नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी ने रोजगार और आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं.
शनिवार को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गडकरी ने मराठा आंदोलन पर कहा, केवल आरक्षण से क्या होगा? आरक्षण कोई रोजगार देने की गारंटी नहीं है क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं. आरक्षण तो एक 'सोच' है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें.
The earlier tweet quoting Union Minister Nitin Gadkari was deleted because of a translation error from Marathi to English. pic.twitter.com/nppgDgZHf3
— ANI (@ANI) August 4, 2018
उन्होंने कहा, 'मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है. लेकिन नौकरियां नहीं हैं. क्योंकि बैंक में आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रूकी हुई है. नौकरियां कहां हैं?'
वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार खुद सरकार (केंद्र और राज्य) 24 लाख नौकरियों पर ताला मारकर बैठी है. गडकरी जहां अपने बयान में यह दावा कर रहे हैं कि नौकरियां आईटी के कारण कम हुई हैं वहीं चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिन 24 लाख नौकरियों पर सरकार ने खुद ही रोड़ा लगाया हुआ है, उनमें सबसे अधिक नौकरी प्राथमिक (9 लाख) और माध्यमिक शिक्षकों (1.1 लाख) के लिए हैं. किसी बैंकिंग सेक्टर में नहीं.
वहीं देशभर में पुलिस पदों के लिए (4.4 लाख) नौकरियां हैं. इसके अलावा देश भर की अदालतों में 5800 और रेलवे में नॉन गजेटेड स्टाफ के 2.5 लाख पद खाली हैं.
ऐसे में गडकरी का यह दावा पूरी तरह से खोखला नजर आता है.
जाति के आधार पर नहीं, बल्कि गरीबी के आधार पर मिले आरक्षण
खैर, जहां मराठा आंदोलन को लेकर गडकरी के बयान की बात है, तो गडकरी ने आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि एक सोच कहती है कि गरीब, गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती. उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिंदू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है.
ऐसे में हमें हर समुदाय के अति गरीब धड़े पर भी विचार करना चाहिए. आरक्षण 'जाति के आधार पर नहीं, बल्कि गरीबी के आधार पर मिले तो बेहतर है, क्योंकि यह बात सच है कि गरीब की कोई जाति, भाषा और क्षेत्र नहीं होती है.'
बता दें कि महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में 16 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समाज ने पिछले कई दिनों तक आंदोलन किया. इस दौरान औरंगाबाद, पुणे, नासिक और नवी मुंबई में हिंसक आंदोलन भी हुआ. जिसमें दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाई गई.
आरक्षण की मांग को लेकर अब तक कम से कम 7 लोग कथित तौर पर खुदकुशी भी कर चुके हैं. हालांकि, अब मराठा समाज आरक्षण आंदोलन को वापस लेने की बात कह रहा है.
(भाषा से इनपुट)
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