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बुधवार को CBI डायरेक्टर की चयन समिति की बैठक नहीं होने से, किस-किस को हुआ नुकसान

बुधवार को सेलेक्ट कमेटी की बैठक ना होने से कई अधिकारियों के दिल तो टूटे लेकिन अभी भी कई वरिष्ठ अधिकारी आस पाले बैठे हैं

Updated On: Jan 31, 2019 08:56 AM IST

Ravishankar Singh Ravishankar Singh

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बुधवार को CBI डायरेक्टर की चयन समिति की बैठक नहीं होने से, किस-किस को हुआ नुकसान

सीबीआई के नए निदेशक के नाम पर एक बार फिर से कोई फैसला नहीं हो सका. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चयन समिति की बैठक होने वाली थी जो अब शुक्रवार तक के लिए टल गई है. पीएम मोदी की व्यस्तता और दिल्ली से बाहर होने के कारण समिति की बैठक नहीं हो पाई. अब अगले शुक्रवार को ही तय होगा कि सीबीआई का अगला निदेशक कौन होगा.

पीएम मोदी, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगई और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सीबीआई के अगले निदेशक का फैसला करेंगे. गौरतलब है कि सीबीआई के अगले डायरेक्टर के नाम पर बीते 24 जनवरी को भी बैठक हुई थी, जो बेनतीजा रही. 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद से ही यह पद खाली पड़ा है.

बुधवार को बैठक टलने के बाद यह तय हो गया है कि देश की पहली महिला सीबीआई डायरेक्टर बनने की तमन्ना पाले बैठी रीना मित्रा अब इस रेस से बाहर हो जाएंगी. रीना मित्रा 31 जनवरी को रियाटर हो रही हैं और सीबीआई डायरेक्टर के चयन करने वाली पैनल की अगली बैठक शुक्रवार को यानी 1 फरवरी को होगी.

रीना मित्रा इस समय गृह मंत्रालय में विशेष सचिव पद पर तैनात थीं. सीबीआई के अगले डायरेक्टर की रेस में उनका भी नाम लिया जा रहा था. मित्रा 1983 बैच की मध्यप्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं और सीबीआई में पांच साल काम करने का भी अनुभव रखती हैं.

बुधवार को सेलेक्ट कमेटी की बैठक नहीं होने से रीना मित्रा के साथ कुछ और आईपीएस अधिकारियों का सीबीआई डायरेक्टर बनने का ख्वाब टूट गया. हरियाणा कैडर के 1982 बैच के परमिंदर राय और 1984 बैच के गुजरात कैडर के तीर्थ राय का भी सीबीआई डायरेक्टर बनने का सपना टूट गया. ये दोनों अधिकारी भी 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं.

कई हाई प्रोफाइल अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं

इसके बावजूद इस रेस में अब और कई हाई प्रोफाइल अधिकारियों का नाम जुड़ गया है. गुजरात कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और हाल तक सीबीआई में विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना का नाम भी एक बार फिर से सीबीआई के अगले डायरेक्टर के तौर पर लिया जा रहा है. 1985 बैच के राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी और राजस्थान के पूर्व डीजीपी ओपी गल्होत्रा का नाम भी रेस में शामिल हो गया है. गल्होत्रा सीबीआई में 10 साल तक काम कर चुके हैं.

हरियाणा कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और आईटीबीपी के डीजी एसएस देशवाल भी सीबीआई डायरेक्टर की रेस में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा यूपी कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार का भी नाम सीबीआई के अगले डायरेक्टर की रेस में लिया जाने लगा है.

पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने ही 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटा दिया था तब से यह पद खाली चल रहा है. सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और सीबीआई के ही पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई के बाद सीबीआई चर्चा में आई थी.

सीबीआई के नंबर वन और टू अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. जिसके बाद आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर दमकल सेवा महानिदेशक, नागरिक रक्षा और होम गार्ड्स का महानिदेशक बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने खुद इस्तीफा दे दिया था.

