म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर मोदी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. ओवैसी ने कहा है कि बांग्लादेशी मूल की लेखिका तस्लीमा नसरीन को भारत में जगह दी जा सकती है, तो रोहिंग्या मुसलमानों को क्यों नहीं दी जा सकती.
उन्होंने कहा, जब तस्लीमा आपकी बहन बन गई मिस्टर मोदी, तो क्या रोहिंग्या आपका भाई नहीं बन सकता. ओवैसी ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या ये इनसानियत है, जिनका सब कुछ लुट गया, जिन्हें मार दिया गया, आज आपकी हुकूमत उनको भेज देना चाहती है. कौन से कानून के तहत आप रोहिंग्या मुसलमानों को उठाकर भेज देंगे.
ओवैसी ने कहा कि सौ करोड़ की आबादी वाले देश के लिए 40 हजार रोहिंग्या क्या मायने रखते हैं. जब हमने अपना दिल खोल कर एक लाख से ज्यादा तिब्बतियों को अपना माना है. दलाई लामा को अपना मेहमान बनाया. पाकिस्तान के सियालकोट से आए रिफ्यूजी आज भी जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं. हमने उन पाकिस्तानी शर्णार्थियों को वोट डालने का अधिकार दिया, फिर रोहिंग्या मुसलमानों को हम क्यों नहीं अपना सकते.
#WATCH: AIMIM President Asaduddin Owaisi speaks on Rohingya refugees in India pic.twitter.com/OXUgqq4eq7
— ANI (@ANI) September 15, 2017
दूसरी ओर रोहिंग्या मुसलान को भारत सरकार देश के लिए खतरा मान रही है. सरकार को खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए हैं. रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. कोर्ट में सरकार ने कहा कि रोहिग्या भारत में नहीं रह सकते हैं.
इसके मुताबिक रोहिंग्या आतंकी समूहों के तौर पर जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय हैं. रोहिंग्याओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट आतंकी गतिविधियों में लगा सकता है. ध्यान देनेवाली बात यह भी है कि भारत सरकार ने गुरुवार को बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के लिए गुरुवार को 53 टन राहत सामग्री भेजी. म्यांमार में जातीय हिंसा के बाद रोहिंग्या मुस्लिम बड़ी तादाद में बांग्लादेश आ गए थे.
कोर्ट में पेश किए हलफनामें में सरकार ने कहा है कि खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि ये मौलिक अधिकारों के तहत नहीं आता है. वहीं रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें सिर्फ मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है.
बता दें कि भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम अवैध तौर पर रह रहे हैं. भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 18 सितंबर को करेगी.
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