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राम मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन बेहद खतरनाक होगा: AIMPLB

मंदिर निर्माण के लिए वर्ष 1992 जैसा व्‍यापक आंदोलन छेड़ने के संघ के इशारे के बारे में रहमानी ने कहा कि संघ अगर आंदोलन शुरू करता है तो यह बहुत खतरनाक होगा. इससे मुल्‍क में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो जाएगा

Updated On: Nov 04, 2018 03:57 PM IST

Bhasha

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राम मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन बेहद खतरनाक होगा: AIMPLB

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अयोध्‍या में राम मंदिर के निर्माण के लिए वर्ष 1992 जैसा ही आंदोलन शुरू करने के राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इरादे को मुल्‍क के लिए बेहद खतरनाक बताते हुए आज कहा कि मंदिर को लेकर अचानक तेज हुई गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं.

एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हिंदूवादी संगठनों के अचानक तेज हुई गतिविधियों के बारे में कहा कि जहां तक मंदिर निर्माण को लेकर तथाकथित हिंदूवादी संगठनों में बेचैनी का सवाल है, इससे साफ जाहिर है कि यह सियासी है. 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को सामने रखकर यह दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन वो संगठन दरअसल क्‍या करेंगे, अभी तक इसका सही अंदाजा नहीं है.

मंदिर निर्माण के लिए वर्ष 1992 जैसा व्‍यापक आंदोलन छेड़ने के संघ के इशारे के बारे में रहमानी ने कहा कि संघ अगर आंदोलन शुरू करता है तो यह बहुत खतरनाक होगा. इससे मुल्‍क में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो जाएगा.

हाल के वर्षों में हिंदुओं-मुसलमानों के बीच खाई बहुत गहरी हो गई है

इस आशंका का कारण पूछे जाने पर उन्‍होंने बताया कि 1992 में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत इतनी ज्‍यादा नहीं थी. हाल के वर्षों में दोनों के बीच खाई बहुत गहरी हो गई है.

विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी), अंतरराष्‍ट्रीय हिंदू परिषद समेत तमाम हिंदूवादी संगठनों और साधु-संतों द्वारा मंदिर निर्माण के लिए अध्‍यादेश लाने या कानून बनाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाए जाने पर मौलाना रहमानी ने कहा कि कुछ कानूनविदों के मुताबिक इस मसले पर अभी कोई अध्‍यादेश या संसद का कानून नहीं आ सकता. अब सरकार क्‍या करेगी और उसके क्‍या नतीजे होंगे, यह नहीं कहा जा सकता.

इस बीच, देश में मुसलमानों के सबसे बड़े सामाजिक संगठन माने जाने वाले जमीयत उलमा-ए-हिन्‍द की उत्‍तर प्रदेश इकाई के अध्‍यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने कहा कि अयोध्‍या मामले चूंकि अदालत में विचाराधीन है इसलिए सभी को सब्र से काम लेते हुए अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए. उसका जो भी निर्णय हो, उसे कुबूल करना चाहिए. मुल्‍क में इसी तरह अमन और सलामती कायम रह पाएगी.

उन्‍होंने कहा कि हठधर्मिता से देश को नुकसान होगा. हमारी अपील है कि इस मामले में जज्‍बात से काम न लेकर हालात की नजाकत को समझते हुए काम किया जाए.

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