है कि इस सरकार के रहते इंसाफ होगा.’
यादव ने कहा कि भारत में कई लोग आए और यहां से गए. यहां तिब्बत के लोग आए. जब देश बंटा तो कितने बांग्लादेशी यहां आए और कितने लोग यहां से बांग्लादेश गए. पाकिस्तान बना तो कितने लोग यहां से गए जो वहां मुहाजिर कहलाए और कितने सिख यहां आए. ये आबादियां इधर से उधर सबसे ज्यादा इस देश में ही हुई हैं. अफसोस है कि इस पर संसद में ठीक से बहस नहीं चल रही है. कौन तारिख को कौन यहां आया है, यह हम ढूंढेंगे तो देश तबाह हो जाएगा.
अगले चुनाव में महागठबंधन में अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती है तो क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन होगा? इस सवाल पर यादव ने कहा, ‘कांग्रेस ने इस मामले में स्थिति साफ कर दी है इसलिए इस पर कहने का कोई मतलब नहीं है.’
कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि उसका पहला निशाना साल 2019 में होने वाले आम चुनाव में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना है.
यादव ने कहा, ‘इस वक्त देश का संविधान और लोकतंत्र बचाना, किसी भी मुद्दे से अधिक जरूरी है. आज हमें लोकतंत्र को बचाना है, जैसे 1977 में बचाया था. उस समय घोषित आपातकाल था लेकिन इस समय देश में अघोषित आपातकाल है. इसमें किस कोने से किस जगह से गड़बड़ होगी, कह नहीं सकते.’
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