दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में हुए विवाद में जब से राजनेता कूदने लगे हैं तब से विवाद और गहराने लगा है. विवाद हमेशा की तरह राष्ट्रवाद और गैर-राष्ट्रवाद के बीच छिड़ी बहस के नाम पर शुरू हो गया है.
इस बार दक्षिणपंथी और वामपंथी संगठन आमने-सामने हैं. लेकिन, गृह-राज्य मंत्री किरेन रिजीजू के बयान ने पूरे मामले को और गरमा दिया है. किरेन रिजीजू ने अपने बयान में कहा है कि, 'डीयू की छात्रा गुरमेहर कौर के मस्तिष्क को कुछ लोग प्रदूषित कर रहे हैं.'
बयान पर बवाल मचा तो रिजीजू ने कहा कि, 'उनका बयान वामपंथियों को लेकर था जिनकी तरफ से पूरे माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है.' हालांकि, वो अपने बयान पर कायम दिखे.
अब सवाल यही है कि, क्या डीयू की छात्रा गुरमेहर कौर को बहलाया-फुसलाया गया है? क्या किसी के बहकावे में आकर गुरमेहर ने इस तरह का बयान दिया है या फिर मौजूदा हालात को देखकर डीयू की इस छात्रा का दर्द सामने आ गया.
दरअसल गुरमेहर कौर ने इस पूरे विवाद में एबीवीपी के खिलाफ चल रहे कैंपेन में अपनी बात खुलकर रख दी थी. लेकिन, बाद में गुरमेहर ने सोशल मीडिया पर मिल रही धमकियों के बाद खुद को पूरे कैंपेन से अलग कर लिया.
लेकिन, सवाल यही खड़ा हो रहा है कि गुरमेहर कौर और दूसरे छात्रों को क्या वामपंथी विचारधारा के लोग बहका रहे हैं या फिर उनकी अपनी समझ है जिसके जरिए अपनी बातों को रख रहे हैं.
किरेन रिजीजू को भले ही लगता हो कि गुरमेहर कौर को बहकाया जा रहा है लेकिन हमारे ही समाज में संवैधानिक रूप से किसी भी व्यक्ति को 18 साल की उम्र होने पर वोट देने का अधिकार है.
यानी भारत का संविधान यह मानता है 18 साल के व्यक्ति के पास इतनी समझ होती है कि वह अपने विवेक से किसी राजनीतिक पार्टी को चुन सकता है. गुरमेहर 20 साल की हैं. यानी संविधान तो उनके सोचने पर भरोसा करता है लेकिन किरेन रिजीजू नहीं कर पा रहे हैं.
साथ ही अगर कोई आपकी पार्टी का विरोध कर रहा हो तो उसे बहलाया-फुसलाया हुआ कहना एक तरीके से आरोप भी है. क्योंकि किसी के फुसलाने पर गलत काम करना भी अपराध की श्रेणी में आता है.
किरेन रिजीजू को यह समझना चाहिए कि अगर कोई युवा आपके कदम का विरोध कर रहा है तो बहुत बड़ी संख्या में युवा आपके समर्थन में भी हैं. बहलाने-फुसलाने के आरोप वामपंथी पार्टियों की तरफ से भी आ सकते हैं. हो सकता है रिजीजू बयान के पलटवार में आएं भी.
सभी राजनीतिक पार्टियां चाहती हैं कि युवा उनके साथ आएं और जुड़ें लेकिन विरोध में खड़ा युवा उन्हें बहलाया-फुसलाया लगता है. किरेन रिजीजू के साथ दूसरे दलों को भी ये बात समझ में आनी चाहिए कि देश के युवा दिग्भ्रमित तो कतई नहीं है. यही देश के भविष्य हैं और भविष्य को दिग्भ्रमित समझने की भूल नुकसानदायक हो सकती है.
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