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राजस्थान: कांग्रेस के वादों में अचानक पैदा हुईं शर्ते भारी न पड़ जाएं?

लोकसभा चुनाव में 2 महीने का वक्त है और आशंका है कि कांग्रेस को ये 'कंडीशंस' कहीं भारी न पड़ जाएं

Updated On: Feb 05, 2019 09:35 PM IST

Mahendra Saini
स्वतंत्र पत्रकार

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राजस्थान: कांग्रेस के वादों में अचानक पैदा हुईं शर्ते भारी न पड़ जाएं?

राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता में पहुंचाने के पीछे जिसे सबसे बड़ी वजह माना जाता है, वो 2 वादे हैं. एक किसानों की कर्जमाफी और दूसरा बेरोजगारों को 3500 रुपए महीने भत्ते का वादा. खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया था कि सरकार बनने के 10 दिन के अंदर सभी किसानों का कर्ज़ माफ कर दिया जाएगा. इसी तरह घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ते को शामिल किया गया था.

अब सरकार बने हुए डेढ़ महीने से ज्यादा हो चुका है. किसानों की कर्ज़ माफी का ऐलान तो वादे के अनुसार 10 दिन के भीतर कर दिया गया. पिछले दिनों बेरोजगारों को भत्ते का ऐलान भी कर दिया गया. लेकिन दोनों ही मामलों में शर्तें लागू कर दी गई हैं. इन्हीं शर्तों पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई हैं.

भारी पड़ रहा कर्ज़माफी का वादा

किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर बीजेपी ने गहलोत सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. पिछले कई दिनों से बीजेपी ने आंदोलन छेड़ रखा है. 8 फरवरी से तो जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी गई है. बीजेपी का आरोप है कि कर्ज़माफी के नाम पर किसानों को बेवकूफ बनाया जा रहा है. बीजेपी का सवाल है कि जब 10 दिन में सभी किसानों के कर्ज़ को माफ करने की बात थी तो अब डेढ़ महीने बाद भी सरकार सिर्फ घोषणा से आगे क्यों नहीं बढ़ पाई है.

लगता है कि इस मुद्दे पर गहलोत सरकार गहरी पशोपेश में है. चुनाव से पहले सिर्फ सत्ता में पहुंचने के लिए बिना सोचे समझे वादा कर दिया गया. चुनाव जीतने के बाद शायद तय नहीं कर पा रहे हैं कि हजारों करोड़ का बंदोबस्त कैसे होगा. हो सकता है कि सरकार की सोच किसी तरह लोकसभा चुनाव तक समय निकालने की हो.

लेकिन बीजेपी ने जिस तरह से इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया है, उसने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी ऊहापोह में हैं. पहले तो गहलोत ने आक्रामकता से जवाब देना चाहा. पर ये दांव बूमरैंग साबित हुआ. बीजेपी के जेल भरो आंदोलन पर गहलोत ने कहा- ऐसा जेल में डालूंगा कि निकल ही नहीं पाओगे. इस बयान पर गहलोत जमकर ट्रोल हुए.

Ashok Gehlot (1)

पूरे का था वादा, अब जोड़ रहे शर्तें

कर्ज़माफी के मुद्दे के संभावित नकारात्मक असर के मद्देनजर अब सरकार ने आनन-फानन में प्रमाण पत्र बांटने का ऐलान कर दिया है. 7 फरवरी से ये काम शुरू होगा. मुख्य सचिव ने सभी जिला कलेक्टरों को कैंप लगाकर कर्जमाफी प्रमाण पत्र बांटने का काम जल्द पूरा करने को कहा है. 7 फरवरी इसलिए क्योंकि 8 फरवरी को बीजेपी ने जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दे रखी है.

इस मुद्दे पर घमासान कम होने के कोई आसार नहीं हैं. वादा पूरे कर्ज़ और सभी किसानों के लिए था. लेकिन अब सिर्फ 2 लाख रुपए तक के फसली लोन और सहकारी बैंकों के कर्ज़ की शर्त जोड़ दी गई है. यानी कमर्शियल बैंकों से लिए कर्ज़ को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. असमंजस उन किसानों को लेकर भी है, जिन्होंने 2018 में वसुंधरा राजे सरकार से 50 हज़ार तक की ऋणमाफी का फायदा लिया था.

