बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 11 अगस्त को पश्चिम बंगाल जाने की तैयारी में हैं. शाह को रैली की इजाजत मिल गई है. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ट्वीट कर इस बारे में जानकारी भी दी. उनकी तरफ से शाह के बंगाल में स्वागत किया गया, लेकिन, कटाक्ष के साथ.
टीएमसी सांसद ने ट्वीट कर कहा 'बीजेपी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह नर्वस हैं. तीन अगस्त को होने वाले उनके कार्यक्रम को फौरन इजाजत दे दी गई थी. अब 11 अगस्त के कार्यक्रम के लिए सिर्फ एक खत भेजा गया और अनुमति दे दी गई. शांति और सौहार्द की धरती पर यात्रा मंगलमय हो. बंगला प्रेम.....आपका पड़ोसी.'
BJP & its national President have become nervous, tense. Their programme for Aug 3 in Kolkata was promptly granted permission. For their Aug 11 program, they only just sent a letter & permission granted. Happy journey to the land of peace and harmony #Bangla Love Your Neighbour
— Derek O'Brien (@derekobrienmp) August 1, 2018
टीएमसी सांसद के इस कटाक्ष से बीजेपी और टीएमसी के बीच जारी तकरार की झलक मिल जाती है. पलटवार तो बीजेपी की तरफ से भी हुआ है. लेकिन, अमित शाह के कार्यक्रम को लेकर जिस तरह से बवाल मचा हुआ है, उससे साफ है कि पश्चिम बंगाल बीजेपी और टीएमसी के बीच अखाड़े में तब्दील हो गया है.
एनआरसी के मुद्दे पर टीएमसी और बीजेपी के बीच तकरार के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता दौरे का जैसे ही ऐलान हुआ वैसे ही सियासी बवाल मच गया था. कोलकाता की रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी युवा मोर्चा लगा हुआ है. लेकिन, इस रैली को लेकर पहले प्रशासन की तरफ से इजाजत नहीं दी गई थी. लेकिन, जैसे ही अमित शाह की तरफ से कहा गया कि भले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए लेकिन, वो पश्चिम बंगाल के दौरे पर जाएंगे, वैसे ही राज्य प्रशासन की तरफ से रैली की इजाजत दे दी गई.
क्यों बार-बार पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं अमित शाह
लेकिन, सवाल है कि आखिरकार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का पश्चिम बंगाल दौरा इतना ज्यादा क्यों हो रहा है. इसके पीछे उत्तर एक ही है शाह की नजर पश्चिम बंगाल पर है. हर हाल में वो ममता बनर्जी के मजबूत किले को ध्वस्त करना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव के लिए राज्य की कुल 42 में से 22 से ज्यादा सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चलने वाले बीजेपी अध्यक्ष के लिए ऐसा करना जरूरी भी है.
उन्हें भी पता है कि काफी मेहनत के बाद राज्य में उन्होंने लेफ्ट और कांग्रेस को पछाड़कर बीजेपी को नंबर दो की हैसियत में ला खड़ा किया है, लेकिन, टीएमसी को मात देकर नंबर वन की हैसियत में आने के लिए उन्हें काफी मेहनत करने की जरूरत है. लिहाजा वो बार-बार पश्चिम बंगाल पहुंचकर राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित भी कर रहे हैं. नेताओं के साथ बैठकर रणनीति को अंजाम भी दे रहे हैं.
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11 अगस्त को उनकी रैली से पहले पिछले 27 और 28 जून को भी शाह का पश्चिम बंगाल का दौरा हुआ था. उस दौरान भी उन्होंने राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति पर चर्चा की थी, उन्हें जीत का गुरु-मंत्र भी दिया था. इस दौरे में 28 जून को पुरुलिया में उनकी रैली और उसमें उमड़ी भीड़ चर्चा का कारण रही. पुरुलिया की रैली से पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव को लेकर अमित शाह ने परोक्ष रूप से शंखनाद भी कर दिया है.
अमित शाह के पिछले साल के दौरे पर भी हुई थी जमकर राजनीति
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पिछले साल सितंबर में भी पश्चिम बंगाल के दौरे पर थे. अमित शाह का यह दौरा तीन दिनों तक चला था. उस वक्त 11,12 और 13 सितंबर तक अमित शाह का दौरा चला था. इस दौरान अमित शाह ने बुद्धिजीवियों और उद्योगपतियों के साथ बैठक की थी. इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया था. शाह की रैली को लेकर भी उस वक्त राजनीति जमकर हुई थी. नेताजी इंडोर स्टेडियम में अमित शाह को बैठक करने की अनुमति नहीं मिली थी. जिसके चलते कई दूसरे जगहों पर उन्हें कार्यक्रम करना पडा था.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसके पहले अप्रैल 2017 में भी पश्चिम बंगाल का दौरा किया था. इस दौरान शाह ने तीन दिन का दौरा किया था, जिसमें मुख्य फोकस उत्तरी बंगाल था. उस वक्त उत्तरी बंगाल के आठ जिलों के पदाधिकारियों के साथ उन्होंने बैठक कर राज्य में पार्टी को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा की थी.
बीजेपी के एजेंडे में टॉप पर पश्चिम बंगाल
दरअसल, बीजेपी के 2019 के एजेंडे में पश्चिम बंगाल काफी उपर है. पार्टी ने इसके लिए जमीनी स्तर पर तैयारी भी काफी हद तक कर ली है. ममता बनर्जी के खासमखास रहे मुकुल रॉय को बीजेपी ने अपने पाले में पहले ही ला दिया है. उनके आने के बाद जमीनी स्तर पर पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करने में बीजेपी को काफी मदद मिल रही है. बीजेपी को इसका फायदा भी मिला है. खासतौर से पंचायत चुनाव में पार्टी की सफलता ने लोकसभा चुनाव को लेकर उम्मीदें बढ़ा दी हैं.
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राज्य की राजनीति के हिसाब से बीजेपी को भी ध्रुवीकरण की राजनीति काफी हद तक रास आ रही है. टीएमसी को भी लगता है कि ध्रुवीकरण की राजनीति से उसे अल्पसंख्यक मतों का फायदा होगा. तभी तो एनआरसी के मुद्दे पर ममता बनर्जी और बीजेपी दोनों आमने-सामने हैं. ऐसे वक्त में अमित शाह का कोलकाता का दौरा माहौल को और गरमाने वाला है. क्योंकि बीजेपी के कई नेता इस मुद्दे पर बंगाल में भी असम की ही तरह एनआरसी को लेकर चर्चा छेड़ चुके हैं.
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