दिल्ली में चल रहे सीलिंग अभियान के विरोध में व्यापारियों के संगठन चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) की ओर से रविवार को ‘व्यापार संसद’ बुलाई गई है. इस व्यापार संसद में व्यापारियों के लगभग 500 संगठनों के भाग लेने का अनुमान है. दिल्ली के कनॉट प्लेस में व्यापार संसद का आयोजन होने जा रहा है.
दिल्ली में पिछले दो-तीन महीनों से सीलिंग को लेकर तूफान मचा हुआ है. दिल्ली के व्यापारी वर्ग में अफरा-तफरी का माहौल है. सीलिंग के मुद्दे को लेकर एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमिटी एक के बाद एक इलाके में सीलिंग की कार्रवाई कर रही है वहीं इसको लेकर राजनीति भी चरम पर पहुंच गई है.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीलिंग मुद्दे पर भूख हड़ताल करने की बात कही है. सीलिंग के मुद्दे पर अरविंद जरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर मुलाकात का वक्त भी मांगा है.
अरविंद केजरीवाल के भूख हड़ताल करने की धमकी के बाद दिल्ली की राजनीति में फिर से गर्मी आ गई है. आप के लगभग सभी विधायक और कार्यकर्ता लगातार सीलिंग को लेकर जनता को सच्चाई बताने का काम कर रहे हैं.
संसद के दोनों सदनों में भी आप के सभी सांसद सीलिंग का मुद्दा जोर-शोर से उठा कर व्यापारियों के नजरों में विलेन बनने से अपने आपको बचाना चाह रहे हैं. अरविंद केजरीवाल का साफ कहना है कि अगर दिल्ली के व्यापारी बेरोजगार हुए तो कानून व्यवस्था पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद अपनी बात पर अड़ी हैं राजनीतिक पार्टियां
गौरतलब है कि बीते मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि दिल्ली के व्यापारियों को अब सीलिंग से किसी भी तरह की कोई राहत नहीं मिलने वाली है. दिल्ली के मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधनों पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद पूरी दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई तेज कर दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट के नए रुख के बाद दिल्ली के तमाम बाजारों के साथ आवसीय क्षेत्रों में चलने वाली व्यावसायिक गतिविधियां भी अब सीलिंग के निशाने पर आ गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने की मांग को खारिज करते हुए आगे किसी भी प्रकार के संशोधन करने पर रोक लगा दी थी.
इसके बावजूद सीलिंग को लेकर राजनीतिक पार्टियों के रवैये में कोई बदलाव नजर नहीं आया है. राजनीतिक पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश देने के बाद भी लोगों को राहत दिलाने की बात करते नहीं थकतीं.
दिल्ली सरकार पर विपक्ष लगा रहा है कौन-कौन से आरोप
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीलिंग को लेकर दिल्ली की आम जनता को गुमराह कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने अमर कॉलनी में व्यापारियों को राहत देने वाली कोई बड़ी घोषणा क्यों नहीं की? वह व्यापारियों को राहत देने के लिए निगरानी समिति से क्यों नहीं मिलते हैं?’
बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता आगे कहते हैं, ‘दिल्ली के जिन 351 सड़कों को एलजी ने व्यापार करने के लिए गत 8 फरवरी को मंजूरी दी थी, उस पर दिल्ली सरकार अध्यादेश क्यों नहीं ला पाई है? मुख्यमंत्री की नियत ठीक नहीं है. सीलिंग के मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार अदालत भी जा सकती थी, लेकिन नहीं गई.’
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘राजधानी दिल्ली में पहली सीलिंग डिफेंस कॉलोनी मार्केट में हुई थी, हमने उस वक्त भी कहा था कि यह दिल्ली के व्यापारियों से पैसा इकठ्ठा करने की एक साज़िश है. व्यापारियों को बेवकूफ बनाया जा रहा है. पहले विजय गोयल ने व्यापारियों के व्यापार को कुचलते हुए अपनी दुकान चलाई, मनोज तिवारी और हरदीप पुरी ने भी बड़े-बड़े दावे किए लेकिन इनसे ना कुछ हुआ और ना होगा, हम पहले दिन से ही बोल रहे हैं कि इसका समाधान सिर्फ बीजेपी की केंद्र सरकार के पास ही है. मोदी जी चाहेंगे तो एक दिन में सीलिंग रुक सकती है.’
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी हैं. केंद्र सरकार दिल्ली की जनता को सीलिंग से राहत दिलाने को लेकर गंभीर नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा मास्टर प्लान में जो संशोधन किए जा रहे हैं वह करने की जरूरत नहीं है.
सीआईटी ने बताया केजरीवाल की धमकी को राजनीतिक ड्रामा
वहीं कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल पर बैठने की धमकी को राजनीतिक ड्रामा करार दिया है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खांडेलवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा दिल्ली सरकार वाकई में गंभीर है तो सीलिंग पर रोक लगाने का बिल विधानसभा में लेकर आए. विधानसभा में बिल पास कर केंद्र सरकार के पास भेजना चाहिए.
संगठन का कहना है कि इस फैसले के बाद दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई में और तेजी आएगा. केंद्र सरकार को चाहिए कि एक विधेयक संसद सत्र में लाकर पारित करे. साथ ही दिल्ली सरकार को भी एक दिन का विशेष सत्र सीलिंग के मुद्दे पर बुलानी चाहिए.
दिल्ली सीलिंग का क्या है समाधान?
अगर कुछ जानकारों की राय माने तो दिल्ली में चल रही सीलिंग का सिर्फ एक ही समाधान है और वो समाधान केंद्र की बीजेपी सरकार के पास है. उनका कहना है कि बीजेपी की सरकार अध्यादेश लाती है तो ही दिल्ली की सीलिंग रुक सकती है, लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि बीजेपी ऐसा क्यों नहीं कर रही है.
डीडीए ने अब तक जो संशोधन किए हैं वो बहुत अधूरे और ठीक नहीं हैं. लिहाजा उनके संशोधन सुप्रीम कोर्ट में माने नहीं गए. इस बीच व्यापारियों के अलग-अलग संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर जाकर सीलिंग को रुकवाने के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार की लापरवाही की वजह से वह पूरी नहीं हो पाई.
ऐसे में दिल्ली के व्यापारियों ने अब खुद ही अपना रास्ता चुन कर सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया है. रविवार को व्यापार संसद का आयोजन करना भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है.
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