जानकारों के मुताबिक, पहले ये तय किया गया था कि जो लोन नहीं चुका पाए, सिर्फ उन्हीं का माफ किया जाए. इससे कांग्रेस में ही विरोध शुरू हो गया. फिर तय किया गया कि सभी किसानों का माफ किया जाएगा क्योंकि ऐसा न करने पर ईमानदार किसानों के साथ अन्याय होता.

अब जो नई शर्तें जोड़ी गई हैं, उनके अनुसार किसानों की 2 कैटेगरी बनाई गई हैं. पहली कैटेगरी में 2 हैक्टेयर तक की जोत वाले किसान हैं. ये वे किसान हैं जिन्होने पिछली सरकार से 50 हज़ार की कर्ज़माफी का फायदा लिया था. इन किसानों का अब 1.5 लाख रुपया ही माफ होगा. दूसरी कैटेगरी में बड़े किसान हैं. इनके कर्ज को आनुपातिक आधार पर एडजस्ट किया जाएगा.

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बड़ा सवाल फंड के जुगाड़ का भी है. सरकार कर्ज़ माफी का बोझ 18 हजार करोड़ रुपए मान रही है. इसके बंदोबस्त के लिए सरकार ने 1500 करोड़ रुपए के लोन की योजना बनाई है. 2800 करोड़ रुपए का बंदोबस्त नेशनल को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन से किया जाएगा. पिछली सरकार ने NCDF से 5 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था. इसमें से 2200 करोड़ ही निकाले गए थे. बची हुई राशि अब काम में ली जाएगी.

पीएम मोदी से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की मुलाकात

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बेरोजगारी भत्ते में भी फंसा पेंच

युवा वोटों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने बेरोजगारी भत्ते का दांव खेला था. जैसा कि ऊपर बताया गया, वादा सभी बेरोजगारों को 3500 रुपए प्रति महीने का था. युवा खुश थे कि कम से कम नौकरी मिलने तक कुछ तो सहारा मिलेगा. मुख्यमंत्री युवा संबल योजना नाम से इसकी घोषणा तो कर दी गई है. लेकिन अब इसमें भी कई शर्तें जोड़ दी गई हैं.

पहली शर्त तो ये है कि बेरोजगारी भत्ता सिर्फ उन्हें मिलेगा जिनके परिवार की आय 2 लाख रुपए से कम है. दूसरे एक परिवार में अधिकतम 2 बेरोजगारों को ही भत्ता मिलेगा. तीसरी शर्त ये है कि 30 वर्ष तक के पुरुष बेरोजगार और 35 वर्ष तक के महिला, दिव्यांग बेरोजगार ही पात्र होंगे. पुरुष बेरोजगारों के लिए भत्ते की राशि भी 3 हजार रुपए है न कि 3500 रुपए.

इन सबसे ऊपर एक और शर्त जोड़ दी गई है. ये एससी-एसटी और पिछड़े वर्गों को ज्यादा परेशान कर रही है. शर्त ये है कि भत्ता उनको नहीं मिलेगा जिन्होंने कभी भी कोई स्कॉलरशिप, सहायता या अनुदान लिया हो. सामाजिक कल्याण विभाग दलित-पिछड़े वर्गों के लिए स्कॉलरशिप योजनाएं चलाता है, लेकिन अब इन वर्गों के बेरोजगारों को भत्ता नहीं मिलेगा.

निश्चित रूप से ये शर्तें बड़े वर्गों को निराश कर सकती हैं. पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि जनता उन नेताओं को सबक सिखाने में पीछे नहीं रहती जो किए गए वादों को पूरा नहीं करते. लोकसभा चुनाव में 2 महीने का वक्त है और आशंका है कि कांग्रेस को ये 'कंडीशंस' कहीं भारी न पड़ जाएं. वैसे भी विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर सिर्फ 0.5% ही था.

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