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राहुल गांधी के उपवास के बाद दिल्ली कांग्रेस में फिर बवाल

दिल्ली कांग्रेस में लड़ाई तेज हो गई है. राहुल गांधी के उपवास के दौरान कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई. जो राजनीतिक माहौल राहुल गांधी इस उपवास से बनाना चाहते थे. उसकी हवा निकल गई थी.

Updated On: Apr 16, 2018 03:16 PM IST

Syed Mojiz Imam
स्वतंत्र पत्रकार

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राहुल गांधी के उपवास के बाद दिल्ली कांग्रेस में फिर बवाल

दिल्ली कांग्रेस में लड़ाई तेज हो गई है. राहुल गांधी के उपवास के दौरान कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई. जो राजनीतिक माहौल राहुल गांधी इस उपवास से बनाना चाहते थे. उसकी हवा निकल गई थी. पहले सज्जन कुमार धरना स्थल पर पहुंच गए. फिर रही सही कसर जगदीश टाइटलर ने पूरी कर दी. दोनों को लेकर मीडिया में निगेटिव पब्लिसिटी हुई. उसके बाद छोले भटूरे की फोटो वायरल हो गई थी. जिससे कांग्रेस की जमकर फजीहत हुई.

इस बवाल के बाद दिल्ली कांग्रेस के कई बड़े नेता अजय माकन के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक कम के कम एक दर्जन नेताओं ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिख कर अजय माकन की शिकायत की है. इस चिट्ठी में साफ तौर पर अजय माकन के एक तरफा काम-काज पर सवाल भी उठाया गया. शिकायत में कहा गया है कि अजय माकन दिल्ली के सभी बड़े नेताओं को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं है. न ही दिल्ली के बड़े नेताओं से पार्टी के प्रोग्राम के लिए राय मशविरा करते हैं. जिसकी वजह से पार्टी के प्रोग्राम के मकसद को नुकसान हुआ है.

शिकायत में कहा गया है कि पार्टी को सद्भावना जैसे प्रोग्राम में पहले ही सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को आने से रोकना चाहिए था. इसके अलावा ये ख्याल रखना चाहिए था. किसी तरह की लापरवाही न बरती जाए. जैसा छोले-भटूरे खाते नेताओं की तस्वीर के साथ हुआ. इसके अलावा कार्यकर्ताओं को जिस तरह से बिठाया गया. उसपर भी ऐतराज जताया गया है. मंच पर बैठे नेताओं के सामने कार्यकर्ता बैठते तो धक्का-मुक्की से बचा जा सकता था. राहुल गांधी के आने पर कार्यकर्ता काबू से बाहर हो गए. क्योंकि कार्यकर्ता और मंच में बैठे नेता राजघाट की तरफ मुंह करके बैठे थे. जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं को राहुल गांधी नहीं दिखाई नहीं दे रहे थे.

क्या था उपवास का प्रोग्राम

9 अप्रैल को दलित उत्पीड़न और जातीय हिंसा के खिलाफ कांग्रेस ने पूरे देश में सांकेतिक उपवास का कार्यक्रम रखा था. जिसमें राहुल गांधी राजघाट पर उपवास पर बैठे थे. धरना साप्रंदायिक सद्भभाव को लेकर था. जिसके जरिए कांग्रेस केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ बड़ा अभियान चलाना चाहती थी. सब कुछ ठीक चल रहा था मीडिया में भी कवरेज सही चल रही थी. तभी कार्यकर्ताओं के बीच सज्जन कुमार बैठे दिखाई पड़ गए. सज्जन कुमार के खिलाफ सिख विरोधी दंगों में शामिल रहने का आरोप है. जिसके बाद माहौल बदल गया और कांग्रेस के खिलाफ खबरें चलने लगीं.

दिल्ली पार्टी अध्यक्ष अजय माकन ने सज्जन कुमार को जाने के लिए कहा वो चले भी गए. लेकिन कुछ देर बाद वहां जगदीश टाइटलर आ गए. उनके ऊपर भी ऐसे ही आरोप हैं. अजय माकन ने टाइटलर से भी जाने के लिए कहा लेकिन टाइटलर कार्यकर्ताओं के बीच जाकर बैठ गए. ये मामला अभी शांत हुआ ही था कि एक फोटो वायरल हो गया. दिल्ली बीजेपी के नेता हरीश खुराना ने फोटो ट्वीट कर दिया. जिसमे अजय माकन, अरविंदर सिंह लवली और हारून युसुफ छोले-भटूरे खाते हुए दिखाई पड़े.

हरीश खुराना ने ट्वीट में लिखा, 'वाह...हमारे कांग्रेस के नेता लोगों को राजघाट पर अनशन के लिए बुलाया है और खुद रेस्तरां में छोले-भटूरे का मजा ले रहे हैं. सही बेवकूफ बनाते हो.' कांग्रेस ने इस पर सफाई दी कि ये सुबह आठ बजे की फोटो है. जबकि धरना 10.30 पर शुरू होना था. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सफाई दी कि बीजेपी बड़े मुद्दों पर जवाब देने के बजाय ये सब बातें उछाल रही है.

