जयललिता ने निश्चित तौर पर कोई 'दिव्य' संदेश भेजा होगा कि 'एआईएडीएमके की कमान वीके शशिकला को सौंप देना और उनके समक्ष हाथ जोड़कर समर्पण करना ही होगा- अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगली मुलाकात में काफी मुश्किल पैदा हो सकती है.'
शशिकला के तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के पद पर इस तरह से पहुंचने की इसके अलावा कोई अन्य वजह नहीं हो सकती है.
तमिलनाडु की पूर्व सीएम और बिग बॉस जयललिता मौखिक रूप से साफ और स्पष्ट बात कहती थीं, साथ ही वह अपने विरोधियों को करारा जवाब देना भी जानती थीं. वह अपनी टीम को अपने सामने नतमस्तक रखती थीं. इसके उलट उनकी सहयोगी शशिकला ऐसा बहुत कम बोलती हैं जिसका जिक्र किया जा सके. लेकिन, यह स्पष्ट है कि अम्मा की विरासत के लिए पिछले आधे साल में जब उनकी वापसी हुई तो वह एकमात्र ऐसी शख्सियत थीं जो कि हर राज से वाकिफ थीं.
साफतौर पर सत्ता के तिजोरियों की चाबियां उनके ही पास मौजूद हैं. चाहे ये किसी भी किस्म की तिजोरियां क्यों न हों. उन्हें पता है कि इन तिजोरियों के इस्तेमाल से कैसे हर तरह से अपने लिए समर्थन हासिल करना है.
जयललिता की गद्दी और कद मिल जाना उनकी अब तक की सबसे बड़ी काबिलियत है, ऐसे में राजनीतिक अनुभव का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता.
इतना ही काफी है कि वह जयललिता की सबसे खास थीं और उनके साथ जुड़ाव की यही ताकत वह सबसे बड़ा बल है जो बाकी सारे तर्कों को खारिज कर देता है.
मकसद साफतौर पर अपने प्रिय नेता की नीतियों को जारी रखने का है, जिसके डर के साये में वे सम्मान के छलावे के साथ जीते रहे हैं. कुछ हद तक यह इसका एक सूक्ष्म पहलू है जो संकेत देता है कि हम अभी भी मृत्यु के बाद के संपर्कों को मानते हैं और हमें विश्वास है कि जो प्रिय लोग हमें छोडकर चले गए हैं अगर हम उनकी मौजूदगी को मान्यता नहीं देंगे और उनकी मंजूरी नहीं लेंगे तो वे हमारे पास आएंगे.
वास्तविकता से परे इस 'दिव्य' राजनीति का भारत के साथ जुड़ाव रहा है. जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो राजीव गांधी को इसी संवेदना लहर का फायदा मिला.
जहां तक शशिकला की बात है तो उन्होंने अपनी संरक्षक जयललिता की 5 दिसंबर को हुई मृत्यु के बाद से अपने पत्ते बिलकुल छिपाकर खेले हैं. पोज गार्डन में रहते हुए वह बड़ी शांति से पार्टी की महासचिव बन गईं. मनोवैज्ञानिक तौर पर उन्होंने यह छवि बनाए रखी कि पार्टी में कुछ भी नहीं बदला है.
उस वक्त ओ पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री की कमान देकर उन्होंने स्मार्ट तरीके से सबका ध्यान अपनी ओर आने से बचा लिया. इस दौरान उन्होंने चुपचाप गंभीरता से जयललिता की विरासत हाथ में रखने के लिए वफादार अपने साथ लाने का काम किया.
उन्होंने 13 लोगों को ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरीज के तौर पर महत्वपूर्ण पोजिशनों पर नामित किया. ये ऐसे लोग हैं जो कि विरोध करने वालों पर लगाम लगाने की ताकत रखते हैं. निकट भविष्य के लिए यह उनका साफ संकेत था.
पिछले हफ्ते तीन अधिकारियों को सीएम द्वारा उनके पदों से हटाए जाने का फैसला शशिकला ने लिया था. इससे संकेत मिल गया था कि शशिकला गद्दी पर बैठने के लिए अब और ज्यादा वक्त इंतजार नहीं करेंगी.
मौजूदा सीएम जो कि खुद थेवर हैं (पार्टी में दबदबा रखने वाला समुदाय), वह पद से इस्तीफा दे चुके हैं. वह अम्मा की इच्छा पूरी करने के लिए पार्टी की सबसे महत्वपूर्ण और ताकतवर महिला के लिए रास्ता तैयार करेंगे. इस तरह की इच्छाएं अभी भी महत्व और वैधता रखती हैं.
तब सब शतरंज की बाजी पर इस जबरदस्त चाल की खुशियां मनाएंगे और एआईएडीएम के पास एक पुराना नया नेता होगा.
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