असहिष्णुता की बहस जाहिरा तौर पर अब एक मजाक में तब्दील हो गई है. गुरमेहर कौर के बारे में वीरेन्द्र सहवाग ने अपने ख्याल का इजहार कर क्या बुरा किया?
अगर गुरमेहर को करगिल के बारे में अपनी बात कहने का हक है तो फिर एक पूर्व क्रिकेटर को भी अपनी राय जाहिर करने की आजादी है. फिर वीरेन्द्र सहवाग की राय पर इतनी हाय-तौबा क्यों?
आइए, बात को तर्क के तराजू पर तोलें. विवाद का मुख्य प्रश्न यह नहीं है कि गुरमेहर कौर करगिल के शहीद कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी है. विवाद का मुख्य सवाल यह है कि गुरमेहर कौर की एबीवीपी के बारे में एक निश्चित राय है.
अगर हमारे मन में गुरमेहर कौर के लिए यह सोचकर सहानुभूति उमड़ रही है कि उसके पिता ने जंग में दुश्मनों से लोहा लिया तो फिर हम गुरमेहर के प्रति इंसाफ नहीं कर रहे हैं. हम गुरमेहर कौर को एक स्वतंत्र व्यक्ति या अपनी आजाद राय रखने वाली एक छात्र के रूप में नहीं सोच या देख पा रहे.
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बहस का सिरा गैरजरूरी विस्तार लेकर एक फिजूल की दिशा में उस समय मुड़ा जब लोगों ने यह बताना शुरू किया कि पिछले साल गुरमेहर कौर ने एक प्लेकार्ड थाम रखा था जिसपर लिखा कि ‘मेरे पिता की जान पाकिस्तान ने नहीं बल्कि युद्ध ने ली.'
गुरमेहर के इस प्लेकार्ड पर सहवाग ने कुछ यूं प्रतिक्रिया दी- ‘मैंने नहीं बल्कि दो दफे तिहरा शतक मेरे बल्ले ने ठोंका.’ यह गुरमेहर कौर के प्लेकार्ड पर लिखी इबारत का एक नपा-तुला जवाब भर है.
गुरमेहर का प्लेकार्ड
अगर बहस गुरमेहर कौर के फेसबुक पोस्ट पर दर्ज प्लेकार्ड तक ही सीमित रहती तो माना जाता कि वह अपने संदर्भ की चौहद्दी के भीतर है. फेसबुक पोस्ट के प्लेकार्ड पर गुरमेहर ने लिखा है कि, ‘मैं दिल्ली विश्वविद्यालय की स्टूडेंट हूं, मैं एबीवीपी से नहीं डरती. मैं अकेली नहीं हूं. भारत का हर स्टूडेंट मेरे साथ है.’
एबीवीपी और आईसा के सदस्यों के बीच तनातनी उमर खालिद को रामजस कॉलेज के एक सेमिनार में बुलाने के सवाल पर हुई थी और इस घटना के बाद प्रतिक्रियाएं, चाहे वे आक्रामक तेवर की ही क्यों ना हों, सोशल मीडिया सहित बाकी मंचों पर अपेक्षित ही हैं.
बहस जाहिरा तौर पर गलत दिशा में मुड़ गई. इसके बाद से गुरमेहर पर नागवार हमले चालू हो गये.
बीजेपी के सांसद प्रताप सिंह ने गुरमेहर की तुलना अंडरवर्ल्ड के डॉन दाऊद इब्राहिम से कर डाली और मंत्री किरन रिजीजू अपने अचरज में सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इस कमउम्र स्टूडेंट के दिमाग को कौन खराब कर रहा है.
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बहस के तूल पकड़ने के साथ बात और ज्यादा बिगड़ सकती है. प्रताप सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है. 'कम से कम दाऊद इब्राहिम ने अपने राष्ट्रविरोधी रवैये को जायज ठहराने के लिए अपने बाप के नाम की बैसाखी का इस्तेमाल नहीं किया था.'
यहां मुद्दे की बात यह है कि शहीद और करगिल युद्ध जैसे प्रसंग को बहस के ताने-बाने से बाहर रखना चाहिए था.
आगे की बात यह कि सहवाग ने मामले पर अपनी बात रखी तो उसपर रोक-टोक क्यों? अगर वह एक वक्त क्रिकेट का खिलाड़ी रह चुके हैं तो क्या बस इसी वजह से वह किसी विवादास्पद मसले पर अपना मुंह बंद रखें?
असहिष्णुता को बढ़ावा
ऐसा सोचने पर तो यही माना जायेगा कि जिस असहिष्णुता की हम शिकायत कर रहे हैं दरअसल उसी को बढ़ावा भी दे रहे हैं. अगर सहवाग ने अपने ट्वीट में गुरमेहर कौर का समर्थन किया होता तो शायद कुछ लोगों को अच्छा लगता.
सच्चाई तो यह है कि कोई हमारी राय से अलग कुछ कहे तो हम झट से उसे नकार देते हैं और यह सब एक लंबे समय से चल रहा है. अब, जब हमारी राय के खिलाफ ख्याल का इजहार होना शुरु हुआ है तो हम असुरक्षित महसूस करने लगे हैं.
हद तो यह है कि यह किसी आलोचना को दोस्ताना मिजाज से समझने की कोशिश भी नहीं करता. विडंबना देखिए कि वामपंथी उदारवाद के पिछलग्गू दक्षिणपंथियों पर असहिष्णुता के आरोप लगा रहे हैं. सहवाग के ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाओं से यह साफ जाहिर है.
एक नौजवान स्टूडेंट की तुलना कोई दाऊद इब्राहिम से करे तो दिल को बुरा लगता है. दक्षिणपंथियों ने बदतमीजी की, अपनी फितरत में सियासी चर्चा को एकदम ही अर्थहीन कर दिया है. लेकिन सहवाग की टिप्पणी ना तो अभद्र है और ना ही उसे दक्षिणपंथियों की टेक पर लिखा गया कमेंट माना जा सकता है.
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वामपंथी उदारवादी भले ही इस टिप्पणी से खुश नहीं हों तो भी वे इसे एक चुटीली उक्ति और हाजिरजवाबी की मिसाल तो मान ही सकते हैं.
वामपंथी उदारवादियों को असहिष्णुता की बहस को नये सिरे से देखना चाहिए. अभी तक विचारों का मैदान उन्हीं के लिए खुला था अब इस मैदान में उन्हें औरों के राय-विचार के लिए भी जगह बनानी होगी. उन्हें नई सच्चाई को स्वीकार करना पड़ेगा.
और जहां तक सहवाग का सवाल है, उन्हें मजे-मजे से अपना ट्वीट करते जाना चाहिए. जब-तक हाजिरजवाबी उनका साथ देती है...उन्हें वामपंथ, दक्षिणपंथ या मध्यमार्ग की फिक्र करने की जरुरत नहीं.
गुरमेहर भी बात को संदर्भ की चौहद्दी में रखते हुए अपनी लड़ाई कहीं बेहतर ढंग से जारी रख सकती है.
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