राहुल गांधी की इमेज को लगा धक्का

दिल्ली कांग्रेस के अजय माकन विरोधी खेमे के लोगों का आरोप है कि अजय माकन की वजह से राहुल गांधी की इमेज को धक्का लगा है. पार्टी के अध्यक्ष के प्रोग्राम को इतनी लापरवाही से नहीं हैंडल करना चाहिए था. बल्कि संजीदा तौर पर पार्टी के भीतर विचार विमर्श करके काम करना चाहिए था. जिस तरह की भीड़ राहुल गांधी के इस उपवास में होना चाहिए थी.

वैसी भीड़ भी इकट्ठा करने में कामयाबी नहीं मिल पाई. दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको ने खुद 200 ब्लॉक अध्यक्षों को फोन पर कार्यक्रम में आने के लिए कहा है. लेकिन 11 बजे तक भीड़ इकट्ठा नहीं हो पाई थी. इसकी वजह खेमेबाजी को माना जा रहा है. दिल्ली के बड़े नेताओं के साथ अजय माकन सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे हैं. अजय माकन मुट्ठी भर लोगों के साथ काम कर रहें हैं.

जिससे पार्टी के भीतर असंतोष है. हालांकि विरोधी कैंप को राहुल गांधी की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है, लेकिन बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के यहां से इस मामले की पड़ताल पहले से चल रही है. जिसमें पता लगाया जा रहा है कि ये लापरवाही जानबूझकर तो नहीं की गई थी.

राहुल ने कराई थी अजय माकन-शीला दीक्षित गुट में सुलह

कांग्रेस के भीतर शीला दीक्षित गुट संगठन के काम-काज में हाशिए पर चल रहा है. फरवरी में राहुल गांधी के निर्देश के बाद अजय माकन और शीला दीक्षित के बीच बातचीत हुई थी. जिसमें ये तय हुआ था कि दोनों लोग दिल्ली मे मिलकर काम करते रहेंगे. जिसके बाद शीला दीक्षित दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर भी गईं और प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी. लेकिन बात अभी बनी नहीं है.

अजय माकन की कोशिश है कि वो खुद को दिल्ली की राजनीति में स्थापित करें और कांग्रेस को शीला दीक्षित की परछाई से दूर रखें लेकिन शीला दीक्षित के समर्थकों का दावा है कि कांग्रेस चाहे तो शीला दीक्षित के कामों को कैश कर सकती है.

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अगर कांग्रेस का कोई नेता कारगर हो सकता है तो वो शीला दीक्षित ही हैं. लेकिन फिलहाल मामला राहुल गांधी के पास है. दिल्ली की कमान अजय माकन को राहुल गांधी ने दे रखी है. हालांकि अजय माकन अभी भी ब्लॉक कांग्रेस की कमेटियों का पूरी तरह से गठन नहीं कर पाए है. अजय माकन के ऊपर विरोधी खेमा आरोप लगा रहा है कि वो कांग्रेस के लोगों को संगठन में काम नहीं दे रहे हैं. बल्कि जो माकन के प्रति वफादार है उसे ही पद दिया जा रहा है. जबकि अजय माकन ने मानमाने तौर पर एमसीडी के टिकट बांटे और नतीजा सबके सामने है.

शीला दीक्षित ने शुरू किया वाट्स एप ग्रुप

Sheila Dixit

शीला दीक्षित (फोटो: रॉयटर्स)

शीला दीक्षित की तरफ से दिल्ली मेरी दिल्ली के नाम से वाट्स एप ग्रुप शुरू किया गया है. जिसको लेकर सोशल मीडिया मे प्रचार प्रसार चल रहा है. शीला दीक्षित ने सभी से इस ग्रुप से जुड़ने के लिए नंबर मांगा है. जाहिर है कि वाट्स एप से शीला दीक्षित लोगों से जुड़ने का सिलसिला शुरू कर रही हैं. इस ग्रुप के रेस्पॉन्स से पता चलेगा शीला खेमे की आगे की क्या रणनीति है. लेकिन शीला दीक्षित के इस तरह से एक्टिव होने के संकेत साफ है. कांग्रेस में शीला दीक्षित का दिल्ली के मामले में दखल बरकरार है.

राहुल गांधी को करनी पड़ेगी पहल

दिल्ली में काग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है. न ही पार्टी का कोई सांसद है. दिल्ली सरकार के खिलाफ भी कांग्रेस कोई बड़ा अभियान नहीं चला पाई है. बीते विधानसभा उपचुनाव में भी आप के उम्मीदवार को हराने में कांग्रेस कामयाब नहीं हो पाई. जिसकी वजह है दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं के बीच मतभेद. जिसे सही करने के लिए राहुल गांधी भी तक कोई खास पहल नहीं कर पाए हैं.

दिल्ली के प्रभारी पी.सी चाको भी सभी को साथ लाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं. दिल्ली में कांग्रेस नहीं समझ पा रही है कि पूर्वाचंल और बिहार की आबादी बढ़ गई है. इस तबके को कांग्रेस तरजीह नहीं दे पा रही है. जबकि बीजेपी ने मनोज तिवारी को अध्यक्ष बना रखा है. हालांकि राहुल गांधी संगठन का विस्तार कर रहे हैं. जिससे उम्मीद है कि इस तबके के लोगों को पार्टी के भीतर ज्यादा जगह मिल सकेगी.

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