प्रद्युम्न मर्डर मिस्ट्री में गिरफ्तार आरोपी छात्र पर मुकदमा बालिग या नाबालिग की तरह चले, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है. बुधवार को एक बार फिर से जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने इस मामले को 6 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है.
बुधवार को जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने सीबीआई और आरोपी पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनी. लगभग एक घंटे तक चली कोर्ट की कार्यवाही में सभी पक्षों ने अपने-अपने तर्क दिए. जेजे बोर्ड एक बार फिर से इस मामले पर 6 दिसंबर को सुनवाई करने वाला है. कोर्ट में जिरह के बाद जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी छात्र की मानसिक स्थिति, मेडिकल रिपोर्ट और काउंसलिंग रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
गौरतलब है कि आरोपी छात्र पर बालिग की तरह मुकदमा चलाए जाने को लेकर प्रद्युम्न के पिता और सीबीआई की तरफ से भी लगातार कोशिश की जा रही है. सीबीआई जहां आरोपी छात्र के बारे में पूरी जानकारी जुटाने में लगी हुई है, वहीं मृतक छात्र प्रद्युम्न के पिता जुविनाइल जस्टिस बोर्ड के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर आरोपी छात्र के किए अपराध के लिए बालिग की तरह व्यवहार करने की मांग कर रहे हैं.
प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर का कहना है कि क्योंकि आरोपी छात्र ने जघन्य अपराध एक सोची समझी साजिश के तहत किया है इसलिए आरोपी छात्र पर बालिग की तरह ही मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
खास बात यह है कि वरुण ठाकुर की अपील पर ही जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने एक कमेटी का गठन किया था. बोर्ड ने कमेटी को इस मामले में जांच रिपोर्ट देने का भी निर्देश जारी किया था.
जेजे बोर्ड के निर्देश के बाद आरोपी छात्र की काउंसलिंग भी गई थी. साथ ही आरोपी छात्र की मनोदशा के बारे में भी उसके दोस्तों और परिवार के अन्य लोगों से पूछताछ भी की गई है. सीबीआई भी कोशिश कर रही है कि आरोपी छात्र पर बालिग की तरह मुकदमा चलाया जा सके. सीबीआई इसके लिए वह हर संभव कोशिश कर रही है जो उसे करना चाहिए.
पिछले सप्ताह ही सीबीआई ने आरोपी छात्र के पिता से छात्र की पूरी जानकारी मांगी है. सीबीआई का कहना है कि आरोपी छात्र के सारे सर्टिफिकेट्स की जांच करने के बाद ही कोर्ट में पेश किया जाए.
गौरतलब है कि गुरुग्राम के रायन इंटरनेशल स्कूल की दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या आठ सितंबर को स्कूल के ही टॉयलेट में कर दी गई थी. हरियाणा पुलिस की एसआईटी ने इस मामले में रायन स्कूल के ही एक बस कंडक्टर को गिरफ्तार किया था. बाद में 22 सितंबर 2017 को सीबीआई ने इस केस को अपने हाथ में ले लिया था.
सीबीआई के हाथ में केस आते ही एक नया मोड़ ले लिया था. सीबीआई ने स्कूल के ही 11वीं कक्षा के एक छात्र को इस केस में आरोपी बना कर सनसनी फैला दी थी. छात्र की गिरफ्तारी ने हरियाणा पुलिस की थ्योरी को पलट दिया था. हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार बस कंडक्टर अशोक फिलहाल जमानत पर बाहर है.
छात्र की गिरफ्तारी के बाद से ही सीबीआई की तरफ से नई दलील और आरोपी छात्र की तरफ से नए-नए हथकंडे अपनाने के बाद इस केस में कई नए मोड़ आए. अब सीबीआई यह कोशिश में लग गई है कि आरोपी छात्र पर बालिग की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
लेकिन, इस केस ने एक बार फिर से नई करवट ली है. आरुषि-हेमराज मर्डर केस में राजेश तलवार और उनकी पत्नी नुपूर तलवार को बरी करवाने वाले जाने-माने वकील तनवीर अहमद मीर अब आरोपी छात्र की पैरवी करने वाले हैं.
आरुषि-हेमराज मर्डर मिस्ट्री में अपने ऊपर लगे नाकामी के दाग को धोने के लिए सीबीआई के पास अच्छा मौका है, लेकिन मीर के हाथ में केस आ जाने के बाद एक बार फिर से सीबीआई को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
अगर जुविनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी छात्र को बालिग मान लिया तो उसके कृत्य के लिए उसे उम्रकैद की भी सजा हो सकती है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसे 3 साल के लिए बाल सुधार में ही रखा जाएगा.
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