बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को 1985 में कांग्रेस द्वारा घोषित योजना का परिणाम बताते हुए मंगलवार को कहा कि इसे लागू करने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी इसलिए यह योजना अब तक लंबित रही.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए शाह ने कहा कि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौते के तहत एनआरसी बनाने की घोषणा की थी. एनआरसी को असम समझौते की आत्मा बताते हुए उन्होंने कहा ‘एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिए हम इसे लागू करने के लिए निकले हैं.’
अमित शाह ने यह भी कहा कि कांग्रेस और ममता बनर्जी एनआरसी को लेकर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मसौदे को कांग्रेस द्वारा ही लाया गया था लेकिन उनमें हिम्मत नहीं थी कि इसे लागू करें.
इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि NRC पर चर्चा के दौरान संसद में मुझे बोलने नहीं दिया गया. विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. लेकिन यह बात याद करना होगा कि सबसे पहले NRC कौन लेकर आया था. यह लाने वाले राजीव गांधी थे.
अमित शाह ने साफ किया कि NRC की लिस्ट बनने का मतलब यह नहीं है कि बिहार या तमिलनाडु के लोग असाम में नहीं रह सकते. भारत का कोई भी नागरिक रह सकता है. लेकिन जो भारतीय नहीं हैं उनकी दिक्कत बढ़ेगी.
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