लोकसभा के आगामी चुनाव में विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों की परख अगले महीने होने वाले राज्यसभा के चुनाव में होगी. राजनीतिक लिहाज से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को छोड़कर कोई भी विपक्षी दल अपने बलबूते एक भी राज्यसभा सीट जीतने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में उनका एकजुट होना या ना होना दूरगामी संकेत देगा.
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव इस बात का इशारा दे सकते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकजुटता की ताबीर कैसी होगी. हालांकि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर प्रयास करते रहे हैं. लेकिन अभी तक इस पर दूसरी तरफ से कोई ठोस पहल सामने नहीं आई है.
राज्यसभा की 10 सीटों पर होना है चुनाव
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव होना है. एक उम्मीदवार को जीतने के लिए तकरीबन 37 वोटों की जरूरत होगी. प्रदेश में विपक्षी दलों की बात करें तो राज्य विधानसभा में 47 विधायकों वाली समाजवादी पार्टी अपने बलबूते एक सीट जीतने की ताकत रखती है. लेकिन 19 विधायकों वाली बीएसपी और सात विधायकों वाली कांग्रेस को अपना उम्मीदवार जिताने के लिए दूसरी विपक्षी पार्टियों का सहारा तलाशना होगा.
वोटों की गणित पर निगाह डालें तो राज्य की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में सदन में इस वक्त एक सीट खाली है. बीजेपी के इस समय 311 विधायक हैं. विधायक लोकेन्द्र सिंह के हाल में निधन से बीजेपी की एक सीट कम हो गई है. इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी अपना दल के नौ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार विधायक हैं. इस लिहाज से बीजेपी अपने आठ उम्मीदवारों को बड़ी आसानी से जिता लेगी.
बेहद दिलचस्प होगा दसवें सदस्य का चुनाव
समाजवादी पार्टी के पास 47 सदस्य हैं. वह जिस एक उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी उसकी जीत पक्की है. इस तरह दस में से नौ सीटों का परिणाम तय है. अब बची एक सीट के लिए किसी एक विपक्षी दल के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है. एक सदस्य को निर्वाचित कराने के बाद समाजवादी पार्टी के पास 10 वोट बचेंगे. बीएसपी के पास 19 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास सात और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक वोट है. ऐसे में इन दलों का गठबंधन दसवें सदस्य को राज्यसभा भेज सकता है.
प्रेक्षकों के मुताबिक अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तीनों दल एकजुट होंगे. अगर तीनों का गठबंधन बना तो यह लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश होगा. अगर बात नहीं बनी तो राज्यसभा के इस चुनाव में दसवें सदस्य का चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएगा.
कांग्रेस अभी भी 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में है
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चैधरी का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेने के पैरोकार हैं. वह चाहते हैं कि धर्मनिरपेक्ष दल मिलकर सांप्रदायिक शक्तियों का मुकाबला करें. हालांकि उन्होंने आगामी राज्यसभा चुनाव में अपने बचे वोटों के इस्तेमाल से संबंधित पार्टी की रणनीति का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी उचित समय पर सही निर्णय लेगी.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक उनकी पार्टी अभी ‘वेट एंड वाॅच‘ की स्थिति में है. कांग्रेस तात्कालिक परिस्थितियों के अनुरूप ही निर्णय लेगी.
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्यों नरेश अग्रवाल, दर्शन सिंह यादव, नरेश चन्द्र अग्रवाल, जया बच्चन, चैधरी मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी, बीजेपी के विनय कटियार और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसके अलावा मनोहर पर्रिकर और मायावती की सीट रिक्त है.
राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना पांच मार्च को जारी होगी. नामांकन 12 मार्च तक दाखिल हो सकेंगे, जिनकी जांच अगले दिन होगी. नाम वापसी की आखिरी तारीख 15 मार्च होगी. मतदान 23 मार्च को होगा और मतगणना भी उसी दिन होगी.
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