जानकारों का मानना है कि सरकार इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इसीलिए उन्होंने 12-18 अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया है. जिन अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, उनमें 1983 बैच से 1985 बैच के कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं.

गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा, बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा, सीआईएसएफ के महानिदेशक राजेश रंजन, एनआईए के डीजी वाईसी मोदी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध जायसवाल के नाम सीबीआई के फ्रंट रनर में पहले से ही शामिल हैं.

सरकार के सूत्रों का कहना है कि शिवानंद झा का सीबीआई डायरेक्टर बनने का चांस ज्यादा बन रहा है. एक तो झा पीएम के नजदीकी हैं और दूसरा, वह 2021 में रिटायर भी होंगे. दूसरी तरफ कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि एनआईए के डीजी वाईसी मोदी इस पद के लिए एक और मजबूत दावेदार हैं. उनका सीबीआई में लंबे समय तक काम करने का अनुभव भी है. वाईसी मोदी गुजरात दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल का भी हिस्सा भी रह चुके हैं.

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बीएसएफ के महानिदेशक आरके मिश्रा की दावेदारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता. सूत्रों का कहना है कि वह पीएम के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की पहली पसंद हैं. मुंबई के पुलिस कमिश्नर सुबोध जायसवाल भी इस पद की रेस में अब तक बने हुए हैं.

सीबीआई डायरेक्टर के लिए इसके अलावा जिन नामों को प्रमुखता से लिया जा रहा है उनमें 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और सीआईएसएफ के डीजी राजेश रंजन के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक राजीव राय भटनागर और रॉ के विशेष सचिव विवेक जौहरी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है.

यूपी के पांच अधिकारियों की दावेदारी पर भी हो सकती है बात

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के पांच आईपीएस अफसरों की दावेदारी सामने आ रही है. यूपी के डीजीपी ओपी सिंह के अलावा डीजी रैंक के तीन आईपीएस अधिकारी इस समय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि एक अधिकारी यूपी में ही सेवाएं दे रहे हैं. बीएसएफ के डीजी रजनीकांत मिश्रा, एनआईसीएसएफ के डीजी जावीद अहमद, आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार और यूपी में निदेशक सतर्कता हितेश चंद्र अवस्थी भी रेस में शामिल बताए जाते हैं.

बता दें कि हितेश चंद्र अवस्थी और जावीद अहमद के पास सीबीआई में काम करने का लंबा अनुभव है. जावीद अहमद तो यूपी के डीजीपी भी रह चुके हैं. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल के अंतिम दिनों में जावीद अहमद यूपी के डीजीपी बने थे. पिछला यूपी विधानसभा का चुनाव जावीद अहमद के नेतृत्व में ही संपन्न हुआ था.

बाद में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के कुछ महीनों के बाद अहमद का ट्रांसफर कर दिया गया. अवस्थी और जावीद अहमद का सीबीआई में 15-15 सालों का काम करने का तजुर्बा है. ये दोनों अधिकारी सीबीआई में एसपी से लेकर ज्वाइंट डायरेक्टर लेवल जैसे पदों पर काम कर चुके हैं.

तीन सदस्यीय चयन समिति चाहे तो किसी एक नाम पर सर्वसम्मति से फैसला कर निदेशक तय कर सकती है. अगर तीन सदस्यीय समिति में आम राय नहीं बन पाती है और तीनों की राय अलग-अलग होती है तो डीओपीटी से कहा जाता है कि कुछ और अधिकारियों के नामों को भेजे.

साथ ही अगर दो सदस्यों की किसी एक नाम पर सहमति बन जाती है और तीसरा सदस्य दोनों सदस्यों की राय से इत्तेफाक नहीं रखता है तब भी यह फैसला 2-1 से माना जाता है. यानी किसी को हटाने और बनाने में दो सदस्यों की राय अहम होती है.

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