केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान का मन भी उप राष्ट्रपति पद के लिए डोल रहा है. 1946 में पैदा हुए पासवान की उम्र अगले लोकसभा चुनाव आने तक मार्ग दर्शक मंडल के लिए निर्धारित सीमा रेखा के काफी नजदीक आ जाएगी.
हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल सहयोगी पार्टियों के नेताओं पर कोई ऐसी बंदिश नहीं है. वो चाहें तो मरणोपरांत तक सियासी राजनीति में सक्रिय रहकर चकलेश काट सकते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री के राजनीतिक तरकश में मोरल यानी नैतिकता का तकाजा भी ‘जिंदा’ हो गया है.
बड़े भाई द्वारा दिखाए गए रास्ते पर छोटे को तो चलना ही चाहिए, मन में ऐसा कुरकुरहट होने लगी है. इसके अलावा समाज को भी तो कम से कम ‘जन नेताओं’ से ऐसे ‘बलिदान’ की अपेक्षा रहती ही है.
संभवतः इसी ‘मोरल ग्राउंड’ को दिमाग में रखकर राम विलास पासवान ने संवैधानिक पद के रिंग में अपना हैट फेंकने का मन बनाया है. वैसे दूसरा कारण, लाल बुझक्कड़ों की बतकही को माने तो, टिमटिमाती सेहत है.
डॉक्टरों के हिदायत के बाद भी सोनबचवा, गैंची, टेंगर और देशी मांगुर मछली का स्वाद जीभ छोड़ना नहीं चाहती है. अभी हाल ही में पटना दौरे के दरम्यान उन्हें तीसरी बार माइल्ड हार्ट अटैक हो गय. स्टार लीविंग के आदी मंत्री को एक निजी नर्सिंग होम में दो दिनो तक सिकुड़कर रहना पड़ा.
समर्थकों से पत्नी के प्रचार की अपील
मंत्री के एक खास लटक के अलावा ‘दलित नेता’ के कई बिहारी दरबारियों ने फर्स्टपोस्ट को बताया ‘पासवानजी ने हमलोगों को निर्देश दिया है कि अभी से ही हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में रीना भाभी के लिए प्रचार करना शुरू कर दो क्योंकि अगला चुनाव मैडम ही लड़ेंगी.’
यहां क्लीयर कर देना लाजिमी है कि रीना शर्मा राम विलास पासवान की अर्द्धांगिनी हैं और छनकर आ रही खबरों के अनुसार एयर होस्टेस रहीं मैडम का दिल लोकसभा में इंट्री मारने के लिए धक-धक कर रहा है.
कुछ समर्थक तीसरे कारण का भी हवाला देते हैं. वो कहते हैं कि पासवान जी की अंतिम इच्छा है कि चिराग पासवान जल्दी से जल्दी घर बसा लें और फिर बुढ़ापे में बिना दौड़ धूप करने वाले किसी सम्मानित ओहदे पर कुंडली मार कर बैठा जाएं.
एक्टर से नेता बने और बिहार के जमुई क्षेत्र से सांसद चिराग पासवान के लिए स्वजातीय सुयोग्य कन्या की तलाश जारी है. लड़की की खोज में काउ बेल्ट में चलंत -‘ब्लड इज थिकर दैन वाटर’- मुहावरे का पुरकस ख्याल रखा जा रहा है.
पटना के मौर्या होटल में बिहार कैडर की एक आईएएस लड़की के साथ हाल ही में देखा-देखी हुई है. मध्य प्रदेश और यूपी कैडर की एक-एक आईएएस लड़कियां भी पाइप लाइन में हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के एक नेता ने कहा कि ‘सीनीयर पासवान डिटरमाइंड हैं कि 2017 के अंत तक चिराग पासवान को एकला से दोकला बना देना है.’
अगस्त में पूरा हो रहा है हामिद अंसारी का कार्यकाल
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 19 अगस्त को पूरा हो रहा है. सरकार को किसी भी सूरत में 10 अगस्त तक चुनाव करवा देना है.
सूत्रों की मानें तो राम विलास पासवान ने अपने दिल की चाहत को देश के वजीरे आजम के चौखट तक पहुंचा दिया है. ‘ ग्रीन सिग्नल का इंतजार है’ ऐसा कहना है मृदुभाषी और हर कार्यकर्ता के दुख सुख का गंभीरता से ख्याल रखने वाले दाढ़ी प्रेमी मंत्री के चाहने वालों का.
तर्क है कि पासवान के पक्ष में सबसे मजबूत गणित है कि उनके बनने से देश भर का दलित समाज गर्वांवित और प्रसन्न होकर मोदीमय हो जाएगा जिसका राजनीतिक लाभ 2019 में एनडीए को मिलेगा.
बिहार बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का तो यहां तक कहना है कि कई ऐसे मौके आए जहां विपरीत परिस्थिति रहने पर भी पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया है. वो आगे कहते हैं कि ‘ मेरी राय में पासवान जी उपराष्ट्रपति पद के सबसे फिट उम्मीदवार हैं. साथ ही, अगर उनको वीपी बनाया गया तो, समझिए कि बिहार में दलित वोट का एनडीए के पक्ष में हमेशा के लिए पेटेंट होना तय हो जाएगा.’
धरा पर वैसे लोगों की भी कमी नहीं है जो कहते हैं कि वीपी का पद रामविलास पासवान के राजनीतिक और सामाजिक कद से बहुत छोटा है.
राजनीति के पुराने धुरंधर
साठ के दशक से ही सियासी राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी रहे पासवान 23 वर्ष की उम्र में ही 1969 में अलौली विधानसभा के सदस्य बन गए थे.
फिर 1977 से लेकर आजतक लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने जाते रहे. सिर्फ 1984 और 2009 के चुनाव में उन्होंने हार का सामना किया.
लेकिन लालू प्रसाद यादव की मदद से फौरन 2009 में राज्यसभा के सदस्य बन गए. 1989 की विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में बतौर श्रम राज्य मंत्री बनकर अपनी मंत्रिमंडलीय पारी की ओपनिंग की.
अपने 47 साल के संसदीय कार्यकाल में रामविलास पासवान कई महत्वपूर्ण विभाग के मिनिस्टर रह कर शानदार बैटिंग कर चुके हैं. इसीलिए कई शुभचिंतक चाहते हैं कि उन्हें एकदम से उपराष्ट्रपति बना दिया जाए.
बिहार के मधुबनी से सांसद और बीजेपी के कद्दावर नेता हुकुमदेव नारायण यादव का नाम भी उप राष्ट्रपति के पद के लिए चर्चा में है. लेकिन लोजपा के लोगों का तर्क है कि इनको बनाने से बीजेपी को कोई राजनीतिक फायदा नहीं होगा क्योंकि जबतक लालू प्रसाद यादव मैदाने जंग में रहेंगे कोई माई का लाल बिहार के 15 प्रतिशत यादवों का समर्थन उनसे छीन नहीं सकता.
बहरहाल, टेलीफोनिक बातचीत में मंत्री महोदय ने हंसते हुए इस टॉपिकल इश्यू पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. तो फिर क्या -‘मौनम सहमति लक्षणम्’- कहावत पर चुनाव सम्पन्न होने तक विश्वास किया जा सकता है?
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