16 राज्यों में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव की तारीख तय हुई है. चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही अब बीजेपी के भीतर राज्यसभा सदस्यों को लेकर खींचतान तेज हो गई है. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सत्ता में आने के बाद अब बीजेपी के खाते में सीटें बढ़नी तय हैं.
इस बार बीजेपी करीब 30 सीटें जीत सकती है. अभी बीजेपी के पास 17 सीटें हैं, लेकिन, इस बार संख्या बल के हिसाब से पार्टी के खाते में राज्यसभा की करीब दर्जन भर सीटों की बढ़ोतरी हो सकती है. इन सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों के नाम के ऐलान से पहले मंथन तेज हो गया है.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, जिन केंद्रीय मंत्रियों का कार्यकाल इस साल अप्रैल में समाप्त हो रहा है, उनकी फिर से एंट्री लगभग तय है. इसके अलावा पार्टी के नए लोगों को भी टिकट दिया जाना है. असली माथापच्ची इसी बात को लेकर हो रही है. लेकिन, इसमें टीम अमित शाह को तवज्जो दिए जाने की पूरी संभावना है.
माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी की तरफ से जिन नए चेहरों को राज्यसभा का टिकट दिया जाएगा उसमें अधिकतर अमित शाह की टीम के ही सदस्य होंगे. इस दौरान क्षेत्रीय समीकरण का ध्यान भी रखा जाएगा.
नहीं कटेगा मंत्रियों का पत्ता !
पहले बात केंद्रीय मंत्रियों की करें तो वित्त मंत्री अरुण जेटली, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मांडविया, रविशकर प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान और जे पी नड्डा समेत कई मंत्रियों का कार्यकाल इस बार समाप्त हो रहा है.
गुजरात में इस बार संख्या बल के हिसाब से महज दो सीटें ही बीजेपी के खाते में आ सकती हैं. ऐसे में गुजरात से वित्त मंत्री अरुण जेटली और कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला की राज्यसभा में फिर से एंट्री हो सकती है. बाकी मंत्रियों को दूसरे राज्यों से लाया जा सकता है.
हिमाचल की एक सीट से स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा का चुना जाना लगभग तय है. जबकि मध्य प्रदेश से थावरचंद गहलोत फिर से राज्यसभा पहुंचेंगे. उधर, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर इस बार महाराष्ट्र से राज्यसभा के सांसद हो सकते हैं.
लेकिन, बिहार में संख्या बल नहीं होने के चलते इस बार दो केंद्रीय मंत्रियों रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रधान में से किसी एक को दूसरे राज्य में शिफ्ट करना पड़ सकता है.
सूत्रों के मुताबिक पार्टी रविशंकर प्रसाद को फिर से बिहार से ही राज्यसभा भेज सकती है जबकि धर्मेंद्र प्रधान को बिहार के बजाए उत्तर प्रदेश से सांसद बनाया जा सकता है.
लेकिन, इस बार बीजेपी की तरफ से राज्यसभा में जिन लोगों की इंट्री मिलने वाली है, उनपर सबकी नजरें टिकी हैं. संख्या बल के हिसाब से दस से बारह नए लोगों की इस बार राज्यसभा में इंट्री होगी.
‘टीम अमित शाह’ की होगी बल्ले-बल्ले
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, इस बार नए लोगों में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की टीम के सदस्यों को भेजने की तैयारी हो रही है. फिलहाल बीजेपी के महासचिवों में भूपेंद्र यादव राज्यसभा के सदस्य हैं जबकि कैलाश विजयवर्गीय मध्यप्रदेश से विधायक हैं. भूपेंद्र यादव का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है. लेकिन, उन्हें फिर से राजस्थान से ही राज्यसभा भेजा जाना तय माना जा रहा है. भूपेंद्र यादव इस वक्त पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के काफी भरोसेमंद महासचिवों में से एक हैं. फिलहाल उनके पास अमित शाह के गृह-राज्य गुजरात के साथ-साथ बिहार का भी प्रभार है.
इस बार बीजेपी के जिन महासचिवों की राज्यसभा जाने की चर्चा है उसमें अरुण सिंह और अनिल जैन का नाम भी प्रमुख है. अरुण सिंह ओडिशा के प्रभारी हैं जबकि अनिल जैन हरियाणा के प्रभारी हैं. इन दोनों को यूपी से ही राज्यसभा भेजा जा सकता है.
इनके अलावा मध्य प्रदेश से कैलाशविजवर्गीय को राज्यसभा भेजा जा सकता है, जबकि छत्तीसगढ़ के दुर्ग से पूर्व लोकसभा सांसद और पार्टी महासचिव सरोज पांडे को उनके गृह-राज्य से राज्यसभा का टिकट थमाया जा सकता है.
दक्षिण भारत से राम माधव और मुरली धर राव पार्टी महासचिव हैं. ये दोनों किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. दक्षिण भारत में पार्टी के विस्तार को ध्यान में रखकर इन दोनों को राज्यसभा भेजा जा सकता है.
पार्टी महासचिवों के अलावा पार्टी के कुछ प्रवक्ता भी राज्यसभा के लिए दावेदार हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक यूपी से सुधांशु त्रिवेदी और विजय सोनकर शास्त्री के अलावा दक्षिण भारत से जी वी एल नरसिंह राव को राज्यसभा में भेजा जा सकता है.
लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर रणनीति
दरअसल इस साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं. जबकि अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. ऐसी सूरत में इन चुनावों की तैयारियों में अमित शाह की टीम के ये सभी सदस्य रणनीति बनाने में लगे हैं.
चुनावों के वक्त भी इन्हें लोकसभा का टिकट दिए जाने पर पार्टी का प्रचार-प्रसार और चुनावी मैनेजमेंट भी प्रभावित होगा. लिहाजा इन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया जा सकता. माना जा रहा है कि इसी रणनीति के तहत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अपनी टीम के इन सभी भरोसेमंद महासचिवों को राज्यसभा में लाकर उनके कद को बढ़ाने की तैयारी में हैं.
पिछले साल अगस्त में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुद राज्यसभा पहुंच चुके हैं. अब बारी ‘टीम अमित शाह’ की है